समाज के नवनिर्माण के लिए आजादी की लड़ाई जैसा संघर्ष आवश्यक
लैंगिक समानता को लेकर अन्तरराष्टीय कॉन्फ्रेंस
जिससे महिला सशक्तीकरण, जेंडर संवेदीकरण के संबंध में सामाजिक चेतना जागृत हो सके।
जयपुर। लैंगिक समानता और समाज के नवनिर्माण के लिए आज देश में आजादी की लड़ाई जैसा संघर्ष आवश्यक है। यह बात विख्यात नारीवादी कार्यकर्ता आभा भैया ने रूवा के स्वर्ण जयंती वर्ष में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के समापन पर कही। उन्होंने कहा कि आंदोलन और विमर्श के समन्वय से ही नारीवादी चेतना को सशक्त किया जा सकता है। कॉन्फ्रेंस के समापन समारोह के सम्मानित अतिथि के रूप में बोलते हुए पद्मश्री डॉ. माया टंडन ने राजस्थान में महिलाओं के सशक्तीकरण में रूवा की महती भूमिका का उल्लेख किया। इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राजस्थान विश्वविद्यालय की प्रथम कार्यवाहक महिला कुलपति रही प्रोफेसर कांता आहूजा ने अपील की कि ऐसी संस्थाओं का विकास किया जाए, जहां स्त्रियां अपने व्यक्तित्व के निर्माण को प्राथमिकता दें।
ज्ञातव्य है कि रूवा के स्वर्ण जयंती वर्ष के तहत राजस्थान विश्वविद्यालय महिला संस्था (रुवा) एवं यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र राजस्थान विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 4 व 5 जनवरी से लैंगिक समानता के विविध आयामों एवं वर्तमान स्थिति विषय पर यूजीसी, एमएमटीटीसी, जेएलएन मार्ग पर दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ। कॉन्फ्रेंस के आखिरी तकनीकी सत्र में महिलाआंदोलनों से जुड़ी प्रख्यात वक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने अनुभव साझा किए। जिससे महिला सशक्तीकरण, जेंडर संवेदीकरण के संबंध में सामाजिक चेतना जागृत हो सके।
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