REECC के छठे वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे समिट में जुटे पर्यावरण प्रेमी
डॉ. शर्मा ने कहा कि राजस्थान ने सैकड़ों साल पहले ही दुनिया को दे दिया था पर्यावरण संरक्षण का संदेश
जयपुर। कुछ दशकों पहले राजस्थान का हर गांव पानी के मामले में आत्मनिर्भर था। सन् 1730 में खेजड़ली, राजस्थान की धरती से अमृता देवी समेत 363 लोगों ने खेजड़ी के पेड़ों पर कुर्बान होकर दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया था।
विश्व को सीख देने वाले राजस्थानियों को पर्यावरण संरक्षण पर बात करनी पड़ रही है यह सोचने का विषय है। पीएचईडी एवं भूजल विभाग के सचिव डॉ. समित शर्मा ने मंगलवार को यह बात कहीं। वे राजस्थान एनवायरनमेंट एंड एनर्जी कंजर्वेशन सेंटर (आरईईसीसी) की ओर से विश्व पर्यावरण दिवस पर छठे वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे समिट में बतौर मुख्य अतिथि बात कर रहे थे।
डॉ. समित शर्मा ने प्रदेश में जल संरक्षण के पारंपरिक स्रोत के महत्व पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने जल संरक्षण के उपाय भी बताएं। इस मौके पर पद्मश्री जगदीश प्रसाद पारीक, पद्मश्री हुकुमचंद पाटीदार, आईएफएस पीके उपाध्याय, रिटा. आईएएस विपिन चंद्र शर्मा, डॉ. लक्ष्मीकांत शर्मा ने प्रदूषण, क्लाइमेट चेंज, जल संरक्षण पर चर्चा की। कॉलेज छात्रों व जयपुर के कलाकारों ने लाइव पेंटिंग, क्राफ्ट मेकिंग कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश साकार किया। छात्रों ने एनवायरनमेंट फ्रेंडली साइंस मॉडल भी डिसप्ले किए। आरईईसीसी के डायरेक्टर वैभव भारद्वाज ने कहा कि जिस तरह प्राकृतिक संसाधनों का सभी उपयोग कर रहे हैं उसी तरह प्रकृति संरक्षण की जिम्मेदारी भी सभी की है।
राजस्थान ने सैकड़ों साल पहले ही दुनिया को दे दिया था पर्यावरण संरक्षण का संदेश : डॉ. शर्मा
जनवरी 2020 में जोधपुर कलेक्ट्रेट पर 3 जनवरी को सर्वाधिक एक्यूआई 279, जनवरी 2024 में 17 जनवरी को जोधपुर में सर्वाधिक एक्यूआई 316 पहुंचा। श्रीनाथपुरम कोटा में 2 जनवरी 2020 को सर्वाधिक एक्यूआई 205, कोटा में 23 जनवरी 2024 को सर्वाधिक एक्यूआई 298 जा पहुंचा। जनवरी 2020 में अलवर में 1 जनवरी को सर्वाधिक एक्यूआई 114 रहा। जनवरी 2024 में अलवर में 14 जनवरी को सर्वाधिक एक्यूआई 207 पहुंचा। जनवरी 2024 में भिवाड़ी में 6 दिन प्रदूषण का स्तर 300 से अधिक रहा यानी बहुत कमजोर स्तर रहा। मई 2024 में भिवाड़ी में 2 दिन प्रदूषण का स्तर 300 से अधिक रहा। जयपुर के सीतापुरा में जनवरी 2024 में 9 दिन प्रदूषण का स्तर 300 से अधिक रहा। वैज्ञानिकों का मानना है कि सरकारी विभाग पर्यावरण प्रदूषण से बचाव के लिए चाहे जितने प्रयास करें, यह तब तक सफल नहीं होंगे, जब तक कि आम व्यक्ति जागरूक होकर अपने स्तर पर प्रदूषण कम करने के लिए उपाय नहीं करते है।

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