मांसाहारी डक्टिंग की कूलिंग में तो ऐमू कूलर की हवा में मस्त, दोपहर को एनक्लोजरों में हो रहा पानी का छिड़काव
वन्यजीवों को गर्मी से बचाने के लिए बायोलॉजिकल पार्क में किए खास इंतजाम
तापमान बढ़ने के साथ ही सूर्य की तल्खी भी तेज हो गई। इंसान ही नहीं जानवर भी धूप की तपिश से बेहाल हैं
कोटा। तापमान बढ़ने के साथ ही सूर्य की तल्खी भी तेज हो गई। इंसान ही नहीं जानवर भी धूप की तपिश से बेहाल हैं। गर्म हवाओं के थपेड़ों व चिलचिलाती धूप से बेजुबानों को बचाने के लिए अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में विशेष इंतजाम किए गए हैं। मांसाहारी वन्यजीव डक्टिंग की कूलिंग में तो शाकाहारी पानी के फव्वारों और कूलर की ठंडी हवा में मस्त हो रहे हैं। दरअसल, बायोलॉजिकल पार्क में सभी मांसाहारी वन्यजीवों के नाइट शेल्टर में डक्टिंग की व्यवस्था की गई है, ताकि ठंडी हवा पिंजरों में लगातार बनी रहे। वहीं, आॅस्ट्रेलियन पक्षी ऐमू के लिए कूलर लगाया गया है। इसके अलावा हिरण व नीलगाय के एनक्लोजर को ग्रीन नेट से कवर किया गया है। वहीं, घास की छतरियां बनाई गई हैं। ताकि, एनक्लोजर में छाया बनी रहे।
डक्टिंग से चिल्ड हो रहे नाइट शेल्टर
बायोलॉजिकल पार्क में लॉयनेस, बाघिन, पैंथर के पिंजरों में डक्टिंग शुरू कर दी गई है। दोपहर को हीट वेव चलने व तपन बढ़ने पर एनिमल नाइट शेल्टर या कराल में चले जाते हैं, जहां डक्टिंग की ठंडी हवा में आराम करते हैं। इसी दौरान वे कभी नाइट शेल्टर में तो कभी डिस्प्ले एरिया में अपनी गुफाओं में बैठे रहते हैं। इसके अलावा एनक्लोजर में स्प्रिंगलर लगवाए गए हैं। फव्वारों से गिरता पानी हवा के साथ वन्यजीवों को ठंडक पहुंचा रहा है। लॉयनेस सुहासिनी दिनभर शेड की छांव के नीचे तो महक फव्वारों के आसपास ही बैठे नजर आ रहे हैं। हालांकि सभी वन्यजीवों के एनक्लोजर में दो-दो गुफा बनी हुई है, जहां अक्सर दोपहर को आराम फरमाते हैं।
पानी में अळखेलियां कर रहे भेडिए
भेड़िए दोपहर व शाम के समय एनक्लोजर में बने पानी के होद में अळखेलियां करते नजर आते हैं। दोपहर को अधिकतर समय नाइट शेल्टरों में ही बैठे रहते हैं। जब पर्यटक आते हैं तो उनकी चहल कदमी की आवाज सुन बाहर डिस्पले एरिया में दौड़े चले आते हैं। इनके एनक्लोजर की जालियों में ग्रीन नेट भी बांधी गई है ताकि सूरज की सीधे किरणों से राहत मिल सके। वहीं, एनक्लोजर में 6-7 फोगर्स लगे हुए हैं, जिनसे दिनभर पानी का फव्वारे चलते हैं।
कूलर की ठंडी हवा खा रहा ऐमू
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े पक्षी ऐमू के लिए कूलर की व्यवस्था की गई है। वहीं, एनक्लोजर पर ग्रीन नेट भी बांधी गई है। साथ ही पानी के फव्वारे चलाकर एनक्लोजर को ठंडा किया जाता है। वनकर्मियों ने बताया कि वर्तमान में यहां 4 ऐमू बर्ड्स हैं, जिनके नाइट शेल्टर के बाहर कूलर लगाए गए हैं। उनके पिंजरे कूलर की ठंडी हवा से चिल्ड रहते हैं। वहीं, डिस्पले एरिया में दिनभर पानी का फव्वारे चलते हैं।
खिड़की में बैठ ठंडी हवा खा रहा भालू
भालू के एनक्लोजर में बड़े पेड़-पौधे नहीं होने से दोपहर को छांव नहीं रहती। हालांकि, शेड बना हुआ है लेकिन धूप की सीधी किरणों के कारण गर्मी से राहत नहीं मिल पाती। छायादार जगह नहीं होने से भालू दिनभर खिड़की के बाहर बैठा रहता है। हालांकि, उसके नाइट शेल्टर में डक्टिंग की सुविधा है। लेकिन, वह दोपहर को डिस्पले एरिया में उछलकूद करते हंै। दिनभर डक्टिंग चलने से पिंजरें कूल रहते हैं। वह खिड़की के बाहर बैठकर ठंडी हवा के साथ बाहर का नजारा देखता है।
शाकाहारियों के पिंजरों में बनवाई घास की छतरियां
शाकाहारी वन्यजीवों चीतल, ब्लैक बक, नील गाय सहित अन्य जानवरों के एनक्लोजर मे 15 गुना 20 फीट चौड़ी घास की छतरियां बनवाई गई है। साथ ही स्प्रिंगलर भी लगवाए हैं। वहीं, पिंजरों पर ग्रीन नेट लगाकर गर्मी से बचाव के इंतजाम किए हैं। इसके अलावा नाइट शेल्टरों में पराल बिछाई गई है। दोपहर को चीतल, चिंकारा, ब्लैक बक शेड के नीचे बैठे रहते हैं। इनके पिंजरों में बड़ी-बड़ी खिड़कियां हैं, जिनपर खसखस की टाटियां भी लगाई गई है। इन टाटियों पर पानी का छिड़काव किया जाता है ताकि हवा के साथ उन्हें ठंडक का अहसास होता रहे।
पथरीला क्षेत्र, पारा रहता अधिक
बायोलॉजिक पार्क में तैनात वनकर्मियों ने बताया कि पथरीला क्षेत्र होने के कारण पार्क का तापमान अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक होता है। जयपुर नाहरगढ़ की तुलना में अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में तापमान भी अधिक होता है। क्योंकि, यहां वन्यजीवों के पिंजरों के आसपास बड़े पेड़-पौधे नहीं है। यहां मई-जनू में पारा 45 डिग्री सेल्सीयस के करीब पहुंच जाता है। ऐसे में वन्यजीवों को गर्मी व लू के थपेड़ों से बचाव के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं।
इनका कहना है
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीवों का विशेष ध्यान रखा जाता है। गर्मी से बचाव के सभी जरूरी प्रबंध किए जा चुके हैं। मांसाहारी वन्यजीवों के नाइट शेल्टरों में डक्टिंग शुरू कर दी गई है। वहीं, एनक्लोजर में स्प्रिंगलर-फोगर्स लगवाए गए हैं। शाकाहारी वन्यजीवों के बाड़े में ग्रीन नेट व घास की छतरियां लगवाई गई है। पानी का नियमित छिड़काव किया जाता है। वहीं, ऐमू के लिए कूलर लगाया गया है। इसके अलावा दिन में उनके एनक्लोजर में पानी का छिड़काव किया जा रहा है। वन्यजीवों की सुरक्षा व सहुलियत के लिए पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं।
-अनुराग भटनागर, डीएफओ, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क

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