आईडी नहीं थी, तो दसवीं की मार्कशीट दिखाकर फ्लाइट से मुम्बई गया : सुरेश अलबेला
आज 27 देशों में कवि सम्मेलन कर चुका हूं
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हंसना बहुत जरूरी है।
जयपुर। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हंसना बहुत जरूरी है। क्योंकि लोग घर, बाहर सहित कई तरह के तनावों से घिरे हुए हैं। ऐसे में कविता के माध्यम से उनकी तनाव भरी जिंदगी में कुछ पल हंसी के आ जाएं, तो इससे अच्छी बात और क्या होगी? ये कहना है हास्य कवि सुरेश अलबेला का। उन्होंने कहा कि मैं टेंशन नहीं लेता क्योंकि इससे दिमाग पर लोड पड़ता है। हां,अमीर का घर वही है, जहां बुजुर्ग एवं बच्चे मुस्करा रहे हों। क्योंकि ऑफिस से थका मांदा व्यक्ति जब घर आता है, तो बच्चों की मुस्कराहट से व्यक्ति की थकान दूर हो जाती है और बुजुर्गों के आशीर्वाद और उनके ज्ञान से बड़ी से बड़ी कठिनाइयां पलभर में दूर हो जाती हैं।
कुछ नया सुनाना सबसे बड़ा चैलेंज :
हास्य कवि सुरेश अलबेला का कहना है कि आज के समय में देशभर में हजारों की तादाद में कवि सम्मेलन होते हैं। ऐसे में हर कवि सम्मेलन में लोगों को नई कविताएं सुनाना सबसे बड़ा चैलेंज है। क्योंकि ये जमाना सोशल मीडिया का है, आजकल लोग यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर सब सुन और देख लेते हैं। हम भी रोज-रोज कहां से नई-नई हास्य कविताएं लिखें। इसके बावजूद लोगों को मुस्कुराने के लिए कुछ न कुछ लिखते रहते हैं।
बडे समारोह के रूप में होते थे कवि सम्मेलन :
सुरेश अलबेला का कहना था कि पहले के जमाने में सोशल मीडिया नहीं हुआ करता था। साथ ही की-पेड वाले फोन ही हुआ करते थे। उस समय कवि सम्मेलनों का आयोजन जश्न की तरह होता था। बड़ा समारोह माना जाता था। अब लोग मोबाइल फोन और सोशल मीडिया के माध्यम से घर बैठे ही कविताएं देख और पढ़ रहे हैं। एक तरह से मोबाइल और सोशल मीडिया ने लोगों की आउटडोर एक्टिविटी पर प्रतिबंध सा लगा दिया है। पुराने कवियों की बात करें तो वे सोशल मीडिया के बारे में नहीं जानते थे। अब 21वीं सदी में कवि इनका बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इनके फॉलोअर्स की संख्या भी बढ़ रही है।
जिंदगी जीरो मान रहा था लेकिन इनाम में खुले 900 रुपए :
अलबेला का कहना था कि मेरे सफर की शुरुआत बड़ी रोचक और रोमांचक रही है। मेरी जन्म भूमि चौथ का बरवाड़ा है, कोटा मेरी कर्म भूमि है। जैसे जैसे बड़ा होने लगा, तो हंसी मजाक के छोटे कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगा। इस बीच जयपुर में लॉफ्टर चैलेंज वालों ने ऑडिशन देने के लिए मुझ से सम्पर्क किया। उन्होंने कहा कि आपको ऑडिशन देने जयपुर आना है। लेकिन बड़ी समस्या ये थी कि मेरे पास पैसे नहीं थे। इस बीच अप्रेल 2007-08 में एक सज्जन का फोन आया कि जयपुर में महामूर्ख कवि सम्मेलन है। परंतु समस्या ये थी कि उसी दिन दोपहर में ऑडिशन भी था। ऐसे में जल्द ही एक मित्र से सौ रुपए उधार लिए। लेकिन सौ रुपए में मुझे मजा नहीं आया। एक दुकान पर इनाम खुलने वाली पर्ची पर दांव लगाया। दुकान वाले ने पूछा क्या नम्बर खोलूं तो मैंने भी कह दिया कि जिंदगी वैसे भी जीरो है, जीरो नम्बर खोल दो। फिर क्या था जीरो नम्बर पर ही 900 रुपए का इनाम खुला।
सलेक्शन के बाद किया मुम्बई का रुख :
सुरेश अलबेला ने बताया कि मुम्बई से मेरे पास लॉफ्टर चैलेंज वालों का फोन आया कि आप ऑडिशन में सलेक्ट हो गए हैं। अब आपको शो में हिस्सा लेने के लिए मुम्बई आना है। उन्होंने कहा कि फ्लाइट का टिकट कहां से बनाना है तो मैंने भी कह दिया कि कोटा से। थोड़ी देर बाद उनका कॉल आया कि यहां से नहीं हो पाएगा तो मैंने कहा जयपुर से बना दीजिए। टिकट बना और मेरे पास कोरियर से आया। अब समस्या ये थी कि मेरे पास आईडी नहीं थी तो 10वीं की मार्कशीट दिखाकर फ्लाइट में बैठकर मुम्बई के लिए रवाना हुआ। मुम्बई में लॉफ्टर चैलेंज का विनर भी रहा। इसके बाद मैं अब तक करीब 27 देशों में कवि सम्मेलन कर चुका हूं।
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