राजशाही ठाठ के साथ निकली तीज माता की सवारी : छोटी चौपड़ पर राज्यपाल, उपमुख्यमंत्री, महापौर सहित गणमान्य लोग महाआरती में हुए शामिल
देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच छाया रहा तीज की सवारी का रोमांच
तीज माता की सवारी के दौरान रंग बिरंगी लहरिया साड़िया पहनकर माथे पर कलश रखकर नाचती गाती महिलाओं की झांकी ने राजस्थान की अद्भुद संस्कृति को साकार किया।
जयपुर। गुलाबी नगरी की पहचान और ऐतिहासिक तीज माता की सवारी रविवार को सिटी पैलेस स्थित जनाना ड्योढ़ी से पूजा-अर्चना के बाद राजशाही ठाठ के साथ निकली तो सवारी देखने आए लोग अपलक माता की सवारी को निहारते रहे। पूर्व राजपरिवार की सदस्य गौरवी कुमारी और पद्मनाभ सिंह ने तीज माता की पूजा-अर्चना की। इसके बाद तीज की शाही सवारी त्रिपोलिया गेट से निकाली। छोटी चौपड़ पर तीज माता की महाआरती हुई, जहां राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, मेयर कुसुम यादव सहित अन्य गणमान्य लोगों ने आरती की।
तीज माता की सवारी के रूट पर ड्रोन से पुष्पवर्षा की गई। शोभायात्रा में करीब 250 लोक कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुती दीं। लवाजमें में सजे धजे ऊंट, घोड़े और निशान के हाथी जिन पर लान्सर्स पचरंगा झण्डा लहरा रहा था। सवारी सिटी पैलेस से शुरू होकर त्रिपोलिया गेट, छोटी चौपड़, गणगौरी बाजार चौगान स्टेडियम की मुख्य सड़क से होते हुए पौंड्रिक उद्यान पहुंची, जहां पर परंपरागत रूप से तीज माता की पूजा-अर्चना की गई।
सैलानियों ने कैमरे में कैद किया सवारी का दृश्य
बड़ी संख्या में आए देशी-विदेशी पर्यटकों ने भी तीज माता की सवारी देखी। पर्यटकों ने इस रोमांच को अपने कैमरे में कैद किया। हिन्द होटल के बाहर बरामदे की छत पर पर्यटकों के बैठने व्यवस्था की गई थी।
महिलाओं ने साकार की लहरिया संस्कृति
तीज माता की सवारी के दौरान रंग बिरंगी लहरिया साड़िया पहनकर माथे पर कलश रखकर नाचती गाती महिलाओं की झांकी ने राजस्थान की अद्भुद संस्कृति को साकार किया।
आज बूढ़ी तीज माता की सवारी
सोमवार को बूढ़ी तीज की सवारी सिटी पैलसे से शाही ठाठ बाट के साथ गाजे-बाजे और लवाजमें के साथ निकलेगी।
साकार हो गई राजस्थान की संस्कृति
तीज माता की शोभायात्रा की शुरुआत में बनवारी लाल जाट की कच्छी घोड़ी की पहली झांकी दिखाई दी। इसके बाद शेखावाटी क्षेत्र के गैर नृत्य की झांकी ने दर्शकों को आकर्षित किया। बहुरुपिया कलाकारों ने नारद, कृष्ण, शंकर भोले जैसे अपने रूपों से मोहित किया। अंतराष्ट्रीय पूरणनाथ सपेरा ने अपनी मधुर स्वरलहरी से और कालबेलिया नृत्यांगनाओं ने आकर्षक प्रस्तुतियां दी। चरी नृत्य, हेला ख्याल की शानदार प्रस्तुतियों के साथ ही अंतराष्ट्रीय कठपुतली कलाकार राजू भाट ने अपनी अंगुलियों पर कठपुतलियों को नचाकर कला का परिचय दिया। नागौर के तेजपाल नागौरी के दल ने भी कच्छी घोड़ी और बांक्या वादन से समा बांध दिया। वहीं बैंड वादकों ने भी गीतों की स्वरलहरियों से माहौल को उत्सवी रंग में रंग दिया। बैल और उनके चालक लाल कपड़ों में सजे हुए थे। उनके पीछे ऊंटों की कतार, जिन पर बैठे सवार पारम्परिक राजस्थानी वेशभूषा पहने रणबांकुरी संस्कृति को साकार कर रहे थे।

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