अब बब्बर शेर - टाइगर से लेकर भेड़िया तक को पालो, वन विभाग देगा गोद
वन विभाग ने राजस्थान में पहली बार शुरू की कैपटिव एनिमल स्पोंसरशिप स्कीम
इंसानों का वन्यजीवों के प्रति बढ़ेगा लगाव।
कोटा। वन्यजीव प्रेमियों के लिए खुश खबरी है। अब टाइगर, लॉयन, पैंथर, भालू और भेड़िए से लेकर हिरण तक पाल सकते हैं। साथ ही चिड़ियाघर में मौजूद सभी मांसाहारी व शाकाहारी वन्यजीवों को गोद लेकर पालनहार भी बन सकते हैं। वन विभाग खुद जंगली जानवरों को गोद देगा। दरअसल, राजस्थान में पहली बार वन विभाग ने कैपटिव एनिमल स्पोंसरशिप स्कीम शुरू की है। जिसके तहत आमजन चिड़ियाघर व बायोलॉजिकल पार्क में रहने वाले सभी वन्यजीवों को गोद लेकर उनकी देखरेख का जिम्मा उठा सकते हैं। लेकिन, गोद लिए गए सभी जानवर चिड़ियाघर में ही रहेंगे। इस स्कीम का उद्देश्य इंसानों का वन्यजीवों के प्रति लगाव बढ़ाने और जागरूक करना है।
यह है कैपटिव एनिमल स्पोंसरशिप स्कीम
वन्यजीव विभाग कोटा के उप वन संरक्षक अनुराग भटनागर ने बताया कि यह कैपटिव एनिमल स्पोंसरशिप स्कीम राजस्थान में पहली बार लॉन्च की गई है। इसके तहत प्रदेशभर के बायोलॉजिकल पार्क व चिड़िया घरों में रहने वाले शाकाहारी व मांसाहारी वन्यजीवों को आमजन, ग्रुप मेंबर, कॉरपोरेट कम्पनियां, संस्थाएं सहित वन्यजीव प्रेमी कोई भी गोद ले सकता है। जानवर जू या बायोलॉजिकल पार्क में ही रहेंगे। पालनहार को गोद लिए एनिमल की देखरेख, खानपान, दवाइयां सहित इनके मेंटिनेंस का खर्चा वहन करना होगा।
यह 5 तरह की मिलेगी स्पोंसरशिप
डीसीएफ भटनागर कहते हैं, वन्यजीवों को गोद दिए जाने के लिए 5 तरह की स्पोंसरशिप है। जिसमें एस-1 से लेकर एस-5 तक की कैटेगिरी शामिल हैं, जो इस प्रकार है.....
इंडिज्यूअल एनिमल एडोप्शन
पहली स्पोंसरशिप में कोई भी व्यक्ति, संस्था या कम्पनी चाहे तो अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में इंडिज्यूअल रह रहे किसी भी एक वन्यजीव को गोद ले सकते है। जैसे की बायोलॉजिकल पार्क में दो भालू हैं, इनमें से कोई एक भालू को ही गोद लेना चाहता है तो वह ले सकता है। इसके बाद संबंधित व्यक्ति को गोद लिए एनिमल की देखरेख, भोजन, दवाइयां, मेंटिनेंस सहित सम्पूर्ण खर्चा उसे ही वहन करना होगा। वन्यजीवों को गोद 1 से 12 माह या इससे भी अधिक समय तक के लिए नियमानुसार ले सकते हैं। यह एस-1 कैटेगिरी में आती है।
नया एनक्लोजर बनाना
पालनहार बायोलॉजिकल पार्क में नया एनक्लोजर बना सकते हैं। उन्हें एनक्लोजर निर्माण का खर्च, निश्चित अवधि तक मेंटिनेंस और उसमें रखे जाने वाले एनिमल, जहां से भी लाना है उसका सम्पूर्ण खर्च वहन करना होगा। इसमें एनक्लोजर की लागत, मेंटिनेंस, एनिमल शिफ्टिंग से देखरेख तक का खर्च शामिल है।
पूरा एनक्लोजर गोद
पालनहार पूरा एनक्लोजर ही गोद ले सकता है। इसमें रहने वाले सभी जानवरों की देखरेख, भोजन-पानी, दवाइयां, साफ-सफाई व मेंटिनेंस सहित सम्पूर्ण खर्चा उन्हें ही वहन करना होगा। यह स्कीम एस-2 कैटेगिरी में आती है।
वन्यजीवों का मेडिकेयर
पालनहार पार्क में रहने वाले सभी वन्यजीवों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी ले सकता है। पार्क के सभी एनिमल्स की दवाइयां, जांच परीक्षण किट, वेक्सिनेशन स्वास्थ्य से संबंधित सभी जरूरी खर्च उठाने की जिम्मेदारी ले सकता है। इसमें देखरेख, भोजन का खर्च शामिल नहीं होगा।
दुलर्भ वन्यजीवोंको चिड़िया घर में बसाना
यह स्पोंसरशिप उन लोगों के लिए है, जो दुलर्भ वन्यजीव उदबिलाउ व गोडावन को कैपटिव में बसाना चाहते हैं। इन वन्यजीवों को कहीं ओर से लाकर कैपटिव ब्रिडिंग करवाना चाहते हैं तो इसके लिए बायोलॉजिस्ट, केयर टेकर की जरूरत होगी, जिसका खर्चा वहन करना होगा। क्योंकि, इन्हीं की निगरानी व देखरेख में यह काम होगा।
पालनहारों को मिलेगा पाई-पाई का हिसाब
डीसीएफ ने बताया कि पालनहार द्वारा गोद लिए एनिमल पर जितने भी पैसे खर्च होंगे, उसकी आॅडिट करवाई जाएगी। वे कभी भी अपने पैसे का हिसाब ले सकते हैं। उन्हें खर्च हुई राशि की आॅडिट रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इससे कार्य व सिस्टम में पारदर्शिता बनी रहेगी।
वन्यजीवों को कैसे लेंगे गोद
चिड़िया घर या अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में मौजूद वन्यजीवों को गोद लेने वाले व्यक्ति, संस्था या कॉपोरेट कम्पनी को पहले जू-इंचार्ज को आवेदन करना होगा। जिसे मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को भेजा जाएगा, जहां से स्वीकृति मिलने के बाद एडोप्शन की कार्यवाही की जाएगी।
अमूमन, वन्यजीव विभाग के पास बजट की कमी रहती है। जिसकी वजह से एनीमल्स की बेहतर देखरेख में परेशानी होती है। इस स्पोंसरशिप स्कीम से वन्यजीवों की अच्छे से देखरेख हो सकेगी। साथ ही इंसानों में बेजुबानों के प्रति लगाव भी बढ़ेगा।
- रवि नागर, रिसर्चर
राजस्थान में पहली बार कैपटिव एनिमल स्पोंसरशिप स्किम शुरू की गई है। कोई भी संस्था या वन्यजीवप्रेमी अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के वन्यजीवों को गोद लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं। कई लोग ऐसे हैं जो वन्यजीवों की मदद करना चाहते हैं लेकिन कैसे करें, इसकी जानकारी नहीं है। इस प्लेटफॉर्म से लोगों में वन्यजीवों के प्रति लगाव व जुड़ाव बढ़ेगा। गोद लिए एनीमल चिड़ियाघर में ही रहेंगे। डाइट व देखरेख वन्यजीव चिकित्सक व विशेषज्ञों की निगरानी में ही होगी। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के नियम यथावत ही रहेंगे।
- अनुराग भटनागर, उप वन संरक्षक, वन्यजीव विभाग कोटा

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