रोडवेज की खटारा बसों में सफर, किराया एक्सप्रेस व डीलक्स का

157 बसों का बेड़ा 70 पर सिमटा : पांच माह बाद भी नहीं मिली पांच बसें, लंबे रूट की सेमी डीलक्स बसों में आए दिन हो रही खराबी से यात्री परेशान

रोडवेज की खटारा बसों में सफर, किराया एक्सप्रेस व डीलक्स का

रोडवेज की खटारा बसों में सफर करना किसी सजा से कम नहीं है। रोडवेज यात्रियों से किराया डीलक्स और एक्सप्रेस का ले रही है रोडवेज की बसों के कांच ढीले हो चुके है। बस के रफ्तार पकड़ते ही खिड़किया खुल जाती है यात्रियों को परेशान करती है।

कोटा। रोडवेज की सेमी डीलक्स और डिलक्स बसे पुरानी हो चुकी आए दिन मरम्मत पर जाने से यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। यात्रियों का कहना है कि रोडवेज की खटारा बसों में सफर करना किसी सजा से कम नहीं है। रोडवेज यात्रियों से किराया डीलक्स और एक्सप्रेस का ले रही है लेकिन सफर खटारा बसों में करा रहा है। कोटा से उदयपुर रूट पर चलने वाली सुबह 5.30 बजे वाली सेमी डीलक्स बस कई दिनों से खराब होने से उसकी जगह पुरानी टू बायी थ्री सीटर बस लगा रखी है जबकि रोडवेज आॅनलाइन बुकिंग किराया अब भी सेमी डीलक्स वसूल रहा है। ऐसे यात्री अपने को ठगा ठगा महसूस कर रहा है।  पिछले एक दशक से कोटा रोडवेज आगार में बेडे नई बसे नहीं आने से आगार प्रबंधक  पुरानी खटारा बसों की ही मरम्मत करके चला रहा है। यात्रियों को इन खटारा बसों में सफर करना पड़ रहा है। बसे इतनी पुरानी हो चुकी आए दिन बे्रक डाउन हो रही है। कोटा उदयपुर व कोटा जयपुर मार्ग एक्सप्रेस बस आए दिन खराब हो जाती है जिससे यात्रियों को अपने गंतव्य तक समय पर नहीं पहुंच पा रहे है। रोडवेज यात्रियों से एक्सप्रेस और डिलक्स बसों का किराया वसूल रही है और सफर लोकल खटारा बसों में करा रही है। रोडवेज की बसों के कांच ढीले हो चुके है। बस के रफ्तार पकड़ते ही खिड़किया खुल जाती है और धुप बस में यात्रियों को परेशान करती है। यात्री बार बार खिड़की बंद करता है थोडी देर बार फिर खिड़की खुल जाती है। अधिकांश बसों खिड़कियों लॉक खराब हो चुके है। कई बसों के गेट भी ठीक से बंद नहीं होते है। कोटा उदयपुर मार्ग पर सुबह 5 बजे व 5.30 बजे चलने वाली डीलक्स बसों की सीटे खराब है। वहीं कांच ढ़ीले होने से सुबह ठंडी हवा आती है जिससे यात्रियों को परेशानी होती है। बस में शिकायत  करने के नंबर मिटा देने से यात्री डिपो मैनेजर को शिकायत भी नहीं कर पा रहे है।  ऐसे यात्री अपने को ठगा- ठगा सा महसूस कर रहा है। बसों की कमी से अभी 67  शेड्यूल ही संचालित हो रहे है। 

स्टाफ व बसों की कमी से  व्यवस्था की टूटी कमानियां 
राजस्थान रोडवेज में चालकों और परिचालकों की कमी के चलते कोटा के विभिन्न रूटों पर बसों को कम कर दिया गया है।  इस कारण यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।  पहले कोटा डिपो में रोडवेज की 120 बसें थी जो अब 70 रह गई हैं।  इतना ही नहीं रोडवेज के पास मैकेनिक के 96 पद हैं, लेकिन फिलहाल 65 कार्यरत हैं।  इस कारण इन 70 बसों की रूटिंग में होने वाली चैकिंग भी समय पर नहीं हो पाती है, जिससे कई बार बसें रास्ते में ही खराब हो जाती है और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। 

रोडवेज में बसों का बेडा बढ़ने के बजाए घटा
पिछले साठ साल में राजस्थान पथ परिवहन निगम ने तीन बस स्टैंड का सफर तय किया । लेकिन जिस प्रकार से शहर की आबादी बढ़ी उसके अनुसार ना तो बस स्टैंड का विस्तार हुआ ना ही बसों का। आज कोटा देश में शिक्षा नगरी के नाम से अपनी अलग पहचान बनाए हुए है । लेकिन यहां आज भी परिवहन के संसाधन सीमित ही हैं। आमजन के लिए रोडवेज सस्ता व सुगम साधन है  लेकिन कोटा का दुर्भाग्य ही कहें ही यहां के बस स्टैंड में 157 बसें हुआ करती थी वह अब घटकर महज 70 रह गई है। यह कोटा की आबादी के हिसाब से बहुत कम है। संजय नगर में बना नया रोडवेज बस स्टैंड तो विशाल बन गया लेकिन अभी यहां से बसें कम ही संचालित होती है। जिससे लोगों को नयापुरा जाना मजबूरी बना हुआ है। बूंदी, जयपुर, नैनवां, टौंक, उनियारा, झालावाड़, बारां की बसें अभी नयापुरा बस स्टैंड की सवारियों से पूरी बस भरती है। 

छह दशक पहले 157 बसें संचालित होती थी , आज 70 ही रह गई
छह दशक पहले तक  रोडवेज बसों का संचालन श्रीपुरा से हुआ करता था। कालांतर में शहर का विकास हुआ जिससे श्रीपुरा का बस स्टैंड छोटा पड़ने लगा। 1964 में  नयापुरा बस स्टैंड से रोडवेज बसों का संचालन होना शुरू हुआ । यहां पर करीब 157 बसों का विभिन्न रूटों पर संचालन होता था। 1964 में जब नयापुरा बस स्टैंड के आंगन में पहली बस ने कदम रखा तो काफी खुला-खुला शहर था, उसके बाद शहर बढ़ता गया, लोग बढ़ते गए। जरूरत बढ़ती गई और बसों को खड़ा रहने की जगह कम पड़ने लगी। जनवरी 2007 से बड़ा बस स्टैंड बनाने की योजना बनने लगी। 2007-2008 में संजय नगर में रोडवेज का नया बस स्टैंड तैयार हुआ । करीब 49 साल तक नयापुरा बस स्टैंड लोगों के आवागमन के लिए बसें उपलब्ध कराता आ रहा था। बाद में नया बस स्टैंड बनने के बाद इसको जोनल बस स्टैंड बना दिया। लेकिन आज भी संजय नगर का  नया बस स्टैंड पूरी तरह से आबाद नहीं होने से नयापुरा से अधिकांश बसे संचालित हो रही है। जिससे शहर की आधी आबादी बसों के लिए अब भी नयापुरा बस स्टैंड पर आश्रित है। 

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इनका कहना है
वर्तमान 85 शेड्यूल में 67 शेड्यूल पर ही बसों का संचालन कर पा रहे है।  पांच नई बसों की स्वीकृति तो हो गई है लेकिन अभी तक बसे नहीं मिली है। जिन रूट पर बसे ब्रेकडाउन हो रही है वहां दूसरी बसे लगा दी है।
-अजय कुमार मीणा, मुख्य आगार प्रबंधक कोटा 

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