तारबंदी योजना से किसानों ने मोड़ा मुंह, कृषि विभाग भी लक्ष्य पूर्ति नहीं होने से चिंतित
उलझे नियम, अनुदान कम, खर्चा ज्यादा
खेतों में खड़ी फसल को आवारा पशुओं से बचाव कर नुकसान से बचाने के लिए विभाग की ओर से कांटेदार तारबंदी कार्यक्रम शुरू किया गया था। तारबंदी में विभागीय नियमानुसार वायर, पोल, एंगल आदि लगाने होते हैं, जिससे खर्चा अधिक आता है। वहीं किसी किसान के पास डेढ़ हैक्टेयर से कम भूमि है तो वह योजना में शामिल नहीं हो पाता।
कोटा। खेतों में लहलहाती फसल को पशुओं से बचाव के लिए सरकार की ओर से संचालित कांटेदार तारबंदी योजना के प्रति किसानों का रुझान नहीं बढ़ पा रहा है। नतीजतन जिले में पिछले पांच वर्ष में एक बार भी कृषि विभाग इन लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं कर सका है। असल में योजना के तहत बने नियम और तारबंदी में होने वाले अधिक खर्च को लेकर जिले में योजना के प्रति किसान आकर्षित नहीं हो पा रहे। नतीजतन पिछले अन्य वर्षों के मुकाबले इस बार तो तारबंदी के प्रति किसानों ने पूरी तरह मुंह मोड़ लिया है। आधा वित्तीय वर्ष गुजरने के बावजूद जिलेभर के महज कुछ किसानों ने ही खेतों में तारबंदी की है। कृषि विभाग योजना के प्रति किसानों की भले ही अरुचि की बात कहता है, लेकिन समुचित प्रचार-प्रसार भी लक्ष्य प्राप्ति में रोड़ा है। गौरतलब है कि खेतों में खड़ी फसल को आवारा पशुओं से बचाव कर नुकसान से बचाने के लिए विभाग की ओर से कांटेदार तारबंदी कार्यक्रम शुरू किया गया था।
इसलिए नहीं दिखा रहे रुचि
योजना के तहत एक किसान या समूह में कम से कम डेढ़ हैक्टेयर भूमि पर तारबंदी करनी होती है। इसमें 400 मीटर तक की तारबंदी पर सामान्य किसान के लिए अधिकतम 40 हजार रुपए का अनुदान देय है, जबकि लघु सीमान्त किसान को 48 हजार रुपए अधिकतम अनुदान दिया जाता है। सूत्र बताते हैं कि तारबंदी में विभागीय नियमानुसार वायर, पोल, एंगल आदि लगाने होते हैं, जिससे खर्चा अधिक आता है। वहीं किसी किसान के पास डेढ़ हैक्टेयर से कम भूमि है तो वह योजना में शामिल नहीं हो पाता। इसके अलावा सभी मापदण्ड पूरे करने और भौतिक सत्यापन होने तक उसे अनुदान राशि का इंतजार करना पड़ता है, ऐसे में किसान इसमें रुचि नहीं दिखा पाते।
177 पत्रावली में से 110 सही
कृषि विभाग सूत्रों के अनुसार इस वर्ष जिले को एक लाख 38 हजार मीटर तारबंदी के लक्ष्य मिले हैं। अब तक 177 पत्रावली ही विभाग को प्राप्त हुई हैं। विभागीय जांच में इनमें से 110 पत्रावली दुरुस्त पाई गईं, जबकि शेष विभिन्न कमियों से निरस्त हो गई। 110 पत्रावलियों की विभाग की ओर से प्रशासनिक स्वीकृति भी जारी कर दी, लेकिन 110 में से कुछ किसानों ने ही अब तक तारबंदी की है, जिनका भौतिक सत्यापन भी हो चुका है। हालांकि विभागीय अधिकारी कहते हैं कि सितम्बर-अक्टूबर माह में तारबंदी होनी थी, उसी समय जिले में अच्छी बारिश हुई तो किसानों ने खेतों में बीज की बुवाई कर दी, जिससे तारबंदी अटक गई।
फिर भी नहीं रुचि
हालांकि शुरुआती दौर में किसानों ने इसमें रुचि दर्शाई थी, लेकिन उसके बाद नियम में बदलाव हुआ तो इससे किसानों का मोह भंग हो गया। विभागीय सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2018-19 से सामुदायिक आधार पर अनुदान का प्रावधान कर दिया गया। इसमें कम से कम तीन किसानों का समूह और 5 हैक्टेयर क्षेत्रफल होने पर अनुदान लागू का प्रावधान किया गया था, जिससे किसानों ने इसमें रुचि नहीं दर्शाई तो लक्ष्यों की प्रगति अधूरी ही रह गई थी, लेकिन अब सरकार ने फिर से नियमों में बदलाव कर एकल किसान को भी तारबंदी की सुविधा दी गई है।
योजना में इस वर्ष जिले को एक लाख 38 हजार मीटर के तारबंदी के लक्ष्य मिले हैं। इसके लिए प्राप्त हुई 177 पत्रावलियों में 110 सही मिली, जिनकी प्रशासनिक स्वीकृति निकाल दी गई। अब नियम में भी बदलाव कर समूह के बजाए एकल किसान भी तारबंदी करा सकता है। लक्ष्यों की पूर्ति के प्रयास किए जा रहे है।
- रामलाल, कृषि पर्यवेक्षक, कृषि विभाग
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