राजस्थान में ओपीएस के लिए 41 हजार करोड़ की दरकार, ओपीएस पर रार केन्द्रीय वित्त मंत्री के जवाब के बाद राज्य सरकार ने पीएम को लिखा पत्र
राज्य से नहीं, कर्मचारियों के साथ केन्द्र का एनपीएस पर समझौता
पीएफआरडीए एक्ट के तहत राज्य के कर्मचारियों ने फंड में जमा राशि में से स्वयं के हिस्से की राशि विड्रो करते हुए करीब 590 करोड़ रुपए निकाले। राज्य सरकार ने इन कर्मचारियों को विड्रो की राशि जमा करने के निर्देश दिए।
ब्यूरो/नवज्योति, जयपुर। ओपीएस को लेकर चुनावी साल में केन्द्र और राज्य के बीच रार जारी है। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के जवाब के बाद अब राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। इस पत्र के जरिए राज्य सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम के तहत पीएफआरडीए में जमा राजस्थान का 39000 करोड़ वापस लौटाने का आग्रह किया है। वहीं दूसरी ओर पंजाब, हिमाचल, छत्तीसगढ़ की राज्य सरकारों ने भी राजस्थान की तर्ज पर ओपीएस लागू कर चुकी है।
केन्द्र का क्या है जवाब
राजस्थान सरकार ओपीएस लागू करने के बाद केन्द्र से न्यू पेंशन स्कीम के तहत पीएफआरडीए में जमा 29000 करोड़ की मूल कटौती राशि के साथ 10 प्रतिशत प्रोफिट भी मांग रही है, जो कुल 39000 करोड़ है। राज्य की डिमांड पर केन्द्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से तर्क दिया गया कि एनपीएस के लिए कर्मचारियों के साथ केन्द्र का समझौता है, ऐसे में राज्य सरकार को यह राशि नहीं लौटाई जा सकती। ऐसे में अब पीएम को इस मामले में हस्तक्षेप के लिए पत्र लिखा गया है।
पीएफआरडीए से जमा का 25 फीसदी विड्रो की छूट
न्यू पेंशन स्कीम में कर्मचारियों का जो पैसा काटा गया, वह पेंशन फंड रेगुलेटरी डवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) में जमा होता था। राज्य सरकार एनपीएस को खत्म करके ओपीएस लागू कर चुकी है। इसके बाद सरकार ने पीएफआरडीए में जमा 39000 करोड़ वापस लौटाने की केन्द्र से मांग की है। पीएफआरडीए एक्ट में यह प्रावधान है कि कर्मचारी इस फंड में से खुद के हिस्से का 25 प्रतिशत पैसा कभी भी निकाल सकता हैं। ओपीएस लागू होने के बाद कई कर्मचारियों ने इस फंड से पैसा निकालना शुरू कर दिया था, जिस पर राज्य सरकार ने रोक भी लगाई।
अभी ये शामिल
राज्य सरकार के विभिन्न महकमों के 5.35 लाख राज्य कर्मचारी ओपीएस के दायरे में आ चुके है, इनका राज्यांश राशि पूरी राज्य सरकार वहन कर रही है, जबकि निगम, बोर्ड व अन्य संस्थाओं के 1.35 लाख कर्मचारियों को सौगात देने की तैयारी है। इन पर वित्त विभाग में मंथन चल रहा है। इसके लिए विकल्प भी भरवाए जा रहे है। 1.35 लाख कर्मचारियों के ओपीएस में शामिल होने पर इनकी 50 प्रतिशत हिस्सा राशि संबंधित निगम, बोर्ड वहन करेगा।
यूं जमा होता है पैसा
वर्ष 2004 से लागू हुई नई पेंशन स्कीम का निर्धारण कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न के अनुसार होता है। इसमें कर्मचारी का योगदान उसकी बेसिक सैलरी और डीए का दस प्रतिशत कर्मचारियों का प्राप्त होता है। इतना ही सहयोग राज्य सरकार देती है। पीएफआरडीए में यह पैसा जमा होता है। एक मई 2009 से एनपीएस स्कीम लागू की गई।
एनपीएस में क्या खास
वर्ष 2004 से लागू हुई नई पेंशन स्कीम का निर्धारण कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न के अनुसार होता है। इसमें कर्मचारी का योगदान उसकी बेसिक सैलरी और डीए का दस प्रतिशत कर्मचारियों का प्राप्त होता है। इतना ही सहयोग राज्य सरकार देती है। एक मई 2009 से एनपीएस स्कीम सभी के लिए लागू की गई।
ओपीएस में क्या खास...
पुरानी पेंशन स्कीम के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की 40 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में दी जाती है, क्योंकि पुरानी स्कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार होता है। इसके लिए कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं कटता है। रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है। इसमें जीपीएफ का प्रावधान है। इससे सरकारी खजाने पर ज्यादा असर पड़ता है।
विड्रो के 500 करोड़ जमा
पीएफआरडीए एक्ट के तहत राज्य के कर्मचारियों ने फंड में जमा राशि में से स्वयं के हिस्से की राशि विड्रो करते हुए करीब 590 करोड़ रुपए निकाले। राज्य सरकार ने इन कर्मचारियों को विड्रो की राशि जमा करने के निर्देश दिए। इसके लिए कई बार अंतिम तिथि भी तय की गई, लेकिन सख्ती के बाद अब तक करीब 500 करोड़ रुपए जमा हो चुके है। महज 90 करोड़ की राशि बाकी है। फिलहाल इसके जमा की अंतिम तिथि 30 सितंबर तक है।
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