सेमेस्टर बना जी का जंजाल, डबल फीस और परीक्षा बढ़ा रही दर्द

कॉलेजों के हालात सुधारे बिना ही लागू सेमेस्टर विद्यार्थियों के लिए बनी मुसीबत

सेमेस्टर बना जी का जंजाल, डबल फीस और परीक्षा बढ़ा रही दर्द

शिक्षक बोले-सालभर परीक्षा फिर एडमिशन में ड्यूटी, कक्षाओं में पढ़ाएं कब?

कोटा। उच्च शिक्षा में जिस उद्देश्य से राष्टÑीय शिक्षा नीति के तहत सेमेस्टर प्रणाली लागू की गई वो सरकारी मशीनरी की लचरता से जी-का जंजाल बन गई। राजकीय महाविद्यालयों में मानव व भौतिक संसाधनों की आवश्यकता पूरी किए बिना ही सेमेस्टर स्कीम थोप दी गई। जिससे न केवल उच्च शिक्षा बेपटरी हुई बल्कि विद्यार्थी मानसिक व आर्थिक बोझ तले दब गए। उच्च शिक्षा में सेमेस्टर स्कीम लॉन्च हुए दो साल से ज्यादा समय बीत चुका है लेकिन फायदा होने की जगह विद्यार्थियों के परेशानी का सबब बन गया। परीक्षाएं तीन-तीन महीने लेट होने लगी, जिसका असर रिजल्ट में देरी  के रूप में सामने आने लगा। हालात यह हैं, राजसेस व रेगुलर कॉलेजों में छात्रसंख्या  के मुकाबले भौतिक व मानव संसाधनों के अभाव के बीच सेमेस्टर ने उच्च शिक्षा का ढर्रा ही बिगाड़ रख दिया। बीए, बीएससी व बीकॉम में हजारों विद्यार्थी बेक  की मार झेल रहे हैं। तीन साल की ग्रेजुएशन डिग्री चार साल में भी पूरी नहीं हो पा रही। दैनिक नवज्योति ने गत वर्षों से सेमेस्टर स्कीम को अनुभव  कर रहे शिक्षकों व विद्यार्थियों से सुधारात्मक नतीजों पर बात की तो छात्रों का दर्द दिल से जुबां पर आ गया। पेश है रिपोर्ट के खास अंश...

सुझाव : सेमेस्टर पर हो सेमीनार 
गवर्नमेंट कॉलेज कोटा के निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष आशीष मीणा का कहना है, 12वीं कक्षा पार कर प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी सेमेस्टर से अनजान होते हैं, सभी नवप्रवेशित विद्यार्थियों को सेमेस्टर प्रणाली क्या है, सिलेबस व पढ़ाई की तैयारी, प्रेक्टिकल तथा मिर्ड टर्म कैसे होंगे, इसकी जानकारी के लिए शुरुआती स्तर पर ही सेमीनार आयोजित कर देनी चाहिए। 

कॉलेज स्तर पर हो काउंसलर नियुक्त
एनईपी के तहत सेमेस्टर स्कीम के तहत मिर्ड टर्म की तैयारी, प्रेक्टिकल, असाइनमेंट, रिपोर्ट वर्क तैयार करने के तरीके सिखाए जाने तथा क्रेडिट सिस्टम समझाने के लिए कॉलेज स्तर पर काउंसलर्स की नियुक्ति की जानी चाहिए ताकि नवप्रेवेशित विद्यार्थी पहले दिन से ही एग्जाम पैटर्न व प्रक्रिया से रुबरू हो सके।

3 साल की ग्रेजुएशन 4 साल में  
राजकीय महाविद्यालयों के छात्रों का कहना है, सरकार कॉलेजों की जमीनी हकीकत से कोसों दूर है, पढ़ाने को शिक्षक नहीं, प्रेक्टिकल के लिए संसाधन नहीं। इसके बावजूद आनन-फानन में सेमेस्टर प्रणाली थोप दी गई। जिसका नकारात्मक प्रभाव कई रूपों में नजर आया। दिसम्बर में होने वाले प्रथम सेमेस्टर के एग्जाम तीन माह देरी से अप्रेल में हो रहे हैं। वहीं, द्वितीय सेमेस्टर जून की जगह अगले वर्ष सितम्बर में हो रही। छात्र प्रकाश कुमार झा, अक्षय मेहता का कहना है, यूजी प्रथम वर्ष के पहले सेमेस्टर का एग्जाम दिसम्बर 2024 में होना था, जो अप्रेल 2025 में हुए। इसी तरह द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा जून में हो रही। जिसके परिणाम भी देरी से जारी हो रहे। इसकी वजह से 3 साल की ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी होने में 4 साल लग रहे। 

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डबल फीस का बोझ 
सेमेस्टर स्कीम का सबसे बड़ा नुकसान आर्थिक रूप से  हो रहा है। इस प्रणाली 6-6 माह में साल में दो बार एग्जाम हो रहे हैं, जिसकी फीस दो से ढाई हजार रुपए  के हिसाब से चार से पांच हजार रुपए प्रति स्टूडेंट्स से यूनिवर्सिटी वसूलती है। इसके अलावा बेक आने पर फिर से एग्जाम फीस, रिचेकिंग फीस से भी आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। जबकि, वार्षिक स्कीम में साल में एक बार पेपर और एक बार ही एग्जाम फीस देनी होती थी।  

