जयपुर स्मार्ट सिटी आज मनाएगा जयपुर का 296 वां स्थापना दिवस, जय सिंह की युवा उमंग से पुर स्थापित

पर्यटन का केन्द्र, कला और शिल्प का गढ़ है यह शहर

जयपुर स्मार्ट सिटी आज मनाएगा जयपुर का 296 वां स्थापना दिवस, जय सिंह की युवा उमंग से पुर स्थापित

जयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से शनिवार को जयपुर का 296वां स्थापना दिवस साइकलिस्थान आयोजित कर मनाया जाएगा।

जयपुर। जयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से शनिवार को जयपुर का 296वां स्थापना दिवस साइकलिस्थान आयोजित कर मनाया जाएगा। जयपुर स्मार्ट सिटी लि. के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि इस अवसर पर शहर के लगभग 200 साइकिल सवार नागरिक स्वीप कार्यक्रम के तहत लालकोठी स्थित नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय परिसर में स्मार्ट सिटी के कार्यालय से प्रात: 6:30 बजे रवाना होंगे। इस दौरान जागरूक मतदाता जागरूक देश का संदेश तखतियों व बैनर के माध्यम से देंगे। उन्होंने बताया कि साइकलिस्थान में भाग लेने वाले सभी लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन नि:शुल्क रहेगा। इसके साथ ही इस इवेंट डिजाईन टी शर्ट भी वितरित की जाएंगी व राइड समाप्ति के बाद प्रतिभागियों को अल्पाहार करवाया जाएगा।

जय सिंह की युवा उमंग से पुर स्थापित

यह 39 वर्ष के युवक की उमंग थी, जो दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक के रूप में मूर्त हुई। ये युवक थे महाराजा सवाई जयसिंह और शहर था जयपुर। यह शहर रंगों की अपनी नायाब योजना के कारण भी उल्लेखनीय है। इसीलिए भौतिक विज्ञान में रंगों पर अपने शोध के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले सी.बी. रमण ने इसे गौरव का द्वीप(आइलैंड ऑफ ग्लोरी) कहा था। यह सुनियोजित रूप से बसाए गए सबसे पुराने शहरों में शुमार है। यह अपनी बला की खूबसूरती के साथ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान के लिए भी सुविख्यात है। पर्यटन का तो यह स्वर्ग ही है। यह गोल्डेन ट्रायंगल के नाम से मशहूर भारत के तीन प्रमुख पर्यटन केन्द्रों में एक है। कौंडे नास्त ट्रैवलर रीडर्स च्वाइस सर्वे नामक विख्यात पर्यटन पत्रिका ने वर्ष 2008 में इसे एशिया का सबसे बड़ा पर्यटन केन्द्र बताया था। जबकि वर्ष 2015 में यह भारत का पहला पर्यटन केन्द्र था। उस वर्ष सर्वाधिक पर्यटक जयपुर ही आए।  अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में भी जयपुर का महान योगदान है। डायरेक्टरेट आफ ईकोनॉमिक्स एंड स्टैटिस्टिक्स(राजस्थान) के अनुसार वर्ष 2020-21 में जयपुर का सकल घरेलू उत्पाद 1,22,140 करोड़ रुपए था। 

जयपुर की आर्थिक गतिविधियों में पर्यटन के अलावा रत्नों की कटाई, आभूषणों का निर्माण, बेहतरीन वस्त्र उद्योग और सूचना तकनीक उल्लेखनीय हैं। यहां देश के तीन प्रमुख व्यवसाय प्रोत्साहन संगठनों के कार्यालय भी हैं। ये हैं, एफ.आइ.सी.सी.आइ, पी.एच.डी.सी.सी और सी.आइ.आइ। वर्ष 2008 में दुनिया के 50 उभरते आउटसोर्सिंग केन्द्रों में इसका स्थान 31वां था। यह शहर आॅटोमोटिव इंडस्ट्रीज का भी केन्द्र है। जे.सी.बी, हीरो मोटो कॉर्प, रॉबर्ट बॉस्स जी.एम. बी.एच के निर्माण केन्द्र भी यहां संचालित किए जा रहे हैं। जयपुर देश में सूचना तकनीक के प्रमुख केन्द्रों में भी शुमार है। कई प्रमुख सॉफ्टवेयर और आइ.टी कम्पनियों की यहां शाखाएं हैं। ये हैं-जेनपैक्ट,ऐपीरियो, इंफोसिस, विप्रो और आइ.सी.सी.आइ बैंक।  कला और शिल्प का तो यह गढ़ ही है। यहां की मूर्ति कला तो दुनिया भर में मशहूर है। 

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प्राचीन वस्तुओं के विक्रय में यह भारत में अद्वितीय है। जेवरात, हस्तशिल्प, रत्न, चूड़ियां, मिट्टी के बर्तन, कालीन, चमड़े और धातुओं के उत्पादन और विपणन में यह दुनिया में अव्वल है। 

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जयपुर का नामकरण इसके संस्थापक कछवाहा राजपूत नरेश सवाई जयसिंह के नाम पर किया गया। लेकिन इस शहर का खाका बंगाल के वास्तुशास्त्री विद्याधर भट्टाचार्य ने तैयार किया था। जिनके नाम पर जयपुर में विद्याधर गार्डन विद्यमान है। सवाई जयसिंह ने इसकी स्थापना 18 नवम्बर 1927 में की थी। वे अनेक विषयों के महान विद्वान थे। उन्होंने वास्तु विज्ञान पर अनेक ग्रंथों के अध्ययन के बाद इस नगर की स्थापना की योजना स्थिर की। शहर का निर्माण वर्ष 1726 में शुरू हुआ और चार वर्षों के अथक परिश्रम के बाद इसकी प्रमुख सड़कों का निर्माण हो सका। यह शहर नौ अनुभागों में विभाजित था। इनमें से दो अनुभागों में राजकीय भवन स्थित हैं। शेष सात अनुभागों में नागरिकों के आवास और व्यापारिक गतिविधियों का संचालन होता है। शहर विशाल और ऊंचे परकोटे से घिरा है। जिसमें सात सुदृढ़ द्वार हैं। 
उन्नीसवीं सदी में शहर का भारी विकास हुआ। वर्ष 1900 तक इसकी जनसंख्या 1,60,000 हो गई थी। इसी दौर में यहां धातुओं और संगमरमर के काम शरू हुए। शिक्षा के क्षेत्र में भी यह दौर उन्नति का था। यहां सन 1865 में संस्कृत कॉलेज खुला और 1867 में गर्ल्स कॉलेज। 

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