एम्स में ब्रेन डेड शिक्षक के अंगदान से दो लोगों को नया जीवन : सेवाराम प्रजापति दुनिया को अलविदा कहने से पहले दे गए मानवता की अनमोल सीख
अंगदान करके हम मृत्यु के बाद भी जीवन की लौ जला सकते हैं
अंग समय पर और सुरक्षित तरीके से जयपुर पहुंच सके, इसके लिए जोधपुर से जयपुर के बीच ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जिसमें ट्रैफिक पुलिस और अस्पताल प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
जोधपुर। कहते हैं कि शिक्षक केवल कक्षा तक सीमित नहीं होते, वे जीवन भर अपने आचरण से भी सिखाते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण पेश किया जोधपुर के झालामंड क्षेत्र निवासी 47 वर्षीय शिक्षक सेवाराम प्रजापति ने, जिन्होंने मृत्यु के बाद भी दो जिंदगियों को जीवनदान देकर मानवता की मिसाल कायम कर दी। एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद उन्हें एम्स जोधपुर लाया गया, जहां उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया। इसके बाद उनके परिवार ने भावनात्मक समय में साहस दिखाते हुए उनके दोनों गुर्दों को अंगदान करने का निर्णय लिया। सेवाराम के एक गुर्दे का प्रत्यारोपण जोधपुर स्थित एम्स में एक स्थानीय मरीज को किया गया, जबकि दूसरा गुर्दा जयपुर के एसएमएस अस्पताल भेजा गया। अंग समय पर और सुरक्षित तरीके से जयपुर पहुंच सके, इसके लिए जोधपुर से जयपुर के बीच ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जिसमें ट्रैफिक पुलिस और अस्पताल प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
एम्स जोधपुर की टीम का उल्लेखनीय योगदान
इस संवेदनशील प्रक्रिया में एम्स जोधपुर की चिकित्सा टीम ने प्रमुख भूमिका निभाई। कार्यकारी निदेशक प्रो. गोवर्धन दत्त पुरी के नेतृत्व में, ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के चेयरमैन डॉ. एएस संधू, नोडल ऑफिसर डॉ. शिवचरण नवड़िया, और ब्रेन डेथ डिक्लेरेशन टीम सहित यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, एनेस्थीसिया तथा प्रशासन विभाग का पूर्ण सहयोग रहा। यह टीमवर्क ही इस जटिल प्रक्रिया को सुचारु रूप से संपन्न करने में सक्षम रहा।
ग्रीन कॉरिडोर बना जीवन का मार्ग
सेवाराम के अंगों के सफल प्रत्यारोपण के लिए अंग आवंटन की प्रक्रिया सोटो के समन्वय से संपन्न हुई। जयपुर भेजे गए अंग के लिए बनाई गई ग्रीन कॉरिडोर व्यवस्था ने ट्रैफिक बाधाओं को दूर कर समय की बचत की, जिससे प्रत्यारोपण समय पर और सफलतापूर्वक हो सका।
अंगदान: मृत्यु के बाद भी जीवन की अलख
सेवाराम प्रजापति की यह प्रेरणादायक गाथा न केवल उनके परिवार के साहसिक निर्णय की परिचायक है, बल्कि यह समाज को यह भी सिखाती है कि अंगदान करके हम मृत्यु के बाद भी जीवन की लौ जला सकते हैं। अंगदान केवल एक चिकित्सकीय प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह भावनात्मक और मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा एक महान कार्य है।
एक परिवार, अनेक जिंदगियों की आशा
सेवाराम के परिवार ने इस दु:खद घड़ी में जो निर्णय लिया, वह अनेक परिवारों के लिए आशा की किरण बना। एम्स जोधपुर ने भी उनके इस महान निर्णय पर गहरी कृतज्ञता व्यक्त की है और उनके निस्वार्थ योगदान को सादर नमन किया है। यह कहानी निश्चित ही आने वाले समय में कई लोगों को अंगदान जैसे पुण्य कार्य के लिए प्रेरित करेगी।
एम्स जोधपुर का कैडेवरिक ट्रांसप्लांट कार्यक्रम
एम्स जोधपुर में मार्च 2024 से शुरू हुए कैडेवरिक ट्रांसप्लांट कार्यक्रम के तहत यह 8वां अंगदान है। अब तक मृतक दाताओं से 8 किडनी और 11 लीवर के प्रत्यारोपण किए जा चुके हैं। यदि जीवित और मृतक दोनों प्रकार के दानकताअरं को मिलाकर देखा जाए तो एम्स जोधपुर में अब तक 75 किडनी और 25 लीवर ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किए गए हैं। ये सभी प्रत्यारोपण आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत किए जा रहे हैं, जिससे मरीजों को आर्थिक राहत भी मिलती है।

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