वन विभाग का कमाल - जंगल में ढूंढने की बजाए कागजों में खोज रहे बाघ
पांच साल से लापता मुकुंदरा का बाघ एमटी-1 व 3 शावक
वन्यजीव प्रेमी बोले-मर चुके बाघ और शावक।
कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व का सबसे पहला बाघ एमटी-1 पिछले पांच साल से लापता है। जिसे जंगल में ढूंढने के बजाए कागजों में खोजा जा रहा है। हालांकि, जीवित होने का आज तक कोई साक्ष्य वन विभाग नहीं दे सका। टाइगर जिंदा है या मर चुका, सवाल के जवाब पर वन अधिकारियों ने चुप्पी साध रही है। विभाग का कमाल देखिए, बाघिन एमटी-2 व एमटी-4 के तीन शावकों को भी लापता ही बताया जा रहा है, जो जंगल की विषम परिस्थितियों के मध्यनजर न केवल शावक बल्कि बाघ एमटी-1 के भी जिंदा होने की संभावना न्ग्गणय है। इसके बावजूद कागजों में लापता घोषित कर भ्रम की स्थिति बना रखी है। वन्यजीव विशेषज्ञों का तर्क है, जंगल में बाघ की उम्र करीब 13 से 14 साल होती है। एमटी-1 जब गायब हुआ तब उसकी उम्र करीब 6 से 7 साल के बीच थी और लापता हुए 5 साल बीत गए। इस तरह उसकी उम्र 12 साल होती है। ऐसे में एमटी-1 के जीवत होने की संभावना बिलकुल भी नहीं है। वहीं, शावक भी मर चुके हैं। वन विभाग को मृत घोषित कर भ्रम की स्थिति से पर्दा हटाना चाहिए।
जिंदा होता तो मिलता सुराग
वाइल्ड लाइफ रिसर्चर रवि कुमार ने बताया कि बाघ एमटी-1 मर चुका है, यह बात विभागीय अधिकारी भी जानते हैं लेकिन स्वीकार नहीं करते। जब एमटी-1 दरा एनक्लोजर से गायब हुआ तो रणथम्भौर और मुकुंदरा की टीम ने संयुक्त अभियान चलाकर उसकी खौज की थी लेकिन कहीं भी उसका पगमार्क, स्केट, किल, स्क्रेच मार्क नहीं मिला। इतना ही नहीं, यदि वह मुकुंदरा से बाहर निकलता तो जंगल में लगे कैमरा ट्रैप में तस्वीर कैद होती। हकीकत तो यह है कि एमटी-1 जीवित नहीं है। यदि होता तो इतने सालों में कुछ तो सुराग मिलता।
टाइगर की लाइफ 14 साल तो अब जिंदा कैसे
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट दौलत सिंह शेखावत बताते हैं, जंगल में बाघ की उम्र 13 से 14 साल के बीच होती है। क्योंकि, यहां की परिस्थितियां बिलकुल विपरीत होती है। 3 अप्रेल 2018 को एमटी-1 को रामगढ़ से ट्रैंकुलाइज कर मुकुंदरा लाया गया था तो उसकी उम्र करीब पांच साल थी। जब वर्ष 2020 में लापता हुआ तो उसकी उम्र करीब 7 वर्ष हो गई और लापता हुए पांच साल हो गए। यानी, वर्तमान में बाघ की उम्र 12 साल हो जाती है। जब जंगल में लाइफ ही 12 से 13 साल है तो फिर वह जिंदा कैसे हुआ। कितने साल तक लापता रहने पर बाघ को मृत घोषित किया जाए, इस संबंध में एसओपी जारी करनी चाहिए ताकि, भ्रम की स्थिति न बनी रहे।
बाघ 19 अगस्त 2020 को हुआ था लापता
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में आया बाघ एमटी-1 को 3 अप्रेल 2018 को ट्रैंकुलाइज कर मुकुंदरा शिफ्ट किया गया था। इसके बाद 19 अगस्त 2020 को दरा अभयारणय के बंद एनक्लोजर से गायब हो गया। इसके बाद कई साल तक सर्चिंग की लेकिन कुछ भी सुराग नहीं लगा। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि बाघ मुकुंदरा से बाहर ही नहीं गया और सघन वन क्षेत्र में चला गया, जहां उसकी मौत हो गई और बॉडी अन्य जीव जंतु खा गए। ऐसे में वनकर्मियों को उसकी डेड बॉडी नहीं मिली।
प्रदेश में 16 बाघ लापता
जानकारी के अनुसार, प्रदेशभर के टाइगर रिजर्व से करीब 16 बाघ लापता है, जिनका अभी तक पता नहीं चल सका। जबकि, वन विभाग के पास अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी है, इसके बावजूद लापता बाघों को नहीं खोज पा रहा। वन्यजीवी विशेषज्ञों का तर्क है, जब बाघों की नियमित ट्रैकिंग की जाती है, उन पर नजर रखी जाती है तो फिर लापता बाघों का पता क्यों नहीं रहता।
एक्सपर्ट व्यू
विभाग बाघों को लापता बताता है तो लापता की परिभाषा भी तय करनी चाहिए। बाघ जिस उम्र में लापता हुआ तब से अब तक यदि उसकी आयु 12 से 13 साल हो गई और उसका कहीं सुराग नहीं मिले तो ऐसी स्थिति में बाघ के जीवित होने की संभावना नहीं होती। क्योंकि, जंगल में बाघ की उम्र ही करीब 13 से 14 साल होती है। लापता बाघों को खोजने के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित हो और प्रोटोकॉल के तहत विस्तृत जांच होने के बाद भी सुराग नहीं मिले तो विभाग को एफआर लगाने का प्रावधान अमल में लाकर बाघ को मृत घोषित करना चाहिए। ताकि, भ्रम की स्थिति समाप्त हो सके। वहीं, टाइगर रिजर्व में बसे गांवों में से बाघ मित्र बनाए जाना चाहिए। ताकि, जंगल के अंदर और बाहर पेरीफेरी से लगते गांवों में होने वाली गतिविधियों की सूचना मिल सके। दुधवा नेशनल पार्क और पीलिभीत सेंचुरी में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ व वन विभाग की ओर से बाघ मित्र बनाए गए हैं, जिससे उनका निगरानी तंत्र मजबूत हुआ है। जंगल से कोई भी जानवर इधर से उधर होता है तो अधिकारियों को तुरंत सूचना मिल जाती है। यही मुकुंदरा में किया जाना चाहिए।
- दौलत सिंह शक्तावत, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट
इस तरह की कोई गाइड लाइन नहीं है कि कितनी अवधि तक लापता होने वाले बाघ को मृत मान लिया जाए। रही बात एमटी-1 की तो उसे सर्च किया जा रहा है।
- सुगनाराम जाट, सीसीएफ मुकुंदरा टाइगर रिजर्व
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