मन की बात कार्यक्रम : पीएम मोदी की 'वोकल फॉर लोकल' अपील, भगत सिंह-लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि; कहा- स्वदेशी से नवरात्रि को बनाएं खास
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मोदी ने अपने मासिक रेडियो प्रसारण कार्यक्रम'मन की बात में कहा कि ''एक संकल्प लेकर आप अपने त्योहारों को और खास बना सकते हैं
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से स्वदेशी वस्तुओं की खरीदारी करने की अपील करते हुए रविवार को कहा कि'वोकल फोर लोकल को खरीदारी का मंत्र बना कर आने वाले त्योहारों को और भी खास बनाया जा सकता है। मोदी ने अपने मासिक रेडियो प्रसारण कार्यक्रम'मन की बात में कहा कि ''एक संकल्प लेकर आप अपने त्योहारों को और खास बना सकते हैं। अगर हम ठान लें कि इस बार त्योहार सिर्फ स्वदेशी चीजों से ही मनाएंगे, तो देखिएगा, हमारे उत्सव की रौनक कई गुना बढ़ जाएगी। 'वोकल फोर लोकल' को खरीदारी का मंत्र बना दीजिए। ठान लीजिए, हमेशा के लिए, जो देश में तैयार हुआ है, वही खरीदेंगे। जिसे देश के लोगों ने बनाया है, वही घर ले जाएंगे। जिसमें देश के किसी नागरिक की मेहनत है, उसी सामान का उपयोग करेंगे। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम सिर्फ कोई सामान नहीं खरीदते, हम किसी परिवार की उम्मीद घर लाते हैं, किसी कारीगर की मेहनत को सम्मान देते हैं, किसी युवा उद्यमी के सपनों को पंख देते हैं।''
उन्होंने कहा कि ''त्योहारों पर हम सब अपने घर की सफाई में जुट जाते हैं लेकिन स्वच्छता सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित न रहे। गली, मोहल्ला, बाजार, गांव हर जगह पर सफाई हमारी जिम्मेदारी बने।''
प्रधानमंत्री ने कहा कि ''हमारे यहां यह पूरा समय'उत्सवों का समय रहता है और दीवाली एक प्रकार से महा-उत्सव बन जाता है मैं आप सबको आने वाली दीपावली की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ लेकिन साथ-साथ फिर से दोहराऊँगा हमें आत्मनिर्भर बनना है, देश को आत्मनिर्भर बनाकर के ही रहना है और उसका रास्ता स्वदेशी से ही आगे बढ़ता है।''
भगत सिंह युवाओं के लिए एक प्रेरणापुंज : मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शहीद- ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए रविवार को कहा कि वह हर भारतवासी, विशेषकर देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणापुंज है।
उन्होंने कहा कि ''आज के दिन के साथ कुछ विशेषताएं भी जुड़ी हैं। आज भारत की दो महान विभूतियों की जयंती है। मैं बात कर रहा हूँ, शहीद भगत सिंह और लता दीदी की। अमर शहीद भगत सिंह, हर भारतवासी, विशेषकर देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणापुंज है। निर्भीकता उनके स्वभाव में कूट-कूट कर भरी थी। देश के लिए फांसी के फंदे पर झूलने से पहले भगत सिंह ने अंग्रेजों को एक पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा था कि मैं चाहता हूं कि आप मुझे और मेरे साथियों से युद्धबंदी जैसा व्यवहार करें। इसलिए हमारी जान फांसी से नहीं, सीधा गोली मार कर ली जाए। यह उनके अदम्य साहस का प्रमाण है। भगत सिंह लोगों की पीड़ा के प्रति भी बहुत संवेदनशील थे और उनकी मदद में हमेशा आगे रहते थे। मैं शहीद भगत सिंह जी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।''
