सामुदायिक भावना के भवन : चांदपोल बाजार स्थित श्रीखण्डेलवाल वैश्य भवन ट्रस्ट की धर्मशाला बाहर से आने वाले यात्रियों के रहने के लिए पहली पसन्द
अनेक परिवारों की शहनाई बजीं, बेटियों की डोलियां उठीं
इस कारण चांदपोल बाजार में पार्किंग की समस्या होने पर अब खण्डेलवाल वैश्य भवन में शादियां तो नहीं होती, लेकिन उसके कमरों की आज भी मांग रहती है।
जयपुर। चन्द दशक पहले तक गुलाबी नगरी के अनेक परिवारों की विवाह की शहनाई चांदपोल बाजार स्थित श्रीखण्डेलवाल वैश्य भवन ट्रस्ट पर ही बजी। कितनी ही बेटियां इसकी देहरी से विदा हुईं और कितनों के आशीर्वाद समारोह के आयोजन इसके हॉल में सम्पन्न हुए। उस दौर में लोग शादियों में पैदल, पब्लिक टांसपोर्ट, साइकिल या दुपहिया वाहनों से ही आते थे, लेकिन बाद के दौर में दुपहिया वाहनों का स्थान चोपहिया वाहनों ने ले लिया। इस कारण चांदपोल बाजार में पार्किंग की समस्या होने पर अब खण्डेलवाल वैश्य भवन में शादियां तो नहीं होती, लेकिन उसके कमरों की आज भी मांग रहती है।
सुबह साढ़े पांच बजे से रात साढ़े दस बजे तक धर्मशाला खुली रहती है। धर्मशाला के संचालन के लिए प्रबंधक सहित अन्य कर्मचारियों को लगा रखा है। ट्रस्ट की 1960 में स्थापना हुई, इसके बाद भूमि खरीदी गई और भवन निर्माण का सपना साकार होने लगा। उस समय घीसीलाल बम्ब, गोपीनाथ झालानी, बंशीधर डंगायच सहित समाज के अन्य लोगों ने इसको आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया।
बाजार में नहीं खुलता था गेट, जमीन खरीदकर बनाई धर्मशाला
समाज के लोगों ने जब भवन बनाना शुरू किया तो उसका गेट चांदपोल बाजार में नहीं खुलता था। जमीन के आगे एक दुकान बनी हुई थी, समाज के लोगों ने दुकान खरीदकर पूरा तीन मंजिला भवन बनवाया। प्रबंधक नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि धर्मशाला में जयपुर से बाहर के यात्री आकर ठहरते हैं और उनको तीन दिन तक यहां ठहरने की सुविधा प्रदान की गई है। समय के बदलाव के साथ ही इसमें कार्य होते रहते हैं। तीन मंजिला भवन में लिफ्ट लगवाई गई ताकि यात्रियों को असुविधा का भाव पैदा नहीं हो।
रियायती दरों पर कमरे उपलब्ध
धर्मशाला के सभी कमरे रियायती दरों पर उपलब्ध हैं। सौ रुपए में पंखा लगा हुआ कमरा मिलता है तो 650 रुपए में एयरकंडीशन, टीवी लगा हुआ कमरा उपलब्ध हैं। जबकि 17 कमरे एयरकंडीशन के भी हैं।
इनका कहना है...
धर्मशाला पूरी तरह किफायती दरों पर उपलब्ध है। इसका संचालन ट्रस्ट करता है और उसके चुनाव नियमित रूप से होते हैं। धर्मशाला का संचालन पूरी तरह नो-प्रॉफिट-नो लोस पर होता है।
-रामदास सौखिंया,
सचिव, श्रीखण्डेलवाल वैश्य
भवन ट्रस्ट, जयपुर

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