निगम के भूखंडों की बरसों से नहीं हुई नीलामी

एक अरब से अधिक के भूखंडों से हो सकती है निगम की आय

निगम के भूखंडों की बरसों से नहीं हुई नीलामी

नगर निगम के पास शहर के विभिन्न क्षेत्रों में भूखंड हैं। जिनमें छोटे से लेकर बड़े तक भूखंड हैं जो बरसों से खाली पड़े हुए हैं। कई भूखंडों को तो कब्जों से मुक्त करवा लिया है। लेकिन उसके बाद भी न तो उन भूखंडों का उपयोग किया गया और न ही नीलामी।

कोटा । नगर निगम के पास करीब एक अरब से अधिक के भूखंड हैं। लेकिन न तो निगम उनका उपयोग कर रहा है और न ही उनकी नीलामी। बरसों सी भूखंडों की नीलामी नहीं होने से खाली भूखंडों पर अतिक्रमण होने का खतरा बना हुआ है। जबकि निगम इन भूखंडों की नीलामी से करोड़ों रुपए राजस्व अर्जित कर सकता है। नगर निगम के पास शहर के विभिन्न क्षेत्रों में भूखंड हैं। जिनमें छोटे से लेकर बड़े तक भूखंड हैं जो बरसों से खाली पड़े हुए हैं। निगम के अधिकतर भूखंड खाली पड़े होने व अधिकारियों द्वारा उन पर ध्यान नहीं देने से लोगों ने उन पर कब्जे कर लिए थे। हालांकि कई भूखंडों को तो कब्जों से मुक्त करवा लिया है। लेकिन उसके बाद भी न तो उन भूखंडों का उपयोग किया गया और न ही नीलामी। जिससे फिर से उन पर अतिक्रमण का खतरा बना हुआ है। 

दोनों निगमों में बंटवारा
पहले जहां एक ही नगर निगम था। उस समय भी अधिकारियों ने भूखंडों की नीलामी पर ध्यान नहीं दिया। वहीं अब दो नगर निगम बनने के बाद भी यहीं स्थिति है। वर्तमान बोर्ड का गठन हुए दो साल से अधिक हो गया है। अभी तक दोनों ही निगमों ने एक की भूखंड को नीलाम 
नहीं किया।

यहां हैं नगर निगम के खाली भूखंड
नगर निगम के पास शक्ति नगर, प्रताप नगर, महावीर नगर व सीएडी समेत पुराने शहर में कई जगह पर भूखंड हैं। जिनकी कीमत करीब 100 करोड़ से 150 करोड़ रुपए तक है। अधिकतर भूखंड खाली ही पड़े हुए हैं। नगर निगम के तत्कालीन उपायुक्त अशोक त्यागी ने सीएडी रोड स्थित भूखंड को अतिक्रमण से मुक्त कराया था। उसके बाद कोटा दक्षिण की तत्कालीन आयुक्त कीर्ति राठौड़ ने भी बकरा मंडी की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया था। हालत यह है कि एक जमीन पर तो कचरा पड़ा हुआ है। लोगों ने निजी वाहन  खड़े करना शुरू कर दिया है। जबकि बकरा मंडी की जमीन खाली है। अनदेखी के चलते उस पर फिर से कब्जा हो सकता है। वहीं  प्रताप नगर स्थित भूखंड पर पत्थर का स्टॉक लगा हुआ है। कोचिंग संस्थान ने वाहन स्टैंड बनाया हुआ है। 

तीन दुकानें भी नहीं दे रहा किराए पर
दशहरा मैदान स्थित निगम कार्यालय के पास निगम की तीन दुकानें बनी हुई हैं। उन दुकानों को न तो निगम किराए पर दे रहा है और न ही उनका उपयोग कर रहा है। जिससे निगम को आय हो सके। जबकि निगम ने हाल ही में उन तीन दुकानों में इंदिरा रसोई संचालन के लिए संसाधन जुटाने शुरु कर दिए हैं। 

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पूर्व में पांच भूखंडों से हुई थी 26 करोड़ की आय
नगर निगम के पिछले भाजपा बोर्ड में तत्कालीन राजस्व  समिति के अध्यक्ष महेश गौतम लल्ली का कहना है कि वे जब राजस्व समिति  के अध्यक्ष थे उस समय उन्होंने अधिकारियों के साथ मिलकर निगम के भूखंडों से अतिक्रमण हटवाए थे। निगम के पास करीब 1 अरब से अधिक के भूखंड हैं। जिन्हें नीलाम कर आय अजित की जा सकती है। निगम ने तत्कालीन आयुक्त शिव प्रसाद एन नकाते के समय में छावनी समेत कई जगह पर 5 भूखंड नीलाम किए थे। उस समय निगम को करीब 26 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था। उसके बाद से अभी तक निगम ने भूखंडों की नीलामी नहीं की गई है। 

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नीलामी हो तो विकास कार्यों के काम आए
नगर निगम कोटा दक्षिण में नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी ने बताया कि निगम के पास करीब 125 करोड़ से अधिक के भूखंड है। जिनकी बरसों से नीलामी नहीं की गई है। खाली पड़े होने से अतिक्रमण हो सकता है। यदि इनकी नीलामी हो तो इनसे होने वाली आय से वार्डों में विकास  कार्य करवाए जा सकते हैं।  जबकि नगर विकास  न्यास द्वारा नियमित रूप से भूखंड नीलाम किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि निगम में खर्चों की बात तो सभी करते हैं लेकिन राजस्व लाने के बारे में कोई नहीं सोचता। उन्होंने शनिवार को ही कोटा दक्षिण आयुक्त से भूखंडों की नीलामी के संबंध में चर्चा की है।

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नगर निगम के आधिपत्य में जितने भी भूखंड हैं। उनकी सूची तैयार करवाकर उन्हें नीलाम करने की कार्यवाही शीघ्र की जाएगी। इस संबंध में नेता प्रतिपक्ष ने भी बात की है। महापौर से भी चर्चा हुई है। शीघ्र ही बैठक कर नीलामी संबंधी कार्यवाही को अंजाम दिया जाएगा।  
-राजपाल सिंह, आयुक्त, नगर निगम कोटा दक्षिण 

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