जमानती वारंट से तलब आरोपी को बिना ठोस कारण जेल ना भेंजे निचली अदालत : हाईकोर्ट
अभिरक्षा में लेकर जेल भेजना उचित नहीं
जस्टिस अनिल कुमार उपमन की एकलपीठ ने यह आदेश राजदेव मीणा की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए दिए।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि निचली अदालत की ओर से किसी मामले में आरोपी को समन या जमानती वारंट से तलब करने के बाद बिना किसी ठोस कारण उसे न्यायिक अभिरक्षा में नहीं भेजना चाहिए। मनोहर लाल सैनी के मामले में खंडपीठ 2 दिसंबर, 2015 को यह निर्धारित कर चुकी है। ऐसे में उस आदेश की प्रति प्रदेश के सभी न्यायिक अधिकारियों को अध्ययन के लिए भेजी जाए। अदालत ने इसके लिए रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश की कड़ाई से पालना सुनिश्चित करने को कहा है। अदालत ने निचली अदालत की ओर से पॉक्सो प्रकरण में जमानती वारंट से तलब किए गए आरोपी याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस अनिल कुमार उपमन की एकलपीठ ने यह आदेश राजदेव मीणा की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए दिए।
अदालत ने कहा कि पूर्व में कई मामलों में कहा जा चुका है कि जो आरोपी समन या जमानती वारंट की पालना में अदालत में पेश होते हैं, उन्हें बिना किसी अतिरिक्त ठोस कारण के न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेजना उचित नहीं है। जमानती वारंट से तलब करना जमानत देने के समान ही है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता जमानती वारंट की पालना में पेश हुआ और जमानत अर्जी भी पेश की, लेकिन निचली अदालत ने उसकी जमानत अर्जी खारिज कर बिना वैध कारण उसे जेल भेज दिया। याचिका में अधिवक्ता दीपक चौहान ने अदालत को बताया कि नाबालिग से दुष्कर्म के प्रकरण में प्रतापनगर थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया था। जिसमें आरोप पत्र पेश किया गया। बाद में निचली अदालत ने गत 6 फरवरी को पत्रावली के साक्ष्य के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए उसे समन के जरिए तलब किया था। मामले में सह आरोपी को पूर्व में जमानत मिल चुकी है। ऐसे में याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आरोपी को जमानत पर रिहा करते हुए सभी न्यायिक अधिकारियों को खंडपीठ के आदेश की कॉपी भेजने को कहा हैं।
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