अतिक्रमण है तो बच्चों के पेट पर क्या कपड़ा बांध दूं
वेंडिंग जोन बने तो ना हो बार-बार अतिक्रमण और ना ही शहर हो बदरंग
शहर में अस्थायी अतिक्रमणों की संख्या कम होने की जगह लगातार बढ़ती ही जा रही है।
कोटा। दृश्य एक: बड़ तिराहे पर गन्ने के रस का ठेला लगाने वाले महाराष्ट्र निवासी मंगेश चंद काफी समय से रोजगार कर रहा है। लेकिन नगर विकास न्यास के अतिक्रमण निरोधक दस्ते ने उसे वहां से हटा दिया। ऐसे में उसके लिए परिवार का गुजारा चलाना मुश्किल हो गया। उसे रोजगार की जगह नहीं मिलने पर संकट पैदा हो गया है। बीस हजार उधार लाकर काम शुरू किया था। अब कई दिनों से घर बैठा है। परिवार के सामने हालात खराब हो गए हैं। वह कहता है बच्चों के पेट पर क्या पट्टी बांध दूं। रोड पर खड़े होने से ही हमारा पेट भरता है। यह आपके लिए अतिक्रमण है लेकिन हमारे लिए जीवन चलाने की मजबूरी है। हम चोरी चकारी थोडे कर रहे हैं। स्वाभिमान से जीना चाहते हैं। हमें कोई जगह तो दो जहां से हम बच्चें का पेट पाल सकें।
दृश्य दो: जेडीबी कॉलेज के पास सड़क किनारे खिलौने बेचने वाला उत्तर प्रदेश निवासी राजेश बड़ी मुश्किल से रुपए जोड़कर खिलौने लेकर आया था। लेकिन अतिक्रमण बताते हुए उसे वहां से कई बार हटा दिया। जिससे छोटे-छोटे बच्चों के साथ टापरी में रहकर परिवार का गुजारा करने वाले राजेश पर आर्थिक संकट मंडरा गया। उसका कहना है कि जगह नहीं मिलने से उसे बार-बार इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। जैसे तैसे कर उसने पुराने फ्लैक्स और तिरपाल का जुगाड़ कर रस्सियों से बांध कर परिवार के लिए सिर छुपाने की जगह बनाी थी। लेकिन एक दिन सरकारी अधिकारियों की गाड़ी आई और उसकी झौंपड़ी को तहस नहस कर गए। सामान उठा कर बचाया तो खाने कमाने की उ्मीदें बंधी रही। अब बच्च्े एक खाली फ्लॉट में झोंपड़ी बांध कर रखने पड़ रहे हैं। रोटी के लिए लोगों से पैसे मांगने पड़ रहे हैं। वह कहता है हम चोरी थोड़े ही कर रहे हैं। मेहनत कर जीना चाहते हैं। हमें ऐसी जगह तो दो जहां हम गुजारा कर सकें।
ये तो उदारण मात्र है। शहर में ऐसे कई लोग हैं जो सड़क किनारे या फुटपाथ पर रोजगार कर परिवार का पेट पाल रहे हैं। लेकिन बार-बार अतिक्रमण के नाम पर उनका रोजगार छीना जा रहा है। फुटकर व्यवसाय करने वालों का कहना है कि भीख मागने से अच्छा वे छोटा-छोटा काम कर रहे हैं। उन्हें कोई स्थायी जगह मिल जाए तो वे वहां भी काम करने को तैयार हैं। लेकिन प्रशासन उन्हें जगह ही नहीं दे रहा है।
लगातार बढ़ रही अतिक्रमणों की संख्या
शहर में अस्थायी अतिक्रमणों की संख्या कम होने की जगह लगातार बढ़ती ही जा रही है। स्टेशन क्षेत्र में रेलवे स्टेशन के बाहर से ही इसकी शुरुआत हो रही है जो बजरिया से लेकर भीमगंजमंडी थाने के सामने, खेड़ली फाटक मेन रोड, अदालत से नयापुरा थाने तक, अग्रसेन चौराहे से लक्खी बुर्ज तक, बड़ तिराहे से जेडीबी कॉलेज तक हर सड़क अतिक्रमण की जद में है। अब तो बोरखेड़ा क्षेत्र में 80 फीट रोड तक पर अतिक्रमण हो गया है। इसी तरह झालावाड़ रोड पर हवाई अड्डे के सामने से विज्ञान नगर तक, सीएडी रोड पर सीएडी से दादाबाड़ी तक, जवाहर नगर से केशवपरिा महावीर नगर तक और म्बल गार्डन रोड पर सभी तरफ अतिक्रमणों की भरमार हो रही है। सीएडी चौराहे से अम्बेडकर भवन के सामने होते हुए किशोरपुरा तक खाना बदोश लोग टापरिया बनाकर अतिक्रमण किए हुए हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि उन्हें रोजगार के लिए स्थायी ठोर दी जाए। जगह नहीं मिलने से वे जाएं तो जाएं कहां।
