चंबल पार कर मुकुंदरा से फिर भागा एमटी-5

मुकुंदरा प्रशासन में मचा हड़कम्प

चंबल पार कर मुकुंदरा से फिर भागा एमटी-5

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमटी-5 अब तक करीब 4 बार नदी पार कर चुका है। वह चौड़ाई में एक से दो किमी नदी आसानी से पार कर जाता है। एमटी-5 तैराक बाघ के रूप में अपनी छवि बना चुका है।

कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में विचरण कर रहा बाघ एमटी-5 एक बार फिर से चंबल नदी पार कर जवाहर सागर रैंज में पहुंच गया है। वहां से दादा हनुमान मंदिर होते हुए जवाहर सागर बांध के पीछे पहुंचा। जहां कुछ समय बीताने के बाद देर शाम को धनेश्वर वनक्षेत्र स्थित अम्बारानी मंदिर के पास पहुंच गया। रात तक उसकी लोकेशन यहीं पर ट्रेस हुई है। सूचना पर मुकुंदरा प्रशासन हरकत में आया और ट्रैकिंग बढ़ा दी। हालांकि रेडियोकॉलर की मदद से उसके मूवमेंट पर पूरी निगरानी रखी जा रही है। बताया जा रहा है कि बाघ अब तक  चार बार नदी पार कर चुका है। 

एक किमी तैरकर पार की नदी 
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बाघ एमटी-5 सोमवार तड़के कौलीपुरा व गिरधरपुरा रैंज से होता हुआ चंबल नदी में कूदा और एक किमी चौड़ाई में नदी पार कर जवाहर सागर रैंज में पहुंच गया। वहां दादा हनुमान मंदिर के घुमाव के पास पहुंचा फिर यहां से बांध के पीछे से होते हुए जवाहर सागर  गांव के नजदीक वनक्षेत्र में पहुंचा। इसके बाद देर शाम को बूंदी जिले के धनेश्वर वनखंड में स्थित अम्बारानी मंदिर के पास पहुंच गया है। इससे पहले भी टाइगर एमटी-5 नदी पार कर इस जगह पर अपना ठिकाना बना चुका है। 

पहले भी नदी पार कर बूंदी जा चुका एमटी-5
बाघ एमटी-5 गत वर्ष 5 दिसम्बर को तड़के सेल्जर वन क्षेत्र से चंबल नदी पार कर बूंदी जिले के डाबी वन क्षेत्र में प्रवेश कर गया था। उसने पांच दिनों तक अम्बारानी मंदिर के पास ठिकाना बनाया रखा। इस बीच उसने गाय का शिकार भी किया था। इसके बाद वह तीन किमी आगे बढ़कर रामगढ़ टाइगर रिजर्व की भौपतपुरा रेंज के नजदीक पहुंच गया था। जहां एक दिन बीताने के बाद अगले ही दिन उसका मूवमेंट रामगढ़ से सटे खेड़ा गांव के पास मिला था। इस इलाके से रामगढ़ का बफर जोन शुरू हो जाता है। हालांकि, सात दिन बाद 12 दिसम्बर को वह वापस चंबल नदी पार कर मुकुंदरा के सेल्जर वनक्षेत्र में लौट आया था। 

नवज्योति ने पहले ही जता दी थी आशंका
दैनिक नवज्योति ने एक दिन पहले ही बाघिन के बिना टाइगर के मुकुंदरा से बाहर निकलने की संभावना जताकर विभाग को चेताया था। लेकिन, विभाग के मुखिया सीसीएफ शारदा प्रताप सिंह ने ध्यान नहीं दिया। नतीजन, टाइगर फिर से चंबल पार कर बूंदी जिले में स्थित अम्बारानी मंदिर वनक्षेत्र में चला गया। नवज्योति ने रविवार के अंक में कहीं मुकुंदरा की सीमा न लांघ जाए टाइगर एमटी-5 के शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। 

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अब तक 4 बार नदी पार कर चुका तैराक टाइगर
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमटी-5 अब तक करीब 4 बार नदी पार कर चुका है। वह चौड़ाई में एक से दो किमी नदी आसानी से पार कर जाता है। एमटी-5 तैराक बाघ के रूप में अपनी छवि बना चुका है। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि अधिकारियों को टाइगर के बार-बार नदी पार कर दूसरे क्षेत्रों में जाने की वजह तलाशनी चाहिए। विशेषज्ञों का मत है कि बाघिन  लाने में जितनी देरी होगी, बाघ उतना ही भटकेगा। यहां दो बाघिनों का होना आवश्यक है।

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ग्रामीणों को किया अलर्ट
टाइगर के मूवमेंट को लेकर जवाहर सागर रैंज में दिनभर वनकर्मचारियों की चहल-पहल बढ़ गई। वहीं, वनकर्मियों ने जवाहर सागर गांव में मुनादी करवाकर रात को घर से बाहर नहीं निकलने और अपने मवेशियों का ध्यान रखने की हिदायत दी। हालांकि, कर्मचारियों ने बाशिंदों को यहां टाइगर के मूवमेंट की जानकारी नहीं दी। चंबल नदी में मगरमच्छ अधिक संख्या में हैं। ऐसे में उसके बार-बार तैरकर नदी पार करने से खतरा हो सकता है।

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मुकुंदरा में दो बाघिन लाने की आवश्यकता 
नेचर प्रमोटर एएच जैदी ने बताया कि बाघिन एमटी-4 की मौत के बाद बाघ एमटी-5 अकेला रह गया है। ऐसे में उसके भटकने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। हाल ही में एनटीसीए की ओर से मुकुंदरा में एक बाघिन लाने की स्वीकृति मिल चुकी है। इसलिए वक्त गवाए बिना बाघिन लाने के प्रयास तेज कर देना चाहिए। वाइल्ड पोपुलेशन बढ़ाने की जरूरत है। एक बाघ पर दो बाघिन का अनुपात मेंटेन किया जाना चाहिए। वहीं, प्रे-बेस की कमी को दूर किया जाना चाहिए।  

सीसीएफ ने नहीं दिया जवाब
बाघ एमटी-5 के चंबल नदी पार कर मुकुंदरा से बूंदी जिले में अम्बारानी वनक्षेत्र में पहुंचने के मामले को लेकर सीसीएफ एसपी सिंह से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन कट कर दिया। 

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