कर्नाटक में शिवकुमार के सोशल मीडिया पोस्ट ने दी नेतृत्व परिवर्तनों के कयासों को हवा, राजनीतिक गलियारे में मची हलचल
कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें
कर्नाटक में नेतृत्व बदलाव की अटकलों के बीच डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की “अपनी बात पर कायम रहने” वाली पोस्ट से राजनीतिक हलचल तेज हो गई। सिद्दारमैया सरकार के ढाई साल पूरे होने पर यह पोस्ट नेतृत्व फॉर्मूले की याद दिलाती मानी जा रही है। कांग्रेस आलाकमान जल्द फैसला कर सकता है।
बेंगलुरु। कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की एक पोस्ट ने राजनीतिक हलकों में नयी बहस छेड़ दी है। डीके शिवकुमार ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक पर पोस्ट में लिखा कि, दुनिया में सबसे बड़ी ताकत अपनी बात पर कायम रहना है।
गौरतलब है कि, राज्य में सिद्दारमैया सरकार ने 20 नवंबर को ढाई साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। ऐसे में डिप्टी सीएम शिवकुमार की पोस्ट ने कांग्रेस और राजनीतिक गलियारे में नयी बहस छेड़ दी है। उन्होंने एक्स पर लिखा, शब्दों की ताकत ही दुनिया की ताकत है। दुनिया में सबसे बड़ी ताकत अपनी बात पर कायम रहना है। चाहे वह जज हो, अध्यक्ष हो या कोई और हो, जिसमें मैं भी शामिल हूं। सभी को अपनी बात पर चलना होगा।
इसके आगे डिप्टी सीएम शिवकुमार ने कहा कि, इस बात का अर्थ यह निकाला जा रहा है कि, यह कांग्रेस आलाकमान को अभी भी अनसुलझे नेतृत्व परिवर्तन फॉर्मूले के बारे में एक सीधी याद दिलाने वाला बयान है, जो मई 2023 से सिद्दारमैया-शिवकुमार समीकरण पर मंडरा रहा है। राज्य में कांग्रेस सरकार ने पिछले हफ़्ते ढाई साल पूरे कर लिये हैं, जिससे इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि, क्या पार्टी सत्ता साझेदारी को लेकर अपनी अंदरूनी समझ पर फिर से विचार करेगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को कहा कि, यह मामला वरिष्ठ नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी से सलाह-मशविरा के बाद ही सुलझाया जाएगा।
उधर, मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और श्री शिवकुमार के बीच बार-बार अनबन की खबरों को कम करके आंका गया है, लेकिन डीके शिवकुमार के नए पोस्ट ने इस बात के कयासों को फिर से हवा दे दी है कि, राज्य में नेतृत्व का सवाल जल्द ही जरूरी हो सकता है। राज्य प्रशासन के राजनीतिक रूप से संवेदनशील दौर में जाने के साथ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता निजी तौर पर मानते हैं कि, पार्टी को अपने कार्यकाल के दूसरे हिस्से की ओर बढ़ते हुए प्रशासन की उम्मीदों और अंदरूनी महत्वाकांक्षाओं दोनों को संभालना होगा।
बता दें कि, कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने अपनी कुर्सी बचाने की कोशिशें तेज कर दीं हैं जबकि उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के खेमे ने नयी दिल्ली में पार्टी आलाकमान पर दबाव बढ़ा दिया है। डीके शिवकुमार के 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद पांच-छह नेताओं के बीच नेतृत्व परिवर्तन पर एक गोपनीय समझ होने की बात सबके सामने कहने के एक दिन बाद उनके गुट ने ढाई साल के सत्ता साझेदारी फॉर्मूले का हवाला देते हुए राष्ट्रीय राजधानी का दौरा किया है। उनके साथ जुड़े कई विधायकों ने दिल्ली में शीर्ष नेताओं से मुलाकात की और केन्द्रीय नेतृत्व से तुरंत फैसला लेने की अपील की।
डीके शिवकुमार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीधे टकराव से परहेज किया, लेकिन विवेक आधारित राजनीति पर अपना रूख दोहराते हुए कहा कि कांग्रेस को अंदरूनी झगड़े से कमजोर नहीं होना चाहिये। इस बीच सीएम सिद्दारमैया ने अपना दावा मजबूत करने के लिए साथ-साथ कोशिशें भी शुरू कीं। मुख्यमंत्री ने आलाकमान को बताया कि, बदलाव को लेकर जो अनिश्चितता है वह खत्म होनी चाहिए और आखिरी फैसला केन्द्रीय नेतृत्व को ही लेना चाहिये।
उन्होंने गुरुवार सुबह अपने आवास पर जी. परमेश्वर, सतीश जारकीहोली, महादेवप्पा, वेंकटेश और कृष्णा बायरे गौड़ा समेत वरिष्ठ मंत्रियों के साथ एक बैठक बुलायी थी। सूत्रों के अनुसार, कर्नाटक की राजनीति में इस मामले को लेकर जारी विवाद के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दखल देते हुए उन्हें और डीके शिवकुमार दोनों को नयी दिल्ली बुलाया है। श्री खरगे ने पुष्टि की है कि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य नेता विवाद सुलझाने के मकसद से होने वाली इस बातचीत में हिस्सा लेंगे। इस बैठक के आज दिन में होने की उम्मीद हैं।
फिलहाल, इस मामले को लेकर राज्य में स्थिति अस्थिर बनी हुई है, क्योंकि दोनों खेमे अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं, जिससे कांग्रेस नेतृत्व पर एक निर्णायक समाधान का दबाव बना हुआ है।

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