अब मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में जड़ से उखाड़ा जाएगा जूली फ्लोरा

25 लाख की लागत से दरा सेंचुरी में नस्तेनाबूद होगा विलायती बबूल

अब मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में जड़ से उखाड़ा जाएगा जूली फ्लोरा

वन्यजीवों के लिए नासूर बना कांटों का पेड़, जख्मी हो रहे जानवर

कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों के लिए नासूर बना जूली फ्लोरा को बड़े पैमाने पर अब जड़ समेत उखाड़ा जाएगा। इसकी जगह ग्रास लैंड विकसित किया जाएगा। इसके लिए वन विभाग से मुकुंदरा प्रशासन को लाखों का बजट मिला है। विभाग ने टेंडर जारी कर दिए हैं। जल्द ही विलायती बबूल को जड़ समेत उखाड़ फैंकने का कार्य शुरू हो जाएगा। जुली फ्लोरा से न केवल शाकाहारी वन्यजीवों का भोजन समाप्त हो रहा है बल्कि प्रे-बेस पर भी विपरीत असर पड़ रहा है।

25 लाख का मिला बजट 
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा अभयारणय में करीब 2 वर्ग किमी के एरिया में जूली फ्लोरा फैला हुआ है। सावनभादौ डेम की डाउन स्ट्रीम की तरफ बबूल घना हो गया है। जिसे जड़ समेत उखाड़ने के लिए विभाग को 25 लाख का बजट मिला है। विभाग ने इसके टैंडर प्रक्रिया भी कर दी है। जल्द ही जूली फ्लोरा हटाने का कार्य शुरू हो जाएगा। डेम की ओर जूली फ्लोरा इतना घना हो चुका है कि वन्यजीवों की साइटिंग तक नहीं होे पाती। वहीं, जूली फ्लोरा न केवल स्थानीय वनस्पति को नष्ट कर रहा है, बल्कि बाघ एवं अन्य वन्यजीवों के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है।जमीन को कर देता है बंजर : वनाधिकारियों की माने तो जूली फ्लोरा एक प्रकार का जंगली पौधा है। इससे लाभ की अपेक्षा नुकसान अधिक है। जिस क्षेत्र में जूली फ्लोरा अधिक हो जाता है वहां की जमीन को यह धीेरे-धीरे बंजर कर देता है। ऐसे में जंगल के जिस क्षेत्र में जूली फ्लोरा अधिक होता है। वहां पर ग्रास लैण्ड समाप्त हो जाता है। इससे वन्यजीवों का भोजन समाप्त होने से उन्हें परेशानी होती है। जिसका असर प्रे-बेस पर पड़ता है। 

बाघिन एमटी-4 का पैर हो गया था जख्मी
जानकारी के अनुसार, मुकुंदरा में अक्टूबर 2020 में बाघिन एमटी-4 का पैर कांटा लगने जख्मी हो गया था। जिसके इलाज के लिए पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर बरेली से विशेषज्ञ बुलाए गए थे। इलाज के लिए उसे अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में लाया गया था। पैर में घाव होने से वह काफी दिनों से लंगड़ाकर चल रही थी। तब विशेषज्ञों की निगरानी में चिकित्सकों ने लेजर थैरेपी देकर इलाज किया था। इसके अलावा जंगल में कई वन्यजीव कांटे लगने से जख्मी हो जाते हैं। 

2 वर्ग किमी में डवलप करेंगे ग्रासलैंड 
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के डीएफओ अभिमन्यू सहारण ने बताया कि दरा सेंचुरी में 2 वर्ग किमी के एरिया में जूली फ्लोरा को जड़ समेत उखाड़ा जाएगा। इसकी जगह ग्रासलैंड विकसित करने के लिए बीजारोपण किया जाएगा। इससे शाकाहारी वन्यजीवों के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो सकेगा। जिससे जानवरों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। वहीं, वन्यजीवों की मॉनिटरिंग व साइटिंग भी आसानी से हो सकेगी। 

