उड़नपरी बनने का सपना संजोए बेटों से भी आगे दौड़ रही बेटियां

राज्य और राष्टÑीय स्तर पर किया है मुकाम हासिल, प्रशिक्षण देने वाले बोले अच्छा भविष्य है लड़कियों का इस खेल में

उड़नपरी बनने का सपना संजोए बेटों से भी आगे दौड़ रही बेटियां

श्रीनाथपुरम में अन्तरराष्टÑीय स्तर का ट्रेक बनकर तैयार है लेकिन बीते सालों में यहां की लड़कियों ने मिट्टी के ट्रेक पर मेहनत की है। कोटा में दौड़ के लिए अभ्यास करने के लिए महाराव उम्मेद सिंह स्टेडियम में 400 मीटर दौड़ के लिए सिंगल टेÑक तथा आरएसी ग्राउंड में भी 400 मीटर का सिंगल ट्रेक है। कोटा के इन सभी स्थानों पर लगभग 50 लड़कियां नियमित रूप से दौड़ का अभ्यास करती हैं।

कोटा। कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं होता , एक  पत्थर तो तबियत से मारो यारों। ये पंक्तियां कोटा की उन बेटियों पर बिल्कुल खरी उतर रही है जिन्होंने सिन्थेटिक ट्रेक ना होने के बाद भी दौड़ में कई मेडल जीतकर ना केवल कोटा का बल्कि राज्य का नाम भी रोशन किया हैं। मिल्खा सिंह और उड़नपरी पीटी ऊषा को अपना आर्दश मानकर कोटा की ये बेटियां कोटा के कुछ स्थानों पर बने ट्रेक पर जमकर पसीना बहाते हुए दौड़ रही है और चाहती हैं कि इनका और शहर का नाम ना केवल राष्टÑीय स्तर पर बल्कि अन्तरराष्टÑीय स्तर पर भी पहचाना जाए। आज भले ही श्रीनाथपुरम में अन्तरराष्टÑीय स्तर का ट्रेक बनकर तैयार है लेकिन बीते सालों में तो यहां की लड़कियों ने मिट्टी के ट्रेक पर मेहनत की है। कोटा में दौड़ के लिए अभ्यास करने के लिए महाराव उम्मेद सिंह स्टेडियम में 400 मीटर दौड़ के लिए सिंगल टेÑक तथा आरएसी ग्राउंड में भी 400 मीटर का सिंगल ट्रेक है। एक नया टेÑक श्रीनाथपुरम में निर्माणाधीन है जिसके अप्रैल तक बनकर तैयार होने की संभावना है। कोटा के इन सभी स्थानों पर लगभग 50 लड़कियां नियमित रूप से दौड़ का अभ्यास करती हैं। इनको प्रशिक्षण देने वालों का कहना है कि इन लड़कियों का इनके परिजनों का भी पूरा सपोर्ट मिलता हैं। जो छोटी बालिकाएं अभ्यास के लिए आती हैं उनमें से कई के साथ उनके पिता या परिवार का कोई अन्य सदस्य आता हैं और अभ्यास खत्म होने तक यहीं बैठे रहते हैं लेकिन अभी भी क्षेत्र में इस खेल को लेकर लोगों में जागरूकता का अभाव है। वो बताते हैं कि इन ट्रेक पर अभ्यास करने वाली हमारी बेटियों राष्टÑीय और राज्य स्तर पर कई मेडल दिलवाएं है।

जिन बेटियों ने एथलेटिक्स में अब तक कोटा का नाम रोशन किया है। उनमें मूमल देवड़ा, महिमा चौधरी, आयशा खान, शिवांगी सेठी, राजप्रीत कौर, हरमन तथा प्रतिष्ठा मालव आदि के नाम शामिल हैं। इनमें से सेठी ने स्कूल नेशनल में सिल्वर और गोल्ड तथा ओपन स्टेट में गोल्ड, राजप्रीत ने 800 मीटर की जूनियर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड तथा इसी प्रतियोगिता के सीनियर वर्ग में सिल्वर तथा राष्टÑीय स्कूल गेम्स में सिल्वर मेडल प्राप्त किया है। वहीं कुछ सालों पहले देवड़ा ने 800 मीटर में पदक प्राप्त किया था। अभी हाल ही में खान में इंटरयूनिवर्सिटी में भाग लिया था और ये स्टेट की बेस्ट एथलीट भी है। इनको तैयार करने वालों का कहना है कि हमारे यहां की बेटियां दौड़ में बेटों से भी आगे ही है। 

सुबह - शाम लड़कियों को करवाया एथलीट का अभ्यास  
वहीं इन प्रतिभाओं को खेल की दुनिया में आगे बढ़ाने के लिए कोटा जिला खेल संघ के पदाधिकारी भी काफी मेहनत कर रहे हैं। नियमित कड़े अभ्यास से कोटा की कई महिला खिलाड़ियों ने अपनी अलग ही पहचान बनाई है। प्रशिक्षण देने वाले बताते हैं कि एथलीट में अब महिला खिलाड़ियों की संख्या में निरन्तर इजाफा हो रहा है। स्कूली शिक्षा के खेल कलैंडर में एथलीट स्पर्द्धा शामिल होने के कारण कम उम्र में ही बालिकाओं को इसके लिए तैयार करना शुुरू हर दिया जाता है। वहीं खेल संघ की ओर से प्रतिभावान लड़कियों को उचित मंच भी प्रदान किया जाता है। कोटा के इन ट्रेक पर इस समय रोजाना 2 घंटे सुबह और 2 घंटे शाम को लड़कियों को अभ्यास करवाया जा रहा है।  

इनका कहना हैं...
कोटा की बेटियों ने दौड़ में राष्टÑीय स्तर पर कई मेडल दिलवाएं है। खेल संघ की ओर से इन बालिकाओं को हर सुविधा उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जाता है। सिन्थेटिक ट्रेक का निर्माण होने के बाद खिलाड़ियों को हमारे यहां भी राष्टÑीय और अन्तरराष्टÑीय स्तर की सुविधाएं मिलने लगेगी। बच्चों के माता-पिता खुद उन्हे छोड़ने के लिए आते हैं। 
-अजीज पठान, जिला खेल अधिकारी। 

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यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त नहीं था लेकिन अब बन जाएगा। प्रैक्टिस के उपकरण पूरे उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। जिम की सुविधा नहीं है। ट्रेनिंग स्थान पर ही पूरे उपकरण मिल जाए तो प्रैक्टिस में काफी सहयोग मिलेगा। लड़कियां सालों से खूब मेहनत कर रही हैं। भविष्य बहुत अच्छा है। सरकारी नौकरियों में भी स्पोर्टस कोटे में का फायदा मिलता है। 
-तरूण शर्मा, एनआईएस एथलेटिक्स कोच। 

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मैं करीब 2 सालों से अभ्यास कर रही हंू। रोजाना सुबह और शाम में लगभग 5 घंटे अभ्यास करती हूं। पहले वॉलीबाल में रूचि थी लेकिन बाद में रनिंग की ओर से ध्यान आकर्षित हुआ। प्रैक्टिस का पढ़ाई पर कोई फर्क नहीं पड़ता। एडजस्ट कर लेती हंू। मेरे पूरे परिवार वालों का सपोर्ट मिलता है। स्कूल गेम्स और इंटर कॉॅॅॅॅॅॅलेज प्रतियोगिता में भाग लिया है और 400 मीटर में गोल्ड तथा 100 मीटर में सिल्वर मेडल प्राप्त किया हैं। 
-हरमन कौर, एथलीट। 

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