शिव परिवार का मंदिर दिखने के साथ ही उमड़ती है श्रद्धा
पार्किंग की समस्या के कारण मांगलिक आयोजन तो अब नहीं होते, लेकिन रियायती दरों पर रुकने की व्यवस्था आज भी है
करीब दो करोड़ 37 लाख रुपए की लागत से कुछ नया निर्माण कार्य कराने की योजना तैयार
जयपुर। शहर के चांदपोल बाजार स्थित श्री माहेश्वरी सेवा सदन में प्रवेश के साथ ही प्राचीन शिव परिवार का मंदिर दिखाई पड़ता है, तो मन में श्रद्धा के भाव उमड़ते हैं। धर्मशाला की स्थापना पुराने मकान को तुड़वाकर की गई थी। भवन की चौड़ाई पूर्व से पश्चिम 72 फीट और लम्बाई उत्तर से दक्षिण 102 फीट है। वर्ष 1959 में पुराने मकान को तुड़वाकर 10 अक्टूबर, 1959 को धर्मशाला का शिलान्यास हुआ और 18 अक्टूबर,1962 को इसमें यात्रियों को ठहराना शुरू कर दिया गया। वक्त के साथ ही इसमें बदलाव होता रहा और इसके रखरखाव पर विशेष ध्यान दिया गया। धर्मशाला की स्थापना के आरम्भिक दौर में यहां पर सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन होते रहते थे, लेकिन बाद में पार्किंग की समस्या के कारण अब यहां आयोजन तो नहीं होते, लेकिन रियायती दरों पर रुकने की व्यवस्था आज भी बनी हुई है। बहुत ही मामूली किराए पर एसी और अन्य कमरे किराए पर दिए जाते हैं।
कौन बने धर्मशाला की प्रेरणा
इसके इतिहास को खंगाला जाए तो इस पुराने मकान के मालिक हरबक्स साबू थे। इनके एक पुत्र मोहरी लाल और एक पुत्री गौराबाई थीं। पुत्र मोहरी लाल के स्वर्गवास हो जाने पर चम्पालाल साबू को लोसल से गोद लिया, लेकिन उनके संतान नहीं होने पर गोपीकृष्ण को जयपुर से गोद लिया गया। उनका भी अल्प आयु में ही निधन हो गया। अब चम्पालाल साबू की पत्नी पांचीबाई और गोपीकृष्ण की पत्नी पुखराज बाई दोनों सास-बहू विधवा रह गईं। ऐसे में उनके मन में विचार कौंधा कि एक धर्मशाला बनाई जाए। इस पर श्रीचम्पालाल गोपीकृष्ण साबू ट्रस्ट जयपुर बनाकर उसका रजिस्ट्रेशन कराया गया। ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष जमनालाल झंवर और सीताराम पटवारी प्रथम मंत्री चुने गए। मंत्री सीताराम पटवारी ने वर्ष 1959 में पुराने मकान को तुड़वाकर 10 अक्टूबर, 1959 को इसका शिलान्यास माहेश्वरी समाज के अध्यक्ष प्रभुदयाल लोईवाल ने किया। तीन साल बाद उसका 18 अक्टूबर,1962 के दिन से इसमें यात्रियों को ठहराना शुरू कर दिया गया।
भविष्य की योजनाएं
भवन के बने हुए करीब छह दशक पूरे हो गए हैं, ऐसे में इसकी सम्पूर्ण मरम्मत और जीर्णोद्धार कराए जाने की आवश्यकता है। भवन पर करीब दो करोड़ 37 लाख रुपए की लागत से कुछ नया निर्माण कार्य कराने की योजना तैयार की गई है।
क्या-क्या बना है-धर्मशाला में
धर्मशाला में वर्तमान में 71 कमरे बने हुए हैं, जिसमें से 23 कमरे वातानुकूलित हैं। एक वातानुकूलित हॉल और अन्य साधारण कमरे सिंगल और डबल बेड के हैं। भवन में लिफ्ट की सुविधा भी है।
धर्मशाला का संचालन उन नियमों से ही होता है, जो स्थापना के समय तय किए गए थे। समय-समय पर इसमें सुधार कार्य होते रहे, लेकिन अब पूरे भवन का नवीनीकरण प्रस्तावित है। समाज के सहयोग से पूरे भवन
में कई सारे बदलाव प्रस्तावित हैं।
-प्रकाश माहेश्वरी,
भवन मंत्री, श्री माहेश्वरी सेवा सदन,जयपुर
आज जयपुर में कई होटल खुल गए, लेकिन धर्मशाला का आज भी महत्व बना हुआ है। ट्रस्ट की सदैव चिंता यह बनी रहती है कि और क्या यात्रियों के लिए बेहतर किया जा सकता है। इसकी स्थापना के समय से ही इसे एक मुकाम पर पहुंचाना ही हम सभी का लक्ष्य रहा है,उसी का परिणाम है कि आज भी देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां आते रहते हैं।
अरुण खटोड़, उपाध्यक्ष, श्रीमाहेश्वरी सेवा सदन,चांदपोल,जयपुर

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