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10 साल होती उम्र
वनकर्मियों ने बताया कि विलायती बबूल की उम्र करीब 10 वर्ष होती है। यह तने से काटनेभर से ही खत्म नहीं होता बल्कि इसे पूरी तरह से खत्म करने के लिए जड़ से उखाड़ा जाना आवश्यक है। अब तक केवल इसे तने तक ही काटा जा रहा है। वहीं इसकी लम्बाई भी करीब 8 से 10 फीट होती है। यह पेड़ अपने आसपास किसी भी वनस्पति को पनपने नहीं देता। 

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वन्यजीवों के लिए घातक जूली फ्लोरा
मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में जूली फ्लोरा का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। इससे बाघों की मॉनिटिरिंग पर भी असर पड़ रहा है। वहीं, दूसरी ओर इसके असर से बाघों के प्रे-बेस के लिए ग्रासलैंड पर भी खतरा होने लगा है। स्थिति यह है कि बबूल की दरा एरिया में अधिकता होने से वन्यजीवों की दूर से साइटिंग नहीं हो पा रही। एक्सपर्ट का कहना है कि इसके असर से शाकाहारी वन्यजीव चीतल, नील गाय, चिंकारा के लिए चारे की समस्या तक हो जाती है। साथ ही धीरे-धीरे इस वनस्पति के असर से ग्रासलैंड पनप नहीं पाता। 

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जानवरों की जान भी जा सकती है
जूली फ्लोरा यानी विलायती बबूल आसानी से ग्रोथ कर लेता है। उसे जिनता काटा जाए वह तेजी से फैलाव लेते हुए बढ़ता है। ऐसे में उसको जड़ से निकालकर ही नष्ट किया जा सकता है। जूली फ्लोरा का सबसे बड़ा नुकसान वाइल्ड लाइफ को है। जूली फ्लोरा का कांटा जंगली जानवर के पैर में लग जाए तो पैर सड़ा देता है, जिससे जानवर की मृत्यु भी हो सकती है।  
- देवव्रत सिंह हाड़ा, अध्यक्ष पगमार्क फाउंडेशन 

मुकुंदरा में जूलीफ्लोरा तेजी से फैल रहा है। ये स्थानीय वनस्पति को नष्ट कर रहा है। बाघों सहित अन्य वन्यजीवों के लिए भी घातक है। एक बार जहां उगता है, इसके बाद ये बढ़ता ही जाता है। जमीन के पौषक तत्वों को भी खत्म कर रहा है। जूली फ्लोरा का कांटा जानवरों के लिए नुकसान दायक है। समय रहते इसकी रोकथाम जरूरी है।
- एएच जैदी, नेचर प्रमोटर 

कई टाइगर हो चुके जख्मी
जूलीफ्लोरा का कांटा मोटा होता है, जो बाघों व वन्यजीवों के लिए खतरनाक है। कांटा लगने से देश के अन्य टाइगर रिजर्व में कई बाघ जख्मी भी हो चुके हैं। यह वनस्पति को मिलने वाले पानी व खाद सोखकर खुद का पोषण करता है। जिससे दूसरा पौधा कमजोर पड़ जाता है। गर्मियों में गहरा हरा हो जाता है, तब भी इसकी मजबूत जड़ें जमीन का पानी सोख लेती है, जो जमीन के लिए भी नुकसानदायक है।
- रवि नागर, रिसर्चर वाइल्ड लाइफ

मुकुंदरा की दरा रेंज में जुली फ्लोरा को जड़ समेत उखाड़ा जाएगा।  इसके लिए 25 लाख का बजट मिला है। टेंडर प्रक्रिया भी कर दी गई है। इसकी जगह ग्रासलैंड विकसित करेंगे। ताकि, शाकाहारी जानवरों के लिए भोजप उपलब्ध होगा, जिससे प्रे-बेस बढ़ेगा। जंगल के विकास के लिए हमारी ओर से लगातार प्रयास किए जा रहा है। 
- अभिमन्यू सहारण, उपवन संरक्षक, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व

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