दिव्या शतरंज विश्व कप के फाइनल में, भारतीय खिलाड़ी ने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी किया क्वालीफाई

2023 में हासिल किया इंटरनेशनल मास्टर का खिताब

दिव्या शतरंज विश्व कप के फाइनल में, भारतीय खिलाड़ी ने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी किया क्वालीफाई

दिव्या देशमुख ने चीन की तीसरी वरीयता प्राप्त तान झोंगयी को 101 चाल में शिकस्त देकर फिडे महिला शतरंज विश्वकप के फाइनल मुकाबले में जगह बना ली।

बाटुमी (जॉर्जिया)। अंतरराष्ट्रीय मास्टर दिव्या देशमुख ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चीन की तीसरी वरीयता प्राप्त तान झोंगयी को 101 चाल में शिकस्त देकर फिडे महिला शतरंज विश्वकप के फाइनल मुकाबले में जगह बना ली और इसी के साथ उन्होंने अगले साल कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई भी कर लिया है। 19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने सेमीफाइनल के दूसरे गेम में पूर्व विश्व चैंपियन चीन की झोंगयी टैन को 1.5-0.5 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। इससे पहले भारतीय खिलाड़ी दिव्या ने दूसरी वरीयता प्राप्त झू जिनर और अपने से उच्च रैंकिंग वाली हमवतन हरिका द्रोणावल्ली को हराया था। फिडे ओलंपियाड में व्यक्तिगत और टीम स्वर्ण पदक जीतने के एक साल बाद दिव्या का विश्वकप फाइनल तक का सफर उनके अब तक के शानदार करियर में एक और उपलब्धि है। इस जीत के उन्होंने अगले साल होने वाले कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है। वह इस टूर्नामेंट में खेलने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी होंगी। महिला विश्वकप के तीसरे संस्करण में 15वीं वरीयता प्राप्त दिव्या सबसे कम उम्र की फाइनलिस्ट हैं।

कौन हैं दिव्या देशमुख ?

9 दिसंबर 2005 को नागपुर में जन्मीं दिव्या ने पांच साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उनके माता-पिता डॉक्टर हैं। दिव्या ने 2012 में सात साल की उम्र में अंडर-7 नेशनल चैंपियनशिप जीती। उन्होंने अंडर-10 (डरबन 2014) और अंडर-12 (ब्राजील 2017) कैटेगरी में विश्व युवा खिताब भी जीते। इसके बाद 2014 में डरबन में आयोजित अंडर-10 वर्ल्ड यूथ टाइटल और 2017 में ब्राजील में अंडर-12 कैटेगरी में भी खिताब अपने नाम किए। दिव्या 2021 में महिला ग्रैंडमास्टर बनीं।

2023 में हासिल किया इंटरनेशनल मास्टर का खिताब :

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दिव्या ने 2023 में इंटरनेशनल मास्टर का खिताब भी प्राप्त कर लिया। 2024 में उन्होंने विश्व जूनियर गर्ल्स अंडर-20 चैंपियनशिप में भी परचम लहराया, जहां उन्होंने 11 में से 10 अंक जुटाकर शीर्ष स्थान हासिल किया। इसके अलावा 45वें चेस ओलंपियाड में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका रही।

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