उन्होंने कहा कि ''आज लता मंगेशकर की भी जयंती है। भारतीय संस्कृति और संगीत में रुचि रखने वाला कोई भी उनके गीतों को सुनकर अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकता। उनके गीतों में वो सब कुछ है जो मानवीय संवेदनाओं को झकझोरता है। उन्होंने देशभक्ति के जो गीत गाए, उन गीतों ने लोगों को बहुत प्रेरित किया। भारत की संस्कृति से भी उनका गहरा जुड़ाव था। मैं लता दीदी के लिए हृदय से अपनी श्रद्धांजलि प्रकट करता हूँ। साथियों, लता दीदी जिन महान विभूतियों से प्रेरित थीं उनमें वीर सावरकर भी एक हैं, जिन्हें वो तात्या कहती थीं। उन्होंने वीर सावरकर के कई गीतों को भी अपने सुरों में पिरोया।''
प्रधानमंत्री ने कहा कि ''लता दीदी से मेरा स्नेह का जो बंधन था, वो हमेशा कायम रहा। वो मुझे बिना भूले हर साल राखी भेजा करती थीं। मुझे याद है मराठी सुगम संगीत की महान हस्ती सुधीर फड़के जी ने सबसे पहले लता दीदी से मेरा परिचय कराया था और मैंने लता दीदी को कहा कि मुझे आपके द्वारा गाया और सुधीर जी द्वारा संगीतबद्ध गीत'ज्योति कलश छलके बहुत पसंद है।''
आरएसएस सौ वर्षों से बिना थके, बिना रुके कर रहे राष्ट्र सेवा - मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने त्याग, सेवा की भावना और अनुशासन की सीख को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सच्ची ताकत करार देते हुए रविवार को कहा कि संघ सौ वर्षों से बिना थके, बिना रुके, राष्ट्र सेवा के कार्य में लगा हुआ है।
उन्होंने कहा कि अगले कुछ ही दिनों में हम विजयादशमी मनाने वाले हैं। इस बार विजयादशमी एक और वजह से बहुत विशेष है। इसी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष हो रहे हैं। एक शताब्दी की ये यात्रा जितनी अछ्वुत है, अभूतपूर्व है, उतनी ही प्रेरक है। उन्होंने कहा कि आज से 100 साल पहले जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी, तब देश सदियों से गुलामी की जंजीरों में बंधा था। सदियों की इस गुलामी ने हमारे स्वाभिमान और आत्मविश्वास को गहरी चोट पहुंचाई थी। विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता के सामने पहचान का संकट खड़ा किया जा रहा था। देशवासी हीन-भावना का शिकार होने लगे थे। इसलिए देश की आजादी के साथ-साथ ये भी महत्वपूर्ण था कि देश वैचारिक गुलामी से भी आजाद हो। ऐसे में, परम पूज्य डॉ. हेडगेवार जी ने इस विषय में मंथन करना शुरू किया और फिर इसी भगीरथ कार्य के लिए उन्होंने 1925 में विजयादशमी के पावन अवसर पर'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की।
प्रधानमंत्री ने कहा डॉक्टर साहब के जाने के बाद परम पूज्य गुरु गोलवलकर जी ने राष्ट्र सेवा के इस महायज्ञ को आगे बढ़ाया। परम पूज्य गुरुजी कहा करते थे - ये मेरा नहीं है, ये राष्ट्र का है। इसमें स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्र के लिए समर्पण का भाव रखने की प्रेरणा है। गुरुजी गोलवरकर के इस वाक्य ने लाखों स्वयंसेवकों को त्याग और सेवा की राह दिखाई है। त्याग और सेवा की भावना और अनुशासन की सीख यही संघ की सच्ची ताकत है। आज आरएसएस सौ वर्ष से बिना थके, बिना रुके, राष्ट्र सेवा के कार्य में लगा हुआ है। इसीलिए हम देखते हैं, देश में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आए, आरएसएस के स्वयंसेवक सबसे पहले वहां पहुंच जाते हैं। लाखों लाख स्वयंसेवकों के जीवन के हर कर्म, हर प्रयास में राष्ट्र प्रथम की यह भावना हमेशा सर्वोपरि रहती है। मैं राष्ट्रसेवा के महायज्ञ में स्वयं को समर्पित कर रहे प्रत्येक स्वयंसेवक को अपनी शुभकामनाएं अर्पित करता हूं।

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