गरीबी उन्मूलन में भारत की भूमिका

एक महत्वपूर्ण बदलाव

गरीबी उन्मूलन में भारत की भूमिका

वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति की कहानी में एक नया और अत्यंत महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है।

वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति की कहानी में एक नया और अत्यंत महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है। विश्व बैंक द्वारा हाल ही में जारी गरीबी पर किए गए एक विश्लेषण ने दुनिया का ध्यान भारत की अभूतपूर्व सफलता की ओर खींचा है। करोड़ों लोग दो वक्त की रोटी, सिर पर छत, और बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संघर्ष कर रहे थे। आज, स्थिति नाटकीय रूप से बदल गई है। अब 20 में से केवल एक व्यक्ति इस श्रेणी में आता है। इसका मतलब है कि पिछले दशक में करोड़ों लोग गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकले हैं और एक बेहतरए सम्मानजनक जीवन की ओर अग्रसर हुए हैं। यह केवल एक आर्थिक आंकड़ा नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा की एक विशाल विजय है। इस विश्लेषण की एक और खास बात यह है कि विश्व बैंक ने अपनी कार्यप्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। उसने गरीबी को मापने की अपनी रेखा को संशोधित कर 3 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन कर दिया है। इस नई और ऊंची गरीबी रेखा के पैमाने पर भी भारत का प्रदर्शन शानदार रहा है। 3 डॉलर प्रतिदिन, जिसे क्रय शक्ति समता के आधार पर समायोजित किया जाता है, का अर्थ है कि एक व्यक्ति के पास अपनी बुनियादी जरूरतों जैसे भोजन, कपड़े और आवास के लिए पहले की तुलना में अधिक संसाधन उपलब्ध हैं। इस कठिन मानक पर 5.3 प्रतिशत का आंकड़ा प्राप्त करना भारत की सफलता को और भी अधिक प्रभावशाली बनाता है।

अब सवाल उठता है कि यह चमत्कार हुआ कैसे भारत ने इतनी बड़ी आबादी के साथ यह असाधारण उपलब्धि कैसे हासिल की, इसका उत्तर किसी एक योजना या नीति में नहीं, बल्कि पिछले एक दशक में अपनाई गई एक बहुआयामी और समग्र रणनीति में छिपा है, जिसमें कई मोर्चों पर एक साथ काम किया गया। इस सफलता की नींव में सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की क्रांति है। जन-धन योजना के माध्यम से करोड़ों बैंक खाते खोलकर, सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि कल्याणकारी योजनाओं का पैसा बिना किसी रिसाव या भ्रष्टाचार के सीधे लाभार्थियों तक पहुंचे। यह एक गेम-चेंजर साबित हुआ, क्योंकि इसने बिचौलियों को खत्म कर दिया और पारदर्शिता बढ़ाई। 
पीएम किसान जैसी योजनाओं के तहत किसानों को मिलने वाली सीधी आर्थिक सहायता हो या विभिन्न प्रकार की पेंशन, डीबीटी ने गरीबों को एक मजबूत आर्थिक संबल प्रदान किया। इससे न केवल लाभार्थियों को त्वरित लाभ मिला, बल्कि सरकारी खजाने का भी कुशल उपयोग सुनिश्चित हुआ। इसके समानांतर, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत एक बहुत बड़ी आबादी को अत्यधिक रियायती दरों पर अनाज उपलब्ध कराना एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच साबित हुआ, जिसने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी भूखा न सोए। विशेष रूप से कोरोना महामारी के दौरान चलाई गई मुफ्त राशन योजनाओं, जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने करोड़ों परिवारों को गंभीर संकट में जाने से बचाया।

इन योजनाओं ने विशेष रूप से कमजोर वर्गों के लिए एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा जाल प्रदान किया, जिससे वे आर्थिक झटकों का सामना कर सकें। गरीबी उन्मूलन का अर्थ केवल पैसा देना नहीं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना भी है। इस दिशा में सरकार ने बुनियादी सुविधाओं के विस्तार पर भी जोर दिया उज्ज्वला योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देना एक क्रांतिकारी कदम था। इसने न केवल महिलाओं को धुएं वाले चूल्हे से मुक्ति दिलाई, बल्कि स्वास्थ्य और समय की भी बचत की।

महिलाओं को लकड़ी इकट्ठा करने और धुएं में खाना बनाने के बोझ से मुक्ति मिली, जिससे उन्हें अन्य उत्पादक गतिविधियों में शामिल होने का अवसर मिला। इसी तरह, जल जीवन मिशन के तहत हर घर तक नल से स्वच्छ जल पहुंचाने के अभियान ने बीमारियों को कम किया और जीवन स्तर को बेहतर बनाया। स्वच्छ पानी की उपलब्धता ने जल-जनित बीमारियों को कम किया है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाला खर्च बचा है और उत्पादकता बढ़ी है। स्वच्छता के लिए स्वच्छ भारत मिशन और गरीबों के लिए किफायती आवास प्रदान करने वाली पीएम आवास योजना ने भी इस बड़ी तस्वीर में महत्वपूर्ण योगदान दिया। शौचालयों के निर्माण से सार्वजनिक स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। एक सुरक्षित और स्वच्छ घर होने से लोगों के जीवन स्तर में महत्वपूर्ण सुधार होता है। ग्रामीण भारत, जहां गरीबी सबसे अधिक केंद्रित थी, पर विशेष ध्यान दिया गया। सड़कों, बिजली और डिजिटल कनेक्टिविटी के विस्तार ने गांवों को नए अवसरों से जोड़ा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की। प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों को शहरों से जोड़ा, जिससे कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंचाना आसान हो गया और ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि रोजगार के अवसर बढ़े। सौभाग्य योजना के तहत बिजली की पहुंच ने ग्रामीण जीवन को बदल दिया, शिक्षा और छोटे व्यवसायों के लिए नए रास्ते खोले।

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 डिजिटल इंडिया पहल ने गांवों को मुख्यधारा से जोड़ा, जिससे सरकारी सेवाओं तक पहुंच आसान हुई और सूचना का प्रसार बढ़ा। सरकार ने युवाओं को रोजगार योग्य बनाने और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों और योजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जैसे कार्यक्रमों ने युवाओं को उद्योग प्रासंगिक कौशल प्रदान किए, जिससे उनकी रोजगार क्षमता बढ़ी।

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-रंजना मिश्रा
यह लेखक के अपने विचार हैं।

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