भारतीय जिम्नास्ट दीपा कर्माकर ने की संन्यास की घोषणा
रियो ओलंपिक में मामूली अंतर से चूक गई थी कांस्य से
दीपा ने 2016 रियो ओलंपिक में प्रभावशाली प्रदर्शन किया था, लेकिन मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूक गई थी।
नई दिल्ली। भारत की स्टार जिम्नास्ट दीपा कर्माकर ने खेल से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। दीपा ने 2016 रियो ओलंपिक में प्रभावशाली प्रदर्शन किया था, लेकिन मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूक गई थी। ओलंपिक में शिरकत करने वाली भारत की पहली महिला जिम्नास्ट बनी 31 साल की दीपा रियो ओलंपिक की वॉल्ट स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहीं थी और सिर्फ 0.15 अंक से कांस्य पदक जीतने से चूक गई थी।
यह फैसला आसान नहीं
दीपा ने एक बयान में कहा, बहुत सोच-विचार और चिंतन के बाद मैंने प्रतिस्पर्धी जिम्नास्टिक से संन्यास लेने का फैसला किया है। यह आसान फैसला नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि यह सही समय है। जब से मुझे याद है तब से जिम्नास्टिक मेरे जीवन का केंद्र रहा है और मैं उतार-चढ़ाव और बीच के हर लम्हे के लिए आभारी हूं। उन्होंने कहा, मुझे वो पांच साल की दीपा याद आती है जिसको बोला गया था कि उसके सपाट पैर की वजह से वो कभी जिम्नास्ट नहीं बन सकती। आज मुझे अपनी उपलब्धियों को देखकर गर्व होता है। भारत का विश्व स्तर पर प्रतिनिधित्व करना और पदक जीतना, सबसे विशेष रियो ओलंपिक में प्रोदुनोवा वॉल्ट का प्रदर्शन करना, मेरे करियर का सबसे यादगार पल रहा है।
उसने सपने देखने की हिम्मत रखी
दीपा ने आगे लिखा, आज मुझे उस दीपा को देखकर बहुत खुशी होती है क्योंकि उसने सपने देखने की हिम्मत रखी। मेरी आखिरी जीत ताशकंद में एशियन जिम्नास्टिक्स चैंपियनशिप रही जो एक टर्निंग प्वाइंट था, क्योंकि तब तक मुझे लगा कि मैं अपने शरीर को और पुश कर सकती हूं। लेकिन कभी-कभी हमारा शरीर हमें बताता है कि अब आराम करने का समय आ गया है। लेकिन दिल अभी भी नहीं मानता।
सहयोगियों को दिया धन्यवाद
ओलंपियन दीपा ने कहा, मैं अपने कोच बिश्वेर नंदी सर और सोमा मैम को धन्यवाद बोलना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे पिछले 25 साल से गाइड किया और मेरी सबसे बड़ी ताकत बने। मुझे जो समर्थन मिला उसके लिए त्रिपुरा सरकार, जिम्नास्टिक्स महासंघ, भारतीय खेल प्राधिकरण और अन्य लोगों को बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं। अंत में मेरे परिवार को जो हमेशा मेरे साथ थे, मेरे अच्छे और बुरे दिनों में।
दीपा ने जताई मेंटर या कोच बनने की इच्छा
दीपा ने लिखा, मैं भले ही संन्यास ले रही हूं, लेकिन जिम्नाटिक्स से मेरा रिश्ते कभी नहीं टूटेगा। मैं चाहती हूं कि मैं इस खेल को कुछ वापस दे सकूं। शायद मेंटर, कोच, मेरे जैसे और बाकी लड़कियों का समर्थन करके। एक बार फिर मेरे सफर का हिस्सा बनने के लिए सभी का धन्यवाद।
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