मोटे अनाज क्यों हैं इतने महत्वपूर्ण?

भारत में मोटे अनाजों की खेती सदियों से की जाती रही है

मोटे अनाज क्यों हैं इतने महत्वपूर्ण?

सिंधु घाटी सभ्यता यानी लगभग 3000 ईसा पूर्व भारत में मोटे अनाजों की खेती होती थी, इसके साक्ष्य पाए गए हैं। जानकारों के अनुसार सबसे पहले भारत से ही मोटे अनाज की कई किस्मों की खेती की शुरुआत हुई थी।

कोविड महामारी, जलवायु परिवर्तन तथा रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूरी दुनिया में खाद्य सुरक्षा को लेकर बड़ी चिंता बनी हुई है, क्योंकि वर्तमान की वैश्विक परिस्थितियों के कारण खाद्य उत्पादन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे खाद्य संकट की स्थिति पैदा हो सकती है और इस वजह से भुखमरी और कुपोषण जैसे हालात बन सकते हैं। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को जोखिम से बचाने के लिए मोटे अनाजों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही इसके उपभोग को बढ़ाने के लिए, इसे लोकप्रिय बनाने के भी भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं। मोटे अनाज छोटे-छोटे दानों वाले ऐसे अनाज होते हैं, जो पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनके अंतर्गत ज्वार, बाजरा, मक्का, जौ, मडुवा, कंगनी, कुटकी, रागी, कोदों, चीना, और सावां जैसे कई अनाज आते हैं, जो फाइबर व पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसीलिए इन्हें सुपरफूड भी कहा जाता है। कृषि मंत्रालय ने 10 अप्रैल 2018 को इसे पोषक अनाज घोषित किया था। 
विशेषज्ञों का मानना है कि पोषक अनाजों से 3.5 गुना ज्यादा पोषण प्राप्त होता है। इनमें बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि खनिज लवण और विटामिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इनमें पोषण के साथ-साथ औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं, जिससे शरीर की पाचन क्रिया मजबूत होती है तथा ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार ये ओजवर्धक और बलवर्धक होते हैं। मोटे अनाजों को अपने भोजन में शामिल करने से कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है तथा ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल आदि कई बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। आईसीएआर और भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसारए मोटे अनाजों में लगभग 7.12 फीसदी प्रोटीन, 2.5 फीसदी वसा, 65.75 फीसदी कार्बोहाइड्रेट और 15.20 फीसदी खाने वाला फाइबर होता है। जई यानी ओट्स जो आजकल सुबह नाश्ते में खाया जाता है, काफी पौष्टिक होता है और इसमें फाइबर बहुत ज्यादा होता है।

भारत में मोटे अनाजों की खेती सदियों से की जाती रही है। सिंधु घाटी सभ्यता यानी लगभग 3000 ईसा पूर्व भारत में मोटे अनाजों की खेती होती थी, इसके साक्ष्य पाए गए हैं। जानकारों के अनुसार सबसे पहले भारत से ही मोटे अनाज की कई किस्मों की खेती की शुरुआत हुई थी। इसके अलावा पश्चिम अफ ्रीका, चीन और जापान आदि देशों में भी मोटे अनाज की कई अन्य किस्मों का विकास किया गया। वर्तमान में 130 से अधिक देशों में मोटे अनाजों की खेती होती है और ये एशिया और अफ्र ीका के लगभग 50 करोड़ से अधिक लोगों का पारंपरिक भोजन बन चुका है। मोटे अनाजों को कम उपजाऊ भूमि और कम पानी में उगाया जा सकता है। इसलिए गेहूं और चावल जैसे अनाजों की अपेक्षा इन्हें उगाना आसान होता है। इनमें कीटों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। इसके अलावा इन्हें उर्वरकों व खादों की कम आवश्यकता होती है, जिससे इनकी उत्पादन लागत काफी कम हो जाती है। इस कारण गरीब किसान भी इनकी खेती आसानी से कर सकते हैं और अधिक लाभ कमा सकते हैं। विश्व स्तर पर मोटे अनाजों की सबसे प्रमुख फसल ज्वार है। इसके प्रमुख उत्पादक देश यूएसए, चीन, आॅस्ट्रेलिया, भारत, अर्जेंटीना, नाइजीरिया और सूडान हैं। इतिहास के प्राथमिक स्रोतों से पता चलता है कि मनुष्यों ने सबसे पहले ज्वार की ही खेती की थी। इसके अलावा बाजरा एक दूसरी प्रमुख फसल है, जो भारत और कुछ अफ्रीकी देशों में प्रमुख रूप से उपजाया जाता है। भारत में अधिकांश मोटे अनाजों की खेती खरीफ  के मौसम में होती है। 

कृषि मंत्रालय के अनुसार, देश में 2015-16 से 2019-20 तक मोटे अनाजों का उत्पादन 44.01 मिलियन टन था। 2018-19 के दौरान सकल कृषि उत्पादन में मोटे अनाजों का योगदान लगभग 7 फीसदी तक रहा। इनमें मुख्य रूप से बाजरा, ज्वार और रागी का उत्पादन किया गया। भारत में अधिकांश मोटे अनाज गुजरात, राजस्थान, महाराष्टÑ, कर्नाटक आदि राज्यों में उपजाए जाते हैं। भारत में ज्वार की खेती मुख्य रूप से महाराष्टÑ, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में होती है तथा बाजरे का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्टÑ हैं। जौ की पैदावार सबसे ज्यादा राजस्थान और उत्तर प्रदेश में है तो रागी कर्नाटक और उत्तराखंड में उगाई जाती है। साल 2020-21 के दौरान देश में ज्वार का उत्पादन लगभग 4.78 मिलियन टन और बाजरे का उत्पादन लगभग 10.86 मिलियन टन हुआ था। वर्ष 2020-21 में महाराष्टÑ ने ज्वार का और राजस्थान ने बाजरे का देश में सबसे अधिक उत्पादन किया था।

-रंजना मिश्रा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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