खरीफ की बुवाई अब भी अपने लक्ष्य से पीछे, केवल 59 फीसदी पर अटकी, खेतों में लौटी हरियाली किसानों की मेहनत रंग लाने को तैयार
अरंडी तिल की बुवाई बेहद कम
राजस्थान के आसमान में बादल हैं, धरती की छाती पर पहली हरियाली उग आई है।
जयपुर। राजस्थान के आसमान में बादल हैं, धरती की छाती पर पहली हरियाली उग आई है और किसानों की आंखों में उम्मीदें लौट रही हैं, लेकिन खरीफ 2025 की बुवाई अब भी अपने लक्ष्य से पीछे है। राज्य सरकार ने इस साल 165 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक सिर्फ 97.36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही बुवाई हो सकी है यानी कुल लक्ष्य का महज 59 प्रतिशत है। मिट्टी में नमी है पर मानसून की देरी और अनियमित बरसातों ने बुवाई की गति पर ब्रेक लगा दिया है। किसान अब भी पूरा मौसम नहीं आधे मौसम में पूरी फसल की दुविधा से जूझ रहे हैं।
जैव विविधता के प्रहरी ग्वार और अरंडी पिछड़े :
ग्वार की बुवाई भी सिर्फ 31 प्रतिशत रही है, जबकि यह न सिर्फ पशु आहार और जमीन सुधार की फसल है, बल्कि इसका वैश्विक मांग वाला उद्योग भी है। अरंडी जैसी पारंपरिक फसल में तो जैसे सांस ही नहीं बची केवल 624 हेक्टेयर में बुवाई हुई है।
अनाज और नकदी फसलों में किसानों ने हाथ डाला :
इस मुश्किल मौसम में भी कुछ फसलें उम्मीद की तरह उभरी हैं। मक्का व बाजरा की बुवाई 77 प्रतिशत और कपास की 82 प्रतिशत बुवाई हो चुकी है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि अनाजों और नकदी फसलों में किसानों ने सबसे पहले हाथ डाला है। इसके उलट तिलहन और दालों की बुबाई औसत से काफी कम हो पाई है। इसमें तिल की बुवाई सिर्फ 29 प्रतिशत, अरंडी तो महज 3 प्रतिशत और मूंग भी 53 प्रतिशत पर अटकी हुई है। दालों की कुल बुवाई 50 प्रतिशत लक्ष्य तक ही पहुंच पाई है, जो पोषण सुरक्षा और बाजार दोनों के लिए चिंताजनक संकेत है।

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