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क्या कहते हैं विद्यार्थी  
वर्ष 2023 से सेमेस्टर सिस्टम लागू हुआ लेकिन कॉलेजों में शिक्षकों की कमी पूरी नहीं की गई। कई विषयों की क्लासें नहीं लग पाती। ओल्ड स्कीम में साल में एक बार एग्जाम व एक बार ही एग्जाम फीस तथा समय पर सिलेबस पूरा हो जाता था लेकिन सेमेस्टर सिस्टम में सब दोगुना हो गई। परीक्षाओं के साथ परीणाम में भी अनावश्यक देरी से कॅरियर प्रभावित हो रहा है।
- सलोनी सेन, छात्रा, तृतीय वर्ष गवर्नमेंट कॉलेज

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कॉलेजों में मानव व भौतिक संसाधनों की कमी दूर करने के बजाए सेमेस्टर प्रणाली लागू कर देने से उच्च शिक्षा बेपटरी हो गई।  हालांकि क्रेडिट ट्रांसफर और एबीसी आईडी सिस्टम होने से कॉलेज बदलना या ब्रेक लेना आसान हो गया है और मोडूलर परीक्षाएं होने से छात्रों में स्ट्रेस भी कम रहता है। 
- चित्रांक्षा कंवर, बीएससी थर्ड सेमेस्टर 

जिस उद्देश्य के साथ सेमेस्टर स्कीम लागू की गई, वह संसाधनों की कमी से पूरे नहीं हो पाए। सेमेस्टर एग्जाम तीन-तीन माह देरी से हो रहे। जिनके परिणाम भी देरी से आ रहे। जिसकी वजह से शैक्षणिक सत्र लेट होता है। बाद में यूनिवर्सिटी द्वारा विद्यार्थियों पर परीक्षा का दबाव डाला जाता है। उन्हें परीक्षा की तैयारी करने का समय नहीं दिया जाता। जिससे विद्यार्थी मानसिक तनाव से गुजरते हैं। इसका खामियाजा परीक्षा परिणाम के रूप में भुगतना पड़ता है। सरकार को संसाधनों में सुधार करना चाहिए। 
- आशीष मीणा, निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष, राजकीय महाविद्यालय कोटा

सिस्टम लागू होने से अभी तक छात्रों को कोई फायदा नहीं हुआ है, बल्कि कई गुना नुकसान हो गया। तीन साल की गे्रजुएशन की डिग्री 4 साल से ज्यादा समय में हो रही है। हर सेमेस्टर एग्जाम फीस जमा करने से आर्थिक भार पड़ रहा है। यूनिवर्सिटी भी विद्यार्थियों  की शिकायतों का समाधान भी समय पर नहीं कर रही। जिससे छात्र परेशान हैं।  
- रिद्धम शर्मा, छात्र नेता,राजकीय कला महाविद्यालय कोटा

एक एग्जाम खत्म तो दूसरे शुरू, टीचर ड्यूटी में तो पढ़ाए कौन
सेमेस्टर स्कीम को सैद्धांतिक रूप से लागू किया गया है। मानव संसाधन उपलब्ध कराए बिना इस प्रणाली की सफलता पर संशय है। समेस्टर के तहत कॉलेज में पूरे साल परीक्षा होती है। एक सेमेस्टर की परीक्षा खत्म होती तो दूसरे सेमेस्टर की शुरू हो जाती है। जिसके एग्जाम खत्म हुए उनकी कक्षाएं प्रारंभ हो जाती है। इसी बीच एडमिशन प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है। जिनमें शिक्षकों की ड्यूटी लगी  होती है। ऐसे में शिक्षक परीक्षा व एडमिशन भी कराए तो क्लासों में कब पढ़ाएंगे।  
- रघुराज परिहार, प्रदेशाध्यक्ष विवि एवं महाविद्यालय संघ रुक्टा 

सेमेस्टर प्रक्रिया से उच्च शिक्षा का व्यवस्थित ढांचा बिगड़ गया। स्टूडेंट्स ही नहीं कई टीचर्स को भी सेमेस्टर स्कीम के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।  मिड टर्म व प्रेक्टिकल भी देरी से हो रहे हैं। साल में दो बार एग्जाम से चार से पांच हजार रुपए अतिरिक्त  फीस लग रही है। डिग्री करने में तीन की जगह चार साल तक लग रहे हैं।   
- कृतिका गौतम, छात्रा गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज 

नई शिक्षा नीति के तहत सेमेस्टर स्कीम लागू की गई है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वार्गिंण विकास करना है। हर 6 माह में परीक्षा होने से कक्षाओं में विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ती है। जिससे ज्ञान और कौशल का विकास होता है। हालांकि, संसाधनों की कमी के कारण समय पर परीक्षाएं करवाना चूनौतिपूर्ण है। जिसमें सुधार के प्रयास लगातार जारी है। 
- प्रो. कैलाश सोडाणी, कुलपति कोटा विवि 

जुलाई से शुरू होने वाले नए शिक्षा सत्र 2025-26 में यूजी फाइनल ईयर भी सेमेस्टर प्रणाली के तहत संचालित होगी। इसी के साथ पूरी ग्रेजुएशन नई शिक्षा नीति के तहत सेमेस्टर स्कीम मे हो सकेगी। सेमेस्टर प्रणाली से शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ रही है।   
- डॉ. विजय पंचौली, सहायक क्षेत्रीय निदेशक आयुक्तालय कोटा 

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