साइबर फ्राॅड और डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट सख्त, राज्य सरकार, पुलिस और बैंकों को निर्देश
केंद्र की तरह राजस्थान साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर बनाने की नसीहत
राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर फ्राॅड और डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार, पुलिस और बैंकों के लिए व्यापक निर्देश जारी किए हैं। जस्टिस रवि चिरानिया की एकलपीठ ने बुजुर्ग दंपति से दो करोड़ दो लाख रुपए की ठगी मामले में दो आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज करते रिपोर्टेबल जजमेंट सुनाया।
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर फ्राॅड और डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार, पुलिस और बैंकों के लिए व्यापक निर्देश जारी किए हैं। जस्टिस रवि चिरानिया की एकलपीठ ने बुजुर्ग दंपति से दो करोड़ दो लाख रुपए की ठगी मामले में दो आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज करते रिपोर्टेबल जजमेंट सुनाया। कोर्ट ने कहा कि इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग से होने वाले साइबर क्राइम ने समाज, अर्थव्यवस्था और कानून व्यवस्था के सामने गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। हाईकोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह को निर्देश दिए कि वे भारतीय साइबर क्राइम को.ऑर्डिनेशन सेंटर, एलवाईसी की तर्ज पर राजस्थान साइबर क्रइम कंट्रोल सेंटर की स्थापना के लिए अधिसूचना जारी करें। कोर्ट के आदेश के मुताबिक किसी भी व्यक्ति के नाम पर तीन से अधिक सिम कार्ड जारी करने पर नियंत्रण के लिए विस्तृत एसओपी बनेगी। इसके अलावा 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्कूल में मोबाइल फोन, ऑनलाइन गेम्स और सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर गृह विभाग को शिक्षा विभाग व अभिभावक संगठनों के साथ मिलकर विस्तृत एसओपी बनाने को कहा ह
आरवाईसी और आईटी इंस्पेक्टर की व्यवस्था
हाईकोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह को निर्देश दिए कि वे भारतीय साइबर क्राइम को.ऑर्डिनेशन सेंटर की तर्ज पर राजस्थान साइबर क्त्राइम कंट्रोल सेंटर की स्थापना के लिए अधिसूचना जारी करें। यह केंद्र.राज्य में साइबर अपराधों की रोकथामए जांच और कोआर्डिनेशन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा और एलवाईसी के साथ तालमेल में कार्य करेगा। कोर्ट ने गृह विभाग और कार्मिक विभाग को मिलकर डीजी साइबर के अधीन विशेष आईटी इंस्पेक्टर की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के भी निर्देश दिएए जो केवल साइबर मामलों की जांच करेंगे और उन्हें अन्य शाखाओं में सामान्य रूप से ट्रांसफर नहीं किया जाएगा।
बैंक, फि नटेक कंपनियों और एटीएम पर गाइडलाइन
कोर्ट ने कहा कि साइबर ठगी के ज्यादातर मामले बैंकिंग सिस्टम के दुरुपयोग से जुड़े हैं, इसलिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर कड़ी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। आदेश के अनुसारए सभी बैंक और फिनटेक कंपनियां म्यूल अकाउंट और संदिग्ध ट्रांजेक्शंस पकडऩे के लिए आरबीआई की ओर से डवलप किए गए म्यूल हंटर जैसे एआई टूल्स का अनिवार्य रूप से उपयोग करें। अदालत ने यह भी कहा कि जिन खाताधारकों की वार्षिक ट्रांजेक्शन 50 हजार रुपए से कम है। डिजिटल साक्षरता कम है या गतिविधि संदिग्ध लगती है। उनके लिए इंटरनेट बैंकिंग व यूपीआई लिमिट्स पर सख्त कंट्रोल किया जा सकता है।
बशर्ते यह काम कानून के अनुरूप किया जाए। हाईकोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट के मामलों को रोकने के लिए अलग से मानक कार्यप्रणाली बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा. सभी बैंक, वित्तीय संस्थान और फि नटेक कंपनियां ऐसे मामलों के लिए संयुक्त एसओपी जारी करें और बुजुगोंर् या संवेदनशील ग्राहकों के अकाउंट से अचानक बड़े लेनदेन होने पर 48 घंटे के भीतर उनके घर जाकर भौतिक सत्यापन अनिवार्य रूप से करें। साथ ही बैंकों को ऐसे ग्राहकों की पहचान कर उनकी निगरानी, काउंसलिंग और साइबर जागरूकता कार्यक्त्रम चलाने को कहा गया है।

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