नई लेजर तकनीक से बिना चीर-फाड़ के हो रहा इलाज, मरीजों को मिल रही सहूलियत
किडनी की पथरी के इलाज में नई तकनीकों ने बनाया इलाज को और आसान
इस प्रक्रिया में पेशाब की नली के माध्यम से एक सूक्ष्म फ्लेक्सिबल एंडोस्कोप किडनी तक पहुंचाया जाता है।
जयपुर। किडनी में पथरी होना एक दर्दनाक और जटिल समस्या है, जिससे पेशाब करने में भी तकलीफ होती है। कई बार इलाज में देरी से किडनी को काफी नुकसान हो सकता है और ये किडनी को डैमेज भी कर सकती है। यूं तो इसके इलाज के लिए सर्जरी काफी असरदार है, लेकिन आधुनिक लेजर तकनीक से बिना चीरफाड़ के पथरी को अंदर ही नष्ट करके निकाला जा सकता है और मरीज की रिकवरी भी जल्द होती है।
आरआईआरएस से आई नई क्रांति
यूरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ जैन ने बताया कि किडनी स्टोन निकालने की यह नई लेजर तकनीक जिसे रेट्रोग्रेड इंट्रा रीनल सर्जरी यानी आरआईआरएस कहते हैं, मरीज के लिए सबसे सुरक्षित और कारगर है। इसमें ओपन सर्जरी या किडनी में छेद करने की आवश्यकता नहीं होती। पहले की ओपन सर्जरी में मरीज के पीछे के हिस्से से किडनी में छेद किया जाता था, जिससे दर्द और खून बहने का खतरा रहता था। साथ ही अस्पताल में भी अधिक दिन रुकना पड़ता था। नई तकनीक में बिना चीरे के इलाज होता है और पथरी दोबारा बनने की संभावना भी कम होती है।
ये है प्रक्रिया
इस प्रक्रिया में पेशाब की नली के माध्यम से एक सूक्ष्म फ्लेक्सिबल एंडोस्कोप किडनी तक पहुंचाया जाता है। दूरबीन की मदद से स्टोन तक पहुंचकर लेजर से उसे रेत की तरह बारीक कर दिया जाता है, जो बाद में मूत्र के साथ बाहर निकल जाता है। लेजर से दो सेमी तक के कठोर पत्थर को भी आसानी से तोड़ा जा सकता है। लेजर तकनीक में चीरा नहीं लगने के कारण किडनी सुरक्षित रहती है और ओपन सर्जरी की तरह आस-पास के अंगों को नुकसान पहुंचने का खतरा नहीं होता। इससे मरीज की रिकवरी तेजी से होती है और खून की हानि भी नहीं होती।
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