पशुओं के चारे पर भी पड़ी महंगाई की मार, घास की खुदाई कर रहे किसान
पशु पालक किसानों के सामने चारे का संकट
महंगा चारा पशुओं को मोल खरीदकर खिलाना पशुपालकों के बूते से बाहर दिखाई दे रहा है। इन दिनों महंगाई की मार हर क्षेत्र में दिखाई दे रही है।
सांभरझील। गुढ़ा साल्ट मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्र में इन दिनो पशुओं के लिए चारे की कटाई ट्रेक्टर की सहायता से की जा रही है। गौरतलब है, कि महंगाई की मार अब पशुओं के चारे पर भी पड़ रही है। किसान रामकुमार लोरा ने बताया कि पशुओं का सूखा चारा इन दिनो 700 रुपए मण के हिसाब से बिक रहा है। इसलिए पशु पालक किसानों के सामने चारे का संकट खड़ा हो गया है। महंगा चारा पशुओं को मोल खरीदकर खिलाना पशुपालकों के बूते से बाहर दिखाई दे रहा है। इन दिनों महंगाई की मार हर क्षेत्र में दिखाई दे रही है। इसका असर पशुओं के चारे पर भी दिखाई पड़ रहा है। रबी कि फसल बुआई का समय चल रहा है, लेकिन सूखे चारे के दाम आसमान पर चढ़े हुए हैं।
सूखे चारे के दाम पहली बार इतने महंगे बताए जा रहे हैं। एक एकड़ सूखे चारे की औसत लगाई जाए तो एक मन 40 किलो ग्राम सूखा चारा करीब 700 रुपए में पड़ रहा है। आसमान छूते इन भावों ने पशुपालक किसानों की चिता बढ़ा दी है। किसानों का कहना है कि उन्होंने इतने महंगे दाम पहले कभी नहीं देखे। सात सौ रुपए मण महंगे चारे को देखते हुए कठिन परिश्रम कर घास की खुदाई में लगे हुए हैं। उन्होन्ंो कहा है कि अगर चारे के दामों में यही बढ़ोतरी रही तो पशुओं को चारे का संकट पैदा हो सकता है। वहीं चारे के बढ़े दामों के कारण कुछ पशुपालक किसान अपने पशुओं को बेचने की सोचने लगे हैं। सोहन देवी, ओमप्रकाश, नीतेश लोरा, गजराज सहित कई किसान और महिलाएं चारा एकत्रित करते नजर आए।

Comment List