टाउन वेंडिग कमेटी तक नहीं बनी
हालत यह है कि पिछले कई साल से टाउन वेंडिंग कमेटी तक नहीं बनी है। पहले एक नगर निगम थी उस समय कमेटी बनी थी। दो नगर निगम बनने के बाद कमेटी को भंग कर दिया गया। लेकिन उसके बाद से अभी तक कमेटी का गठन नहीं हो सका है। जिससे सड़क किनारे रोजगार करने वालों को स्थायी जगह तक नहीं मिल पा रही है।
वीआईपी विजिट में करते कार्रवाई
शहर में मेन रोड पर हो रहे अतिक्रमणों के खिलाफ सामान्य तौर पर तो निगम-न्यास द्वारा कई बार कार्रवाई की गई। लेकिन शहर में वीआईपी विजिट के दौरान ही अधिकतर कार्रवाई की जाती है। गत दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से पहले झालावाड़ रोड पर अनंतपुरा से स्टेशन तक के क्षेत्र से अतिक्रमण हटाकर सड़कों को खाली कराया गया था। उनकी यात्रा निकलते ही फिर से अतिक्रमण हो गया। नगर विकास न्यास ने कुछ दिन पहले फिर झालावाड़ रोड से अंटाघर तक अतिक्रमण हटाए वहां भी फिर से अतिक्रमण हो गया। कुछ समय पहले रा’यपाल के कोटा दौरे के दौरान सीएडी रोड से फलों के ठेले हटा दिए थे। वहां फिर से ढेले लग गए। नगर निगम कोटा दक्षिण की तत्कालीन आयुक्त ने सीएडी रोड से अतिक्रमण हटाए थे वहां भी फिर से अतिक्रमण हो गए। अब कुछ दिन बाद रिवर फ्रंट व आॅक्सीजोन के उद्घाटन व कैबिनेट की बैठक के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सभी मंत्री कोटा आएंगे। कई देशों के राजदूतों के कोटा आगमन को देखते हुए फिर से अतिक्रमण की कार्रवाई हो सकती है। लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है।
वेंडिंग जोन बने तभी स्थायी समाधान
सड़क किनारे व्यवसाय करने वाले दुकानदार राजेश का कहना है कि वे फुटकर सामान बेचकर परिवार पाल रहे हैं। दोपहर बाद से शाम तक फुटपाथ पर सामान बेचते हैं। प्रशासन स्थाी जगह दे तो वहां रोजगार कर लें। बार-बार अतिक्रमण के नाम पर हटाने से दिहाड़ी खराब होती है। चश्मे बेचने वाले मंगेश का कहना है कि वे रोजाना आते हैं और रात को अपना सामान साथ ले जाते हैं। प्रशासन स्थायी जगह दे तो वहां बैठ जाएं जिससे उन्हें भी बार-बार परेशानी नहीं हो।
अतिक्रमण के खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई कर उन्हें हटाया जाता है। लेकिन वे फिर से आ जाते हैं। इसके स्थायी समाधान के लिए वार्ड वार सर्वे करवाकर वेंडिंग जोन बनाकर वहां इन्हें शिफ्ट करने की योजना है। उसमें समय लग रहा है। अभी जहां अतिक्रमण अधिक बाधक है उसे हटाया जाएगा।
- मंजू मेहरा, महापौर नगर निगम कोटा उत्तर
स्थायी अतिक्रमण से शहर को मुक्त करने के लिए मंत्री शांति धारेवाल ने उन्हें पुनर्वास कर दिया है। लेकिन अस्थायी अतिक्रमण को बार-बार हटाने के बाद वे आ रहे हैं। सरकार ऐसे लोगों का रोजगार छीनना नहीं चाहती इसके लिए ठेले वाले व थड़ी वाले सुबह लगाएं और शाम को हटा लें जिससे सड़क की सफाई भी हो और किसी को परेशानी भी नहीं हो। वेंडिंग जोन के लिए पूर्व में सर्वे हुआ था उसकी जानकारी करेंगे क्या स्थिति है।
- राजीव अग्रवाल, महापौर नगर निगम कोटा दक्षिण
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