मोटापे पर अब एक्शन में एफएसएसएआई : राज्यों को खाने में तेल और चीनी की खपत को दस फीसदी घटाने के आदेश
संतुलित आहार को बढ़ावा देने को कहा
राज्यों से कहा गया कि वे अपने खाद्य सुरक्षा निगरानी तंत्र को मजबूत करें, बाजारों, स्कूलों, कॉलेजों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए।
नई दिल्ली। मोटापा और अस्वास्थ्यकर खानपान की बढ़ती समस्या को रोकने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से तेल-चीनी की खपत घटाने के निर्देश दिए हैं। एफएसएसएआई ने कहा है कि खाने में तेल की खपत दस फीसदी तक घटाई जाए और संतुलित आहार को बढ़ावा दिया जाएए जिससे न केवल मोटापे पर रोक लगेगी बल्कि हृदय संबंधी रोगों का खतरा भी कम होगा। राज्यों से कहा गया कि वे अपने खाद्य सुरक्षा निगरानी तंत्र को मजबूत करें, बाजारों, स्कूलों, कॉलेजों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए।
मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीरता से लें
एफएसएसएआई ने अपनी 47वीं केंद्रीय सलाहकार समिति की बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह अपील की है कि वे अपने-अपने यहां मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीरता से लें, साथ ही इसके समाधान को लेकर ठोस और व्यापक उपाय अपनाएं। एफएसएसएआई ने वादा किया कि वह सभी राज्यों को तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा ताकि ये योजनाएं जमीनी स्तर पर प्रभावी तरीके से लागू हो सकें।
शुगर बोर्ड से बच्चों में मीठे के सेवन पर नियंत्रण
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाने की पहल पर बैठक में एक अहम चर्चा हुई। विशेषज्ञों का यह मानना है कि इस कदम से छात्र और अभिभावक मीठे के सेवन के बारे में सोच-समझकर फैसला लेने को लेकर प्रोत्साहित होंगे। सीबीएसई की इस पहल का मकसद देश में बढ़ती सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता यानी बचपन में मोटापा, टाइप-2 मधुमेह और मेटाबॉलिज्म संबंधी विकारों में कमी लाना है। ये देश में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं में शुमार है। इसके जरिए देशभर के स्कूलों को अपने कैंपस में शुगर जागरूकता बोर्ड प्रमुखता से प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है जिससे छात्रों और उनके अभिभावकों को इस बारे में जानकारी मिले और दोनों को अपने दैनिक आहार में छिपी हुई शुगर को पहचानने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

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