
तलवार, चक्कर और भाला चलाने में माहिर हैं यह लड़कियां
छावनी रामचन्द्रपुरा स्थित श्री मंशापूर्ण हनुमान महिला अखाड़ा
लडकियां तलवार, भाला घुमाने और अखाड़े के साथ साथ मलखम्ब और कुश्ती की भी यहां प्रैक्टिस करती हैं।
कोटा। अनन्त चर्तुदर्शी आने को है और शहर के सारे अखाड़े पूरे जोर शोर के साथ तैयारियों में लगे हैं और आज इसी क्रम में हम लेकर आएं है छावनी रामचन्द्रपुरा स्थित श्री मंशापूर्ण हनुमान महिला अखाड़ा। आप इस अखाड़े के अन्दर प्रवेश करते ही पाएंगे कि एक लड़की भाले को हैरतंगेज ढ़ंग से घुमा रही है तो दूसरी तलवार के साथ ऐसे करतब कर रही होगी जैसे उगंली पर चाबी का छल्ला घुमा रही हो। यहां कि लड़कियां हर कदम पर लड़कों के करतबों को कमतर साबित कर रहीं हैं। महिला संचालिका दीपमाला पंवार ने बताया कि वैसे व्यायामशाला 25 वर्ष पुरानी है और महिला अखाड़े कि शुरूआत 2018 में ती गई लेकिन आज व्यायामशाला में देखकर लगता है कि लड़कियां लड़कों के पहले से ये सारे करतब करती आ रहीं हैं।
दंगल भी खेलती हैं लड़कियां
वहीं व्यायामशाला कि बालिका विनिता राठौर साल 2022 में आयोजित हाड़ौती केसरी दंगल की विजेता रहीं अन्य बालिका मोना राठौर इसी साल मई माह में उज्जैन में आयोजित मलखम्ब प्रतियोगिता कि विजेता रहीं। व्यायामशाला कि बालिका लक्ष्मी गुर्जर ने बताया कि पहले वो अखाड़े में ज्यादा रुचि नहीं लेती थी लेकिन जब साथ कि लडकियों को करते देखा तो उन्हें भी हौसला मिला और आज वो 2 साल से अखाड़े में जा रही हैं और आगे कुश्ती खेलना चाहती हैं। बालिका राठी सोलंकी ने बात करने पर बताया कि वो भी कुश्ती खेलना चाहती हैं मगर आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से कोचिंग नहीं जा सकती इसीलिए यहां खेलती हैं। वहीं एक बालिका मुस्कान अभी 9 साल कि ही हैं और अखाडेÞ के सारे दांवपेंच और मलखम्ब सीखना चाहती हैं।
करतब देख हैरत में पड़ जाते हैं दर्शक
हर दिन लड़कियां ऐसे ऐसे करतब कर रहीं हैं जिन्हें देखकर हम भी हैरत में पड़ जाते हैं। जिस तरह से लडकियां पिरामिड बनाकर उस पर चक्कर और तलवार घुमाती हैं वो कभी कभी हमें भी मुश्किल लगता है। लडकियां तलवार, भाला घुमाने और अखाड़े के साथ साथ मलखम्ब और कुश्ती की भी यहां प्रैक्टिस करती हैं।
दो लडकियों से अखाड़ा किया शुरू
व्यायामशाला के महामंत्री जयप्रकाश तुसिया ने बताया कि इस महिला व्यायामशाला कि शुरूआत उस्ताद लालचन्द तुसिया ने दो लडकियों हिना प्रजापति व विनिता राठौर के साथ की थी जहां इस व्यायामशाला का प्रारम्भ इलाके कि लड़कियों को कुश्ती, दंगल और अन्य प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करने के उद्देश्य से किया गया था। शुरूआत में दो लडकियों से शुरूआत के बाद आज यहां करीब 70 लडकियां अखाडेÞ के दांव पेंच सीख रही हैं।
खुद उठाती है खर्च
महिला संचालिका दीपमाला पंवार ने बताया कि यहां कि अधिकतर लडकियां गरीब परिवार से आती हैं और प्रैक्टिस का सारा खर्चा खुद ही उठाती हैं अपनी बचत के पैसों से ही प्रैक्टिस के सामान लाती हैं। स्थाई जगह नहीं होने के कारण व्यायामशाला को बार बार प्रैक्टिस कि जगह भी बदलनी पड़ती है जिससे लड़कियों कि प्रैक्टिस पर भी असर पड़ता है। इस विषय पर नगर निगम कोटा को भी एक उपयुक्त जगह के लिए पत्र भी लिखा गया पर अभी भी प्रैक्टिस के लिए कोई जगह नहीं है और मंदिर प्रांगण में ही प्रैक्टिस करनी पड़ती है।
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