सवा आठ माह में अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क हुआ मालामाल
250 दिन में 29 लाख से ज्यादा की कमाई
लॉयन व टाइगर के कदम पड़ते ही अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में धन बरसना शुरू हो गया।
कोटा। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क सवा आठ माह में मालामाल हो गया। 240 दिनों में 80 हजार से ज्यादा पर्यटक वन्यजीवों के संसार को दखने पहुंचे। जिनसे पार्क को 29 लाख से ज्यादा की कमाई हुई। वहीं, छुट्टी के दिन हर रविवार को औसतन 600 से ज्यादा लोगों की भीड़ रहती है। साथ ही एक लाख से अधिक का राजस्व सरकार के खाते में जमा हो जाता है। लेकिन, पर्यटकों का रुझान बाघ-बाघिन व शेरनी के आने के बाद ही बढ़ा है। इससे पहले तक कमाई का आंकड़ा अपेक्षाकृत कम था। हालांकि, गत 20 फरवरी को लॉयनेस व 1 मार्च को टाइगर का जोड़ा आने के बाद से कमाई का आंकड़ा शुरुआती तीन माह में 10.80 लाख तक पहुंच गया था।
जनवरी में मिला 5.30 लाख का राजस्व
जनवरी माह में 12 हजार 198 पर्यटकों ने बायोलॉजिकल पार्क देखा। जिनसे पार्क को कुल 5 लाख 30 हजार 626 रुपए की कमाई हो गई। हालांकि, यह आंकड़ा पिछली जनवरी के मुकाबले कम है। उस समय बायोलोजिलक पार्क ने करीब 10 लाख का आंकड़ा छू लिया था। लेकिन, इसकी वजह उसी माह में ही बायोलॉजिकल पार्क को दर्शकों के लिए खोला जाना था।
एक साल से लॉयन, भालू और फोक्स का इंतजार
बायोलॉजिकल पार्क में गत वर्ष से ही उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से बब्बर शेर व जयपुर नाहरगढ़ से नर भालू लाया जाना था, जो अब तक वन्यजीव विभाग नहीं ला पाया। जबकि, नाहरगढ़ से गत फरवरी माह में लॉयनेस ले आए। विभाग की लेटलतीफी के कारण लॉयनेस सुहासिनी व मादा भालू काली अकेले ही जीवन काटने को मजबूर है। वहीं, पार्क में लोमड़ी का दो साल से एनक्लोजर बना हुआ है, जो अब तक खाली है। इसे भी नाहरगढ़ जयपुर से लाने की तैयारी थी, जो परवान नहीं चढ़ी।
250 दिन में 29.11 लाख कमाए
1 जनवरी से 10 सितम्बर तक 80 हजार 966 पर्यटक अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क देखने पहुंचे, जिनसे पार्क को 29 लाख 11 हजार 984 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। वन्यजीव विभाग की ओर से बब्बर शेर, नर भालू, लोमड़ी सहित अन्य एनिमल लाने की तैयारी की तैयारी है लेकिन एक साल बाद भी नहीं आ पाए। वहीं, चिड़िया घर के पक्षी, सारस, मगरमच्छ, अजगर सहित अन्य वन्यजीवों को बायोलॉजिकल पार्क में बसाने के प्रयास भी अब तक पूर नहीं हो सके।
न 20 करोड़ मिले और न ही चिड़ियाघर से जानवर शिफ्ट हुए
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में द्वितीय चरण के तहत कई अधूरे निर्माण कार्य पूरे किए जाने हैं। इसके लिए जायका प्रोजेक्ट के तहत 20 करोड़ का बजट मिलना था, जो डेढ़ साल बाद भी नहीं मिल सका। बजट के अभाव में 31 एनक्लोजर, स्टाफ क्वार्टर, कैफेटेरिया, वेटनरी हॉस्पिटल, आॅडिटोरियम हॉल, छांव के लिए शेड, कुछ जगहों पर पथ-वे सहित अन्य कार्य शामिल हैं। वहीं, चिड़ियाघर से मगरमच्छ, क्रोकोडाइल, अजगर सहित विभिन्न प्रजाति के पक्षी यहां शिफ्ट नहीं हो पा रहे। \
अभेड़ा बायोलॉजिलक पार्क की कमाई का आंकड़ा
माह पर्यटक इनकम
जनवरी 12 हजार 198 5 लाख 30 हजार 626
फरवरी 5 हजार 18 2 लाख 45 हजार 86
मार्च 8 हजार 999 3 लाख 74 हजार 80
अप्रेल 7 हजार 928 3 लाख 51 हजार 434
मई 5 हजार 602 2 लाख 65 हजार 744
जून 10 हजार 544 4 लाख 62 हजार 274
जुलाई 14 हजार करीब 6 लाख
अगस्त 13 हजार 452 5 लाख 37 हजार 430
1 से 10 सितम्बर तक 03 हजर 225 01 लाख 24 हजार 10
भीषण गर्मी में लॉयन-टाइगर को देखने पहुंचे 8 हजार पर्यटक
लॉयन व टाइगर के कदम पड़ते ही अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में धन बरसना शुरू हो गया। अप्रेल माह में भीषण गर्मी होने के बावजूद शहरवासी बड़ी संख्या में टाइगर व लॉयन देखने पहुंचे और इनकी रिलीज के साथ ही पिछले साल अप्रेल में हुई कमाई के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। साथ ही पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। वन्यजीव विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, गत वर्ष अप्रेल में 1 हजार 723 पर्यटकों से मात्र 76 हजार 660 रुपए की कमाई हुई थी। जबकि, इस वर्ष के अप्रेल में पार्क 7 हजार 928 पर्यटकों के साथ 3 लाख 51 हजार 434 रुपए की आय कर चुका है।
सबसे ज्यादा जुलाई में 6 लाख की कमाई
गत वर्ष से ही लॉयन और टाइगर लाने की सुगबुगाहट ने पर्यटकों की उत्सुकता बढ़ा दी थी। गत 20 फरवरी को लॉयनेस सुहासिनी व 1 मार्च को बाघ नाहर और बाघिन महक के कदम कोटा की धरती पर पड़ते ही पर्यटकों के रुझान में जबरदस्त रुझान देखने को मिला। इसी का नतीजा है, जुलाई माह में 14 हजार से ज्यादा सैलानी शेरनी व टाइगर्स के दीदार को पहुंचे, जिनसे अब तक की सर्वाधिक कमाई 6 लाख रुपए की आय हुई।
इनका कहना है
सज्जनगढ़ उदयपुर से बब्बर शेर व नाहरगढ़ जयपुर बायोलॉजिकल पार्क से भालू लाने के प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं, जो केंद्रीय चिड़िया प्राधिकरण में उच्चाधिकारियों के ध्यार्नाथ हैं, वहां से स्वीकृति मिलते ही शेर व भालू को कोटा बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट कर दिया जाएगा। वहीं, जायका प्रोजेक्ट के तहत 20 करोड़ का बजट अटका हुआ है, जिसके मिलने पर द्वितीय चरण के निर्माण कार्य पूरे हो सकेंगे। इसके बाद ही चिड़िया घर के एनिमल अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट हो सकेंगे। वहीं, डीसीएम फर्टिलाइजर कम्पनी द्वारा भेंट की गई गोल्फ कार्ट के संचालन की तैयारी अंतिम चरण में है। झूले लगने से पर्यटकोें के साथ बच्चों का रुझान अधिक बड़ा है। सैलानियों की सुविधा के प्रयास लगातार जारी है।
- राज बिहारी मित्तल, एसीएफ वन्यजीव विभाग

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