जाति गणना कांग्रेस का राजनीतिक पाखंड : जितनी आबादी-उतना हक, राहुल गांधी का ये झूठा नारा, भूपेन्द्र यादव ने कहा- कांग्रेस के लिए सामाजिक न्याय दिखावा है, प्रतिबद्धता नहीं
कर्नाटक में कांग्रेस का पुन: सर्वेक्षण कराना, एक राजनीतिक पाखंड
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने यहां पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज के साथ कांग्रेस ने हमेशा धोखा किया है
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कर्नाटक में कांग्रेस द्वारा ‘सामाजिक न्याय’ के नाम पर दोबारा जातीय सर्वेक्षण कराए जाने पर सोमवार को सवाल उठाते हुए कहा कि दोबारा सर्वेक्षण की दलील पिछड़े वर्ग को झांसा देने का कांग्रेस का राजनीतिक हथकंडा मात्र है तथा उसका ‘सामाजिक न्याय’ का नारा दिखावा एवं ‘तुष्टीकरण’ से प्रेरित है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने यहां पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज के साथ कांग्रेस ने हमेशा धोखा किया है। अगर कांग्रेस के मन में कभी सच्चाई रही होती, तो काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने कोई दूसरा आयोग ही नहीं बनाया। देश से जब कांग्रेस की सत्ता गई तब मंडल आयोग को बनाया। जनता पार्टी के जाने के बाद भी मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं हुई। जब देश से दोबारा कांग्रेस की सत्ता गई, तब मंडल आयोग लागू हुआ। मंडल आयोग वैधानिकता को उच्चतम न्यायालय ने जब स्वीकार किया, तो ओबीसी आयोग को दंतविहीन बनाने का काम कांग्रेस ने किया।
वर्ष 2014 में जब देश से कांग्रेस की सत्ता गई और नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तब ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा मिला।
यादव ने कहा कि उनके विश्वासघात का एक और उदाहरण कर्नाटक सर्वेक्षण है। उनके लिए, सामाजिक न्याय केवल दिखावा है, और तुष्टिकरण उनकी नीति है। भारत की अर्थव्यवस्था के कमज़ोर होने का कारण मुख्य रूप से कांग्रेस द्वारा करदाताओं के पैसे का भ्रष्टाचार है। करीब 165 करोड़ रुपए का सर्वेक्षण एक दशक से भी ज़्यादा समय से चल रहा है, तो इसका जवाबदेह कौन है?”
उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार का नया सर्वेक्षण डिजिटल समावेशन बनाम डिजिटल असमानता को उजागर करेगा। उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार का बयान अलग है, क्योंकि वे ऑनलाइन पंजीकरण की मांग कर रहे हैं और इसके कार्यान्वयन पर सवाल उठा रहे हैं। कई लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि सीमित डिजिटल पहुँच वाले समुदायों के लिए ऑनलाइन नामांकन की सटीकता कैसे सुनिश्चित हो सकती है।
यादव ने कहा कि कर्नाटक में एक बार फिर कांग्रेस के धोखे का उदाहरण देखने को मिला। वो दिखाता है कि कांग्रेस के लिए सामाजिक न्याय दिखावा है, प्रतिबद्धता नहीं है। ओबीसी समाज को झांसे में लाना कांग्रेस की नीति है, न्याय देना उनका काम नहीं है। 2014 में भारत की अर्थव्यवस्था बेहद नाज़ुक हो जाने का सबसे बड़ा कारण था कि करदाताओं के पैसों के साथ कांग्रेस ने भ्रष्टाचार और उनके विश्वास को खोया।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि “मैं पूछना चाहता हूं कि कर्नाटक सरकार ने जाति जनगणना पर 165 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, फिर भी कई गलतियां पाई गईं, इसलिए वे इसे दोबारा करवा रहे हैं। सरकारी धन के दुरुपयोग के लिए कौन जिम्मेदार है? मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि यह राज्य सरकार का फैसला नहीं बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का आदेश था। मेरा मानना है कि उनके लिए ओबीसी महज वोट बैंक है।”
उन्होंने कहा कि “कर्नाटक में कांग्रेस का पुन: सर्वेक्षण कराना, एक राजनीतिक पाखंड है। जो कांग्रेस, समाज के कुछ लोगों को भरमाने के लिए और कुछ को तुष्टिकरण की राजनीति में लाने के लिए कर रही है। जितनी आबादी-उतना हक, राहुल गांधी का ये झूठा नारा है। हक तो सिर्फ एक परिवार का है।”
यादव ने कहा कि कांग्रेस कर्नाटक में ये काम खुद नहीं कर रही है बल्कि संविधानेत्तर शक्तियों के इशारे पर कर रही है। कांग्रेस राजनीतिक आधार पर समाज का बंटवारा और धन का दुरुपयोग करना चाहती है। कांग्रेस के लिए जातिगत जनगणना भी केवल राजनीतिक नारा भर है जबकि हमारे लिए (भाजपा) के लिए यह हमारी प्रतिबद्धता है। हमने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण दिया तो इसकी पूरी तैयारी की और इसे सभी वर्गों को तैयार करके क्रियान्वित किया। लेकिन कांग्रेस पार्टी अगले सौ साल तक भी परिवार की गुलामी से बाहर नहीं निकल पाएगी।
पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राजनीति में ओबीसी समाज के स्थान को लेकर एक सवाल के जवाब में यादव ने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार तुष्टीकरण में लगी हुई है। उसने केन्द्र सरकार की ऐसी कई योजनाओं को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने दिया है जिससे ओबीसी या आदिवासी समुदाय के अंतिम व्यक्ति का भला होता। ममता सरकार भी ‘तुष्टीकरण की राजनीति’ में सबसे आगे है।
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को उनके पैरों में रखे जाने की घटना पर सवाल पूछे जाने पर कहा कि बिहार की जनता लालू राज नहीं भूली है। दलितों एवं अति पिछड़ों पर सबसे ज्यादा अत्याचार उन्हीं के राज में हुआ है। डॉ. अंबेडकर की तस्वीर को लालू प्रसाद के पैरों में रखा गया, इसे देख कर हमारा दिल भी दुखा है। उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
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