नाटक में दिखे नक्सलवाद और आदिवासी विस्थापन जैसे मुद्दे
मानव कौल के निर्देशन में खेला नाटक पार्क
कहानी हल्की-फुल्की नोकझोंक से शुरू होकर जगह, जमीन और मालिकाना हक को लेकर एक गंभीर संघर्ष में बदल जाती है।
जयपुर। जवाहर कला केन्द्र में चल रहे नटराज महोत्सव के चौथे दिन सोमवार को रंगायन सभागार में नाटक पार्क का मंचन हुआ। मानव कौल के निर्देशन में हुए नाटक को अभिनेता सुमित व्यास, गोपाल दत्त और शुभ्रज्योति बरत की प्रस्तुति ने खास बनाया। पार्क का दृश्य साकार होने के साथ नाटक की शुरुआत होती है। यह कहानी तीन बेंच और तीन अंजान लोगों के ईद-गिर्द घूमती है।
तीनों में बेंच पर बैठने को लेकर खींचतान होती है। कहानी हल्की-फुल्की नोकझोंक से शुरू होकर जगह, जमीन और मालिकाना हक को लेकर एक गंभीर संघर्ष में बदल जाती है। कोई भी अपनी जगह से आसानी से नहीं उठता। उसे तकलीफ होती है, कहीं से उठना नहीं उठाया जाना बड़ी बात है। ऐसे संवादों से पात्रों की बातचीत में देश में व्याप्त नक्सलवाद और आदिवासियों के विस्थापन जैसे कई मुद्दों को भी रेखांकित किया गया है।

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