विदेशों की तर्ज पर कोटा में भी मशीनों से हो भवन निर्माण

निर्माण सामग्री सड़क पर डालने से ट्रैफिक बाधित और आमजन को होती है परेशानी

विदेशों की तर्ज पर कोटा में भी मशीनों से हो भवन निर्माण

विदेशों में चाहे जापान हो या दुबई। वहां अधिकतर भवन निर्माण के काम मशीनों से किए जा रहे हैं। ऐसे में निर्माण सामग्री को सीधे मशीनों में डाला जा रहा है। जिससे प्रेशर से उस सामग्री को ऊंचाई तक भेजा जा रहा है। जिससे निर्माण सामग्री को न तो सड़क पर डालना पड़ रहा है और न ही पड़ौसी के मकान के सामने।

कोटा। विदेशी तकनीक को अपनाकर भारत में कई कार्य किए जा रहे हैं। लेकिन भवन निर्माण के कार्य को अभी भी देशी तरीके से ही किया जा रहा है। जिससे निर्माण सामग्री सड़क पर डालने से ट्रैफिक बाधित होने के साथ ही आमजन को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि विदेशी तर्ज पर आधुनिक मशेनों से कोटा में भी भवन निर्माण किया जाए तो भवन निर्माण में समय भी कम लगेगा और लोगों को परेशानी भी नहीं होगी। 21 वीं सदी में अधिकतर काम मशीनों से होने लगे हैं। भारत में भी आधुनिक मशीनों का उपयोग कर कई काम किए जा रहे हैं। लेकिन भवन निर्माण कार्य में अभी भी देश में अधिकतर देशी तरीके से ही कार्य किया जा रहा है। विशेष रूप से छोटे मकानों को बनाने में। देश के महानगरों और कोटा में भी बहुमंजिला इमारतों के निर्माण में तो अधिकतर मशीनों का उपयोग किया जाने लगा है। लेकिन छोटे मकान बनाने में अभी तक मशीनों का उपयोग नहीं हो रहा है। ऐसे में भवन निर्माण करने वाले अपने मकान में उपयोग की जाने वाली निर्माण सामग्री पत्थर, ईंट, बजरी, सीमेंट, सरिया और मकान का मलबा तक या तो सड़क पर बीच राह डाल रहे हैं या पड़ौसी के घर के आस-पास। जिससे शहर में कई जगह तो ऐसी हैं जहां इस कारण से एक चौथाई से आधी तक सड़क घिरी रहती है। ऐसा एक दो दिन या महीने के लिए नहीं वरन पूरे साल देखा जा सकता है। निर्माण सामग्री सड़क के बीच में पड़ी होने से या तो निर्माण कर्ता उस दौरान आम रास्ते को ही बंद कर देता है या फिर वहां वाहनों को निकलने की जगह बहुत कम होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गली मौहल्ले ही नहीं मेन रोड तक पर इसी तरह के दृश्य आए दिन देखे जा सकते हैं। इससे उस मकान के आस-पास रहने वाले लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालत यह है कि नगर निगम द्वारा ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्ती का कोई प्रावधान नहीं होने से कार्रवाई भी नहीं हो पा रही है। जिससे इस तरह  के कार्यों की संख्या दिनों दिन एक दूसरे को देखकर बढ़ती जा रही है। 

विदेशों में मशीनों का अधिक उपयोग
विदेशों में चाहे जापान हो या दुबई। वहां अधिकतर भवन निर्माण के काम मशीनों से किए जा रहे हैं। ऐसे में निर्माण सामग्री को सीधे मशीनों में डाला जा रहा है। जिससे प्रेशर से उस सामग्री को काफई ऊंचाई तक भेजा जा रहा है। जिससे निर्माण सामग्री को न तो सड़क पर डालना पड़ रहा है और न ही पड़ौसी के मकान के सामने। ऐसे में मकान भी आसानी से व कम समय में तैयार हो रहे हैं। साथ ही किसी को परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ रहा। 

प्राइवेट ही नहीं सरकारी निर्माण से भी परेशानी
शहर में प्राइवेट निर्माण कार्य की सामग्री सड़क पर बीच राह पड़ी होने से परेशानी तो हो ही रही है। जबकि सरकारी निर्माण कार्य के दौरान भी अधिकतर समय निर्माण सामग्री को बीच राह ही डाली जा रही है। जिससे आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में भी शहर का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां इस तरह निर्माण सामग्री के बीच राह में पड़े होने से परेशानी नहीं हो रही हो। फिर चाहे वह वल्लभ नगर व तलवंडी जैसी पॉश कॉलोनी हो या फिर नयापुरा व खेड़ली फाटक का क्षेत्र। हर जगह पर भवन निर्माण के दौरान बीच राह डाली जा रही निर्माण सामग्री लोगों के लिए परेशानी का कारण बन रही है। 

तैयार ब्लॉक व स्ट्रक्चर से भी निर्माण संभव
जिस तरह से शहर में कई सरकारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं।  उसी तरह से प्राइवेट निर्माण भी किए जा सकते हैं। सरकारी निर्माण में ब्लॉक व स्ट्रक्चर को किसी अन्य स्थान पर तैयार किया जा रहा है। वहां से तैयार सामग्री को लाकर सिर्फ चुनाई कर निर्माण किए जा रहे हैं। जिससे किसी को भी परेशानी नहीं हो रही है। उसी तरह से प्राइवेट निर्माण भी किए जा सकते हैं। 

