कोटा में एआई के सहारे तैयार हो रही इको फेंड्रली राखियां, मैक्सिको, यूएस, दुबई हो रही एक्सपोर्ट
रियूज राखी का बढ़ा चलन : स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बदला ट्रेंड
रक्षाबंधन का पर्व अगस्त महीने में हो पर समूह की महिलाओं ने अभी से ही राखियों का आॅर्डर लेकर उनको तैयार करने में लगी हुई है।
कोटा। अभी राखी के त्यौहार में समय है लेकिन इसकी तैयारियां स्वयं सहायता समूह ने अभी से कर ली है। इस बार राखी नए लुक में तैयार करने के लिए स्वयं सहायता समूह एआई का सहारा ले रही है।यहां तैयार राखी मैक्सिकों,यूएस व दुबई तक जा रही हैं। यहां नई तकनीक से इको फ्रेंडली और रियूज राखियां तैयार हो रही हैं जो बाद में सजावट और अन्य काम आ सकें। कम लागत में बेहतर राखियों की डिजायन तैयार करने में महिलाए दिन रात लगी हुई है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अपने माल को बेचने के लिए भी इस बार नया ट्रेंड अपनाया है। व्हाट्सगु्रप्स , प्रदर्शनी, मैले, लोकल दुकानदार, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, शहर के विभिन्न मार्केट सहित अन्य आसपास की दुकानों पर इसकी सप्लाई कर रही हैं जिससे आमजन को सस्ती और अच्छी राखियां मिल सकें। जिला प्रशासन, आयुक्त नगर निगम व एनयूएलएम के संयुक्त तत्वावधान में शहर की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं घर पर राखी बनाकर रोजगार सृजन कर रही है व साथ ही अच्छा खासा पैसा कमाकर स्वयं को आत्मनिर्भर बना रही है। रक्षाबंधन का पर्व अगस्त महीने में हो पर समूह की महिलाओं ने अभी से ही राखियों का आॅर्डर लेकर उनको तैयार करने में लगी हुई है। इस काम में साठ से अधिक महिलाएं जुटी हैं। हेमलता गांधी ने बताया कि दोनों नगर निगम के आयुक्त अशोक त्यागी व अनुराग भार्गव भी हमेशा समूह की महिलाओं को उत्पाद बेचने के लिए प्रोत्साहन करते हैं।
यहां से आता है कच्चा माल
दिल्ली, अहमदाबाद, बॉम्बे, उज्जैन, कोलकता व शहर के लोकल बाजार से कच्चे माल की खरीदारी कर समूह की महिलाएं राखी बनाती है। समूह की महिलाओं ने बताया कि राखियां बेचने के लिए हमने व्हाट्सगु्रप्स, प्रदर्शनी, मैले, लोकल दुकानदार, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, शहर के विभिन्न मार्केट सहित अन्य आसपास के दुकानदारों को भी बेचने के लिए जाते है।
रक्षाबंधन पर पर्यावरण को संरक्षण करने वाली राखियां बनाती हूं। जिसे पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होता है। घर पर राखियां बनाकर में तीस से चालीस हजार रुपए कमा लेती हूं।
- शीला, राखी निर्माता
ऐसे तैयार होती हैं राखियां
ऊनी धागे, मोती,धागे, रेशम की डोरिया, स्टोन, फोम, वेस्ट मटेरियल, इको फ्रेंडली मटेरियल से राखियां बनाई जाती है। अधिकतर में रियूज ही राखियां बनाती हूं। मैंने इस बार तिरंगा थीम परभी राखियां बनाई जिनका ऑर्डर अभी से ही मेरे को मिल रहा है। साथ ही मेरी बनी राखी मेक्सिको, यूएस, दुबई सहित अन्य देशों में जाती है।
- आदिति, राखी निर्माता
विभिन्न जगहों से में कच्चा मटेरियल लाकर राखी बनाती हूं। मेरे साथ समूह में करीब दस से अधिक महिलाएं राखी बनाती हैं।
- तुलसी चौहान
जीरो वेस्ट जिनमें कपड़े के थैले, जूट के बैग या अन्य टिकाऊ सामग्री से में घर पर ही राखी बनाती हूं । साथ ही भाईयां - भाभी की राखी भी बनाती हूं। मेरी राखी दिल्ली, गुड़गांव, महाराष्ट, यूपी सहित अन्य राज्यों में जाती है।
- मधुमिता राखी निर्माता
मैंने रक्षाबंधन के लिए अभी से ही राखी बनाने का काम शुरू कर दिया। जिसमें मोती, धागे, रेशम की डोरियों से राखी बना शुरू कर दिया। मेरी बनी राखी लोकल मार्केट सहित अन्य जगहों पर बिकती है।
- सोनी गुप्ता राखी निर्माता
मैं घर पर ही राखी बनाकर एक माह अच्छी कमाई कर लेती हूं । राखी बनाते इस बात का ध्यान रखा जाता है कि राखी रीयूज हो साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली नहीं हो।
- रिचा गुप्ता राखी निर्माता
महिलाएं राखी बनाकर इनको विभिन्न स्थानों पर बेचने के लिए भेजती है। साथ ही इस साल बनने वाली राखी रीयूज व पर्यावरण संरक्षित करने वाली है। राखी बेचकर महिलाएं करीब तीस से चालीस हजार रूपए कमा लेती है।
- हेमलता गांधी, जिला प्रबंधक एनयूएलएम कोटा

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