भूजल का अतिदोहन और गुणवत्ता में गिरावट चिंताजनक : फ्लोराइड-नाइट्रेट से कोई जिला अछूता नहीं, भूजल प्रदूषण और अतिदोहन में राजस्थान अव्वल
राज्य की औसत वार्षिक वर्षा मात्र 472.21 मिमी
राजस्थान में भूजल की स्थिति अत्यंत चिंताजनक होती जा रही है। चाहे बात भूजल की गुणवत्ता की हो, या अत्यधिक दोहन की
जयपुर। राजस्थान में भूजल की स्थिति अत्यंत चिंताजनक होती जा रही है। चाहे बात भूजल की गुणवत्ता की हो, या अत्यधिक दोहन की। राज्य का परिदृश्य देश के अन्य राज्यों ओडिशा, महाराष्टÑ और पंजाब की तुलना में सबसे गंभीर है। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भूजल में फ्लोराइड, नाइट्रेट, यूरेनियम और इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी (ईसी) की मात्रा मानकों से कहीं अधिक पाई जा रही है। भूजल दोहन की दर भी वर्ष दर वर्ष बढ़ती जा रही है, जिससे राजस्थान ओवर एक्सप्लांइटेड श्रेणी के राज्यों में अग्रणी बन गया है। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय के केन्द्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट में चिंताजनक स्थिति सामने आई हैं।
जलदाय एवं भूजल मंत्री कन्हैया लाल चौधरी के अनुसार प्रभावित क्षेत्रों में आरओ के माध्यम से जनता को शुद्ध पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है। जनसहभागिता के साथ भूजल पुनर्भरण को लेकर भी सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
गुणवत्ता प्रभावित जिले
रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के लगभग सभी जिले किसी न किसी रसायन की अधिकता से प्रभावित हैं, जिनमें प्रमुख फ्लोराइड से प्रभावितों में अजमेर, अलवर, बाड़मेर, बीकानेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, चूरू, दौसा, डूंगरपुर, जयपुर, जालौर, झुंझुनूं, जोधपुर, कोटा, नागौर, सिरोही, टोंक आदि है। नाइट्रेट से प्रभावित जिलों में अलवर, भरतपुर, बांसवाड़ा, बारां, दौसा, झालावाड़, श्रीगंगानगर है। इसी तरह यूरेनियम प्रभावित जिलों में भीलवाड़ा, बीकानेर, चूरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, नागौर, जोधपुर आदि है।
ये स्थिति सामने आई
पानी की गुणवत्ता को लेकर लिए गए सैम्पलों की जांच में सामने आया है कि ईसी के 630 सैम्पल लिए गए, जिसमें 48.57 प्रतिशत, फ्लोराइड के 630 सैम्पलों में 43.17 प्रतिशत, नाइट्रेट के 630 सैम्पलों में 49.52 प्रतिशत और यूरेनियम के 627 सैम्पलों में 21.2 प्रतिशत मानकों से अधिक पाया गया है। अर्थात इससे स्पष्ट होता है कि भूजल में नाइट्रेट की अधिकता सबसे ज्यादा सामने आई है, जहां 50 प्रतिशत सैम्पल तय सीमा से ऊपर पाए गए। यह आंकड़ा ओडिशा की तुलना में चार गुना अधिक है। ओडिशा में इसका प्रतिशत 14.4 है। फ्लोराइड, यूरेनियम और ईसी की अधिकता से राज्य के कई जिलों में दांत, हड्डी और किडनी से जुड़ी बीमारियों का फैलाव हो रहा है।

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