छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े स्थलों के दर्शन कराएगी भारत गौरव एक्सप्रेस
महालक्ष्मी मंदिर में भी पर्यटकों को दर्शन कराए जाएंगे
छत्रपति शिवाजी महाराज की कथा को प्रदर्शित करने वाला सबसे बड़ा ऐतिहासिक थीम पार्क है। पर्यटक यहां मराठा शासक की जीवन कहानी 3डी में देखेंगे और अन्य इंटरैक्टिव सत्रों का आनंद लेंगे।
जयपुर। छत्रपति शिवाजी महाराज के 351वें राज्याभिषेक समारोह के अवसर पर उनसे जुड़े स्थलों के दर्शन कराने के लिए भारतीय रेलवे खान-पान एवं पर्यटन निगम लिमिटेड आईआरसीटीसी ने सोमवार से भारत गौरव एक्सप्रेस का संचालन करेगा। इसके लिए सभी सीटें बुक हो चुकी है। भारत गौरव ट्रेन टूर 9 जून को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस मुंबई से रवाना होगी। यह ट्रेन रायगढ़ किला, शिवनेरी किला, प्रतापगढ़ किला, पन्हाला किला, लाल महल, कस्बा गणपति और शिवसृष्टि जैसे ऐतिहासिक स्थलों को कवर करेगी, जो महान छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाते हैं। इसके साथ ही भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग और कोल्हापुर में महालक्ष्मी मंदिर में भी पर्यटकों को दर्शन कराए जाएंगे।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण ने बताया कि इस ट्रेन में कुल 710 यात्री सफर करेंगे जिसमें 480 यात्री इकोनॉमी स्लीपर में, 190 यात्री कम्फर्ट थर्ड एसी और 40 यात्री सैकंड एसी में बुक किए गए हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के दर्शन के लिए यह ट्रेन 9 जून को रायगढ़ पहुंचेगी। छत्रपति शिवाजी महाराज सर्किट एक विशेष रूप से क्यूरेट किया गया टूर है, जो पांच रातों छह दिनों की यात्रा में छत्रपति शिवाजी महाराज के गौरवशाली इतिहास और भव्य विरासत को प्रदर्शित करता है। यह टूर महाराष्ट्र सरकार, भारतीय रेलवे के बीच एक संयुक्त सहयोग है। छह दिनों का यात्रा कार्यक्रम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस मुंबई से शुरू होगा। पहले दिन रेलगाड़ी कोंकण रेलवे नेटवर्क पर माणगांव रेलवे स्टेशन पर पहुंचेगी, यहां रायगढ़ किले के लिए जाना जाता है जहां छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था और बाद में यह उनकी राजधानी थी।
दर्शनीय स्थलों की यात्रा पूरी होने पर पर्यटक वापस ट्रेन में लौट आएंगे क्योंकि यह अगले गंतव्य पुणे के लिए आगे बढ़ेगी, जहां पर्यटक रात का भोजन करेंगे और पुणे के होटल में रात बिताएंगे। दूसरे दिन यह ट्रेन पुणे में लाल महल, कस्बा गणपति और शिवसृष्टि के दर्शन कराए जाएंगे। वर्तमान संरचना का पुनर्निर्माण 1984 में उस भूमि के एक हिस्से पर किया गया था, जहां लाल महल खड़ा था और इसमें तेल चित्रों का एक विशाल संग्रह है जो छत्रपति शिवाजी महाराज के महत्वपूर्ण जीवन की घटनाओं को दर्शाता है। पुणे के पीठासीन देवता कस्बा गणपति का मंदिर 1893 का है और माना जाता है कि इसे छत्रपति शिवाजी महाराज की मां जीजाबाई ने बनवाया था। तब से शहर को गणेश के शहर के रूप में जाना जाता है। इसके बाद दिन में पर्यटक शिवसृष्टि का दौरा करेंगे।
जो छत्रपति शिवाजी महाराज की कथा को प्रदर्शित करने वाला सबसे बड़ा ऐतिहासिक थीम पार्क है। पर्यटक यहां मराठा शासक की जीवन कहानी 3डी में देखेंगे और अन्य इंटरैक्टिव सत्रों का आनंद लेंगे। तीसरे दिन पर्यटक शिवनेरी की यात्रा करेंगे। यह छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मस्थली है और मुस्लिम शासन के खिलाफ मराठा गौरव और प्रतिरोध का प्रतीक है। दोपहर पर्यटक रात्रि विश्राम के लिए पुणे लौटने से पहले 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर का दर्शन करेंगे।
यात्रा कार्यक्रम के चौथे दिन पर्यटक सतारा रवाना होंगे और प्रमुख स्थल प्रतापगढ़ किला देखेंगे जो 1659 में छत्रपति शिवाजी महाराज और बीजापुर सल्तनत के जनरल अफजल खान के बीच हुए प्रतापगढ़ युद्ध के कारण अत्यधिक ऐतिहासिक महत्व रखता है। इस युद्ध ने मराठा साम्राज्य की स्थापना के लिए मंच तैयार किया था। इसके बाद पर्यटक महालक्ष्मी मंदिर जाएंगे जिसे अम्बाबाई के नाम से जाना जाता है और उसके बाद पन्हाला किला जाएंगे। सह्याद्री पर्वतमाला के ऊपर स्थित यह पहाड़ी किला कई लड़ाइयों का गवाह है, छत्रपति शिवाजी ने 500 से अधिक दिन वहां बिताए थे। यहां उन्हें बंदी बनाकर रखा गया था और बाद में वे भाग निकले थे। पन्हाला किले को सांपों का किला भी कहा जाता है, क्योंकि यह आकार में टेढ़ा मेढ़ा है। यह किला छत्रपति शिवाजी और शंभाजी के जीवन इतिहास से जुड़ा हुआ है। इसके बाद ट्रेन मुंबई के लिए रवाना होकर 6वें दिन सुबह मुंबई पहुंचेगी।

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