राज्य सरकार के पर्यावरण संरक्षण पर सवाल : आदेश से कई स्कूल घनचक्कर, कक्षा 8 तक हर बच्चे को रोज 10, 9 से 12वीं और हर शिक्षक को 15-15 पौधे लगाने का लक्ष्य
पौधरोपण स्थल खोजो प्रतियोगिता शुरू
आदेश के अनुसार बीस दिन तक कक्षा 1 से 8 के बच्चों को प्रतिदिन 10 और कक्षा 9 से 12 के छात्रों को 15 पौधे लगाने का लक्ष्य मिला है।
उदयपुर। राज्य सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम तो बेहतर उठाया है, लेकिन आदेश में कुछ बिन्दु ऐसे हैं, जो अव्यावहारिक हैं। इसके चलते इन दिनों स्कूलों में हिंदी, गणित एवं विज्ञान नहीं, सिर्फ पौधे लगाना, जीओ टैगिंग करना और उसके साथ फोटो खिंचवाना सिलेबस बना हुआ है। ऐतिहासिक हरियाळो राजस्थान अभियान के तहत हर बच्चा सुबह स्कूल आते ही सबसे पहले खुदाई करेगा, फिर पौधा लगाएगा और उसका फोटो अपने मोबाइल से सेल्फी विद सैपलिंग पोर्टल पर अपलोड करेगा। शिक्षकों को भी अब स्कूल पहुंचने के साथ ऐसा ही रोजाना करना होगा। इस आदेश को लेकर अधिकारी भी अब बोलने से बच रहे हैं।
आदेश के अनुसार बीस दिन तक कक्षा 1 से 8 के बच्चों को प्रतिदिन 10 और कक्षा 9 से 12 के छात्रों को 15 पौधे लगाने का लक्ष्य मिला है। शिक्षकों के लिए यह संख्या 15 प्रतिदिन रखी गई है, जिससे वे पौधों के साथ-साथ बच्चों को जीवन के वास्तविक पेड़ों की शिक्षा भी दे सकें। शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, अब 15 दिन में बच्चा टमाटर का पौधा लगा पाए तो परीक्षा में बोनस अंक भी मिल सकते हैं। सरकार का आदेश है कि हर पौधे का जीओ-टैग होना चाहिए, जिससे आगामी वर्षों में यह ट्रैक किया जा सके कि वह पौधा आज भी जीवित है या मर चुका है। इस टैगिंग के लिए अब स्कूलों को उपकरण, मोबाइल नेटवर्क, 4जीडाटा और बच्चों को फोटोशॉप की जरूरत रहेगी।
पौधरोपण स्थल खोजो प्रतियोगिता शुरू
शहर में स्कूलों के पास सीमित जमीन है या नहीं है, तो बच्चों और शिक्षकों को खोजो जमीन-लगाओ पौधा अभियान में जुटना पड़ेगा। कुछ स्कूलों ने तो बच्चों को करीबी पहाड़ियों और खेतों में भेजना शुरू कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि वे पहले ही पढ़ाई, मिड-डे मील, एडमिशन, परीक्षा, पोर्टल पर अपलोडिंग, बर्थडे सेलिब्रेशन और बाल सