ठाकुर जी का ऐसा विग्रह, जिनमें हृदय की धड़कनों से चलती है घड़ी
आजादी से पहले एक अंग्रेज आया था यह घड़ी वह गिफ्ट करके गया था और उन्होंने कहा था कि ठाकुर जी में यदि प्राण है तो यह घड़ी उनके पल्स से चलेगी।
जयपुर। पुरानी बस्ती स्थित राधा गोपीनाथ जी मंदिर में विराजित ठाकुर जी के विग्रह के हाथ में घड़ी धारण कराई हुई है। यह घड़ी चाबी से नहीं बल्कि ठाकुर जी के हृदय की धड़कनों से चल रही है। महंत सिद्धार्थ गोस्वामी ने बताया कि जब उनके दादाजी यहां उनके समय से ठाकुर जी को पल्स से चलने वाली घड़ी पहनाई जाती है। यह घड़ी समय भी सही बताती है। बताया जाता है आजादी से पहले एक अंग्रेज आया था यह घड़ी वह गिफ्ट करके गया था और उन्होंने कहा था कि ठाकुर जी में यदि प्राण है तो यह घड़ी उनके पल्स से चलेगी। ठाकुर जी को जब घड़ी धारण कराई गई तो वह उनकी पल्स से चलने लगी। तभी से यह घड़ी उन्हें धारण कराई जाती है।
गोस्वामी ने बताया कि यहां मौजूद विग्रह को भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने अपनी दादी के कहने पर बनवाया था। बाद में इसे वृंदावन से जयपुर लाया गया और और आज है ठाकुर जी पुरानी बस्ती में भक्तों द्वारा पूजे जा रहे हैं। राजस्थान में भगवान कृष्ण के तीन विग्रह हैं जिनमें एक मदन मोहन जी करौली, गोविंद देव जी और तीसरी गोपीनाथ जी की है। मान्यता है कि राजा कंस ने जिस शीला से अपनी बहन के जन्मे नवजात शिशुओं का वध किया था भगवान कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने उस शिला के तीन टुकड़े करके ये तीनों विग्रह बनाएं थे। पहले मदन मोहन जी जिनके चरण ठाकुर जी के जैसे हैं, दूसरे गोपीनाथ जी जिनके वक्ष और भुजाएं ठाकुरजी जैसी हैं और तीसरे गोविंद देवजी जिनका मुखारविंद ठाकुर जी के जैसा है।

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