Read More शहरी समस्या समाधान शिविर-2025 : अभियान में नहीं मिलेगी किसी कार्मिक को छुट्टी, हर दिन आने वाले आवेदनों का उसी दिन करना होगा निस्तारण

भवन निर्माण में आधुनिक मशीनों की तकनीक का उपयोग किया जाए तो इससे बेहतर कोई उपाय नहीं है। इस तकनीक से निर्माण कार्य में तो सुविधा होगी ही साथ ही आमजन को भी परेशानी नहीं होगी। जबकि भवन निर्माण के दौरान बीच सड़क पर निर्माण सामग्री डालना गलत है। लेकिन छोटे निर्माण व कम जगह में निर्माण करने पर मशीनों का उपयोग करना संभव नहीं हो पाता। जिससे मजबूरी में निर्माण सामग्री को सड़क पर या आस-पास डालना पड़ रहा है। मशीनों से निर्माण महंगा होने से इसका उपयोग बहुत कम लोग कर रहे हैं। हालांकि बड़े बिल्डर तो मशीनों से ही निर्माण कर रहे हैं। 
- आई.एल. सैनी, निदेशक, सुमंगलम् ग्रुप

Read More नवीन आयुर्वेद चिकित्सालय निर्माण की 32 करोड़ की योजना फाइलों में उलझी

 मशीनों से निर्माण महंगा
बिल्डर द्वारा मल्टी स्टोरी का निर्माण करने के दौरान इस तरह की परेशानी कम होती है। इसका कारण मल्टी स्टोरी वाला प्लॉट बड़ा होने से निर्माÞण सामग्री बाहर नहीं डालकर उसी प्लॉट पर डाली जा रही है। साथ ही बहुमंजिला इमारतों का निर्माण होने से बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। मशीनों का उपयोग महंगा पड़ता है। ऐसे में यह छोटे भवन निर्माण में संभव नहीं हो पा रहा है। वैसे प्रयास किए जाएं तो आधुनिक मशीनों से भवन निर्माण किया जा सकता है। जिससे कम समय में निर्माण होगा और लोगों को परेशानी भी नहीं होगी। 
- अभिषेक गुप्ता, निदेशक, आकांक्षा दीप हाइट्स 

Read More सीएमओ में बैठक : सूचना आयुक्त के रिक्त पदों पर होगी नियुक्ति, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी विशेष रूप से मौजूद

छोटे निर्माण में मशीनों का उपयोग संभव नहीं
दुबई में पूरी प्लानिंग करने के बाद निर्माण कार्य किया जाता है। जिसे सरकार भी नहीं बदल सकती है। विदेशी तकनीक पर महानगरों में मल्टी स्टोरी बनाने में मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। जबकि कोटा जैसे शहर में और छोटे भवन निर्माण में मशीनों का उपयोग संभव नहीं है। इसका कारण बड़ी-बड़ी मशीनों की उपलब्धता नहीं हो पाती है। साथ ही मशीनों का खर्चा ही इतना महंगा होता है कि हर कोई उसे हायर नहीं कर पाता है। वैसे मशीनी तकनीक का उपयोग किया जाए तो बेहतर है। इससे परेशानी से बचा जा सकेगा। 
- सुशील जैन, निदेशक, ओरियंट बिल्डर्स

बड़े निर्माण में आरसीसी का काम करने के लिए तो आरएमसी तकनीक का उपयोग किया जाने लगा है। जिसमें मशीनों से मिक्सर को कई मंजिल उपर तक पहुंचाकर छत डाली जा रही है। उसके लिए पेड़े बांधने की जरूरत नहीं है। लेकिन छोटे निर्माण में ऐसा संभव नहीं है। भवन निर्माण करने वाले को निर्माण सामग्री सड़क पर डालना मजबूरी है। हालांकि निगम द्वारा सड़क पर निर्माण सामग्री डालकर रास्ता बाधित करने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाने का प्रावधान है। संबंधित जमादार व निरीक्षक जुर्माना लगा सकता है। लेकिन इस तरह की कार्रवाई बहुत कम हो रही है। छटे निर्माण में मशीनों का उपयोग महंगा होने से संभव नहीं हो पा रहा है। आरसीसी के अलावा अन्य निर्माण सामग्री को मशीनों से तैयार नहीं किया जा सकता। यदि भवन निर्माण में आधुनिक मशीनों का उपयोग किया जाए तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। 
- राजीव अग्रवाल, महापौर, नगर निगम कोटा दक्षिण 

Post Comment

Comment List

Latest News

एसआईआर को लेकर अखिलेश ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल, बोलें-चुनावी गणित होगा प्रभावित एसआईआर को लेकर अखिलेश ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल, बोलें-चुनावी गणित होगा प्रभावित
यूपी में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने...
मेले में दिखा कला, संस्कृति और सामुदायिक उत्सव का संगम, ग्रेट हार्ट आश्रम से आए 150 बच्चों ने आयोजन में लिया भाग
रघु सिन्हा आईटीएफ मास्टर्स टेनिस प्रतियोगिता सम्पन्न, रियाज और विभा ने जीते तिहरे खिताब
दिल्ली-NCR में 40 उड़ानें रद्द, 4 डायवर्ट, AQI 466 तक पहुंचा
उर्स की तैयारियां तेज : जगमगाया दरगाह परिसर पुनर्निमित सबीली गेट से आवाजाही शुरू, उर्स का झंडा 17 को चढ़ेगा
जानें राज काज में क्या है खास 
आखिर क्यों अजित पवार ने फिर बनाई आरएसएस से दूरी? सामने आई चौकाने वाली वजह