मन की बात : गुजरात के गिर अभयारण्य में शेरों की संख्या बढ़कर 891 हुई, मोदी ने कहा- ऑपरेशन सिंदूर ने दुनियाभर में आतंक के खिलाफ लड़ाई को नया विश्वास और उत्साह दिया

गणना के लिए टीमों ने चौबीसों घंटे इन क्षेत्रों की निगरानी की

मन की बात : गुजरात के गिर अभयारण्य में शेरों की संख्या बढ़कर 891 हुई, मोदी ने कहा- ऑपरेशन सिंदूर ने दुनियाभर में आतंक के खिलाफ लड़ाई को नया विश्वास और उत्साह दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के गिर अभयारण्य में एशियाई शेरों की संख्या 5 साल में करीब एक चौथाई बढऩे पर प्रसन्नता व्यक्त की है

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के गिर अभयारण्य में एशियाई शेरों की संख्या 5 साल में करीब एक चौथाई बढऩे पर प्रसन्नता व्यक्त की है। मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले मासिक कार्यक्रम'' मन की बात' के 122वें अंक में कहा कि ''मैं शेरों से जुड़ी एक बड़ी अच्छी खबर आपको बताना चाहता हूं। पिछले केवल 5 वर्षों में गुजरात के गिर में शेरों की आबादी 674 से बढ़कर 891 हो गई है। शेरों की गणना के बाद सामने आई शेरों की ये संख्या बहुत उत्साहित करने वाली है।

उन्होंने कहा कि ''आप में से बहुत से लोग यह जानना चाह रहे होंगे कि आखिर ये जानवरों की गिनती होती कैसे है, ये काम बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सिंह गणना 11 जिलों में 35 हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे में की गई थी। गणना के लिए टीमों ने चौबीसों घंटे इन क्षेत्रों की निगरानी की। इस पूरे अभियान में सत्यापन और प्रति सत्यापन दोनों किए गए। इससे पूरी बारीकी से शेरों की गिनती का काम पूरा हो सका।''

प्रधानमंत्री ने कहा कि एशियाई शेरों की आबादी में बढ़ोतरी ये दिखाती है कि जब समाज में अपनाने का भाव मजबूत होता है, तो कैसे शानदार नतीजे आते हैं। कुछ दशक पहले गिर में हालात बहुत चुनौतीपूर्ण थे। लेकिन वहां के लोगों ने मिलकर बदलाव लाने का बीड़ा उठाया। वहां नवीनतम तकनीक के साथ ही वैश्विक सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को भी अपनाया गया। इसी दौरान गुजरात ऐसा पहला राज्य बना जहां बड़े पैमाने पर वन अधिकारियों के पदों पर महिलाओं की तैनाती की गई। आज हम जो नतीजे देख रहे हैं, उसमें इन सभी का योगदान है। वन्य जीवन संरक्षण के लिए हमें ऐसे ही हमेशा जागरुक और सतर्क रहना होगा।  

सक्किम और उत्तराखंड में स्थानीय कलाओं को संवारना जीवन को सच्चा अर्थ देना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर में सिक्किम और उत्तराखंड में स्थानीय कलाओं को संवारने को जीवन को सच्चा अर्थ देना करार दिया है। मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले मासिक कार्यक्रम ''मन की बात' के 122वें अंक में कहा कि ''2-3 दिन पहले ही मैं पहली उभरता पूर्वोत्तर शिखर सम्मेलन में गया था। उससे पहले हमने पूर्वोत्तर के सामथ्र्य को समर्पित''अष्टलक्ष्मी महोत्सव' भी मनाया था। पूर्वोत्तर की बात ही कुछ और है, वहां का सामथ्र्य, वहां की प्रतिभा, वाकई अछ्वुत है। मुझे एक दिलचस्प कहानी पता चली है क्राफ्टेड फाइबर्स की। क्राफ्टेड फाइबर्स ये सिर्फ एक ब्रांड नहीं, सिक्किम की परंपरा, बुनाई की कला, और आज के फैशन की सोच - तीनों का सुन्दर संगम है। इसकी शुरुआत की डॉ. चेवांग नोरबू भूटिया ने। पेशे से वो वेटेनरी डॉक्टर हैं और दिल से सिक्किम की संस्कृति के सच्चे ब्रांड एम्बेसडर। उन्होंने सोचा क्यूं न बुनाई को एक नया आयाम दिया जाए और इसी सोच से जन्म हुआ क्राफ्टेड फाइबर्स का। उन्होंने पारंपरिक बुनाई को आधुनिक फैशन से जोड़ा और इसे बनाया एक सोशल एंटरप्राइज। अब उनके यहां केवल कपड़े नहीं बनते, उनके यहां जिंदगियाँ बुनी जाती हैं। वे स्थानीय लोगों को कौशल प्रशिक्षण देते हैं, उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हैं। गांवों के बुनकर, पशुपालक और स्वसहायता समूहों आदि सबको जोड़कर डॉ. भूटिया ने रोजगार के नए रास्ते बनाए हैं। आज स्थानीय महिलाएं और कारीगर अपने हुनर से अच्छी कमाई कर रहे हैं। क्राफ्टेड फाइबर्स के शॉल, स्टोल, दस्ताने, मोजे, सब, स्थानीय हैंडलूम से बने होते हैं। इसमें जो ऊन का इस्तेमाल होता है, वो सिक्किम के खरगोशों और भेड़ों से आता है। रंग भी पूरी तरह प्राकृतिक होते हैं। कोई कैमिकल नहीं, सिर्फ प्रकृति की रंगत। डॉ. भूटिया ने सिक्किम की पारंपरिक बुनाई और संस्कृति को एक नई पहचान दी है। डॉ. भूटिया का काम हमें सिखाता है कि जब परंपरा को अभिरुचि से जोड़ा जाए, तो वो दुनिया को कितना लुभा सकती है।

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उन्होंने कहा कि ''आज मैं आपको एक ऐसे शानदार व्यक्ति के बारे में बताना चाहता हूँ जो एक कलाकार भी हैं और जीती-जागती प्रेरणा भी हैं। नाम है जीवन जोशी, उम्र 65 साल। अब सोचिए जिनके नाम में ही जीवन हो, वो कितनी जीवंतता से भरे होंगे। जीवन जी उत्तराखंड के हल्द्वानी में रहते हैं। बचपन में पोलियो ने उनके पैरों की ताकत छीन ली थी, लेकिन पोलियो, उनके हौसलों को नहीं छीन पाया। उनके चलने की रफ्तार भले कुछ धीमी हो गई, लेकिन उनका मन कल्पना की हर उड़ान उड़ता रहा। इसी उड़ान में, जीवन जी ने एक अनोखी कला को जन्म दिया - नाम रखा''बगेट''। इसमें वो चीड़ के पेड़ों से गिरने वाली सूखी छाल से सुंदर कलाकृतियाँ बनाते हैं। वो छाल, जिसे लोग आमतौर पर बेकार समझते हैं - जीवन जी के हाथों में आते ही धरोहर बन जाती है। उनकी हर रचना में उत्तराखंड की मिट्टी की खुशबू होती है। कभी पहाड़ों के लोक वाद्ययंत्र, तो कभी लगता है जैसे पहाड़ों की आत्मा उस लकड़ी में समा गई हो। जीवन जी का काम सिर्फ कला नहीं, एक साधना है। उन्होंने इस कला में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। जीवन जोशी जैसे कलाकार हमें याद दिलाते हैं कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर इरादा मजबूत हो, तो नामुमकिन कुछ नहीं। उनका नाम जीवन है और उन्होंने सच में दिखा दिया कि जीवन जीना क्या होता है।''

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प्रधानमंत्री ने ड्रोन पायलट के रूप में खेती के काम में महिलाओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि आज कई ऐसी महिलाएं हैं, जो खेतों के साथ ही अब आसमान की ऊंचाइयों पर काम कर रही हैं। अब गाँव की महिलाएं ड्रोन दीदी बनकर ड्रोन उड़ा रही हैं और उससे खेती में नई क्रांति ला रही हैं।

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उन्होंने कहा कि तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में कुछ समय पहले तक जिन महिलाओं को दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था, आज वे ही महिलाएं ड्रोन से 50 एकड़ जमीन पर दवा के छिड़काव का काम पूरा कर रही हैं। सुबह 3 घंटे, शाम 2 घंटे और काम निपट गया। धूप की तपन नहीं, जहर जैसे केमिकल का खतरा नहीं। साथियो, गाँववालों ने भी इस परिवर्तन को दिल से स्वीकार किया है। अब ये महिलाएं''ड्रोन ऑपरेटर' नहीं,''स्काई वॉरियर्स' के नाम से जानी जाती हैं। ये महिलाएं हमें बता रही हैं - बदलाव तब आता है जब तकनीक और संकल्प एक साथ चलते हैं।


ऑपरेशन सिंदूर ने दुनियाभर में आतंक के खिलाफ लड़ाई को नया विश्वास और उत्साह दिया

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि ''ऑपरेशन सिंदूर' ने दुनिया-भर में आतंक के खिलाफ लड़ाई को नया विश्वास और उत्साह दिया है क्योंकि हमारे जवानों ने आतंक के अड्डों को तबाह किया, यह उनका अदम्य साहस था और उसमें आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ भारत में बने हथियारों, उपकरणों और प्रौद्योगिकी की की ताकत शामिल थी। 

मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ''मन की बात' की 122वीं कड़ी में कहा कि आज पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है, आक्रोश से भरा हुआ है, संकल्पबद्ध है। आज हर भारतीय का आतंकवाद को खत्म करने का संकल्प है।''ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान हमारी सेनाओं ने जो पराक्रम दिखाया है उसने हर हिंदुस्तानी का सिर ऊँचा कर दिया है। जिस सटीकता के साथ हमारी सेनाओं ने सीमा पार के आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त किया वो अछ्वुत है।''ऑपरेशन सिंदूर' ने दुनिया-भर में आतंक के खिलाफ लड़ाई को नया विश्वास और उत्साह दिया है।

उन्होंने कहा कि ''ऑपरेशन सिंदूर' सिर्फ एक सैन्य मिशन नहीं है ये हमारे संकल्प, साहस और बदलते भारत की तस्वीर है और इस तस्वीर ने पूरे देश को देश-भक्ति के भावों से भर दिया है, तिरंगे में रंग दिया है। देश के कई शहरों में, गावों में, छोटे-छोटे कस्बों में, तिरंगा यात्राएं निकाली गई। हजारों लोग हाथों में तिरंगा लेकर देश की सेना, उसके प्रति वंदन-अभिनंदन करने निकल पड़े। कितने ही शहरों में बड़ी संख्या में युवा एकजुट हो गए और सोशल मीडिया पर कविताएँ लिखी जा रही थीं, संकल्प गीत गाये जा रहे थे। छोटे-छोटे बच्चे पेंटिंग बना रहे थे जिनमें बड़े सन्देश छुपे थे।

मोदी ने कहा कि ''मैं अभी 3 दिन पहले बीकानेर गया था। वहाँ बच्चों ने मुझे ऐसी ही एक पेंटिंग भेंट की थी। ''ऑपरेशन सिंदूर' ने देश के लोगों को इतना प्रभावित किया है कि कई परिवारों ने इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। बिहार के कटिहार में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में और भी कई शहरों में, उस दौरान जन्म लेने वाले बच्चों का नाम ''सिंदूर' रखा गया है। उन्होंने कहा कि हमारे जवानों ने आतंक के अड्डों को तबाह किया, यह उनका अदम्य साहस था और उसमें शामिल थी। भारत में बने हथियारों, उपकरणों और प्रौद्योगिकी की ताकत। उसमें ''आत्मनिर्भर भारत' का संकल्प भी था। हमारे इंजीनियर, हमारे टेक्नीशियन हर किसी का पसीना इस विजय में शामिल है। इस अभियान के बाद पूरे देश में ''वोकल फॉर लोकल'' को लेकर एक नई ऊर्जा दिख रही है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई बातें मन को छू जाती हैं। एक माँ-बाप ने कहा ''अब हम अपने बच्चों के लिए सिर्फ भारत में बने खिलौने ही लेंगे। देश-भक्ति की शुरुआत बचपन से होगी। 'कुछ परिवारों ने शपथ ली है ''हम अपनी अगली छुट्टियाँ देश के किसी खूबसूरत जगह में ही बिताएंगे। कई युवाओं ने भारत में शादी करने का संकल्प लिया है, वे देश में ही शादी करेंगे। किसी ने ये भी कहा है अब जो भी उपहार देंगे, वह किसी भारतीय शिल्पकार के हाथों से बना होगा।

मोदी ने कहा कि भारत की असली ताकत जन-मन का जुड़ाव, जन-भागीदारी। उन्होंने देशवासियों से देश में बनी चीजों को प्राथमिकता देने का संकल्प लेने की अपील करते हुए कहा कि यह सिर्फ आर्थिक आत्मनिर्भरता की बात नहीं है, यह राष्ट्र के निर्माण में भागीदारी का भाव है। हमारा एक कदम भारत की प्रगति में बहुत बड़ा योगदान बन सकता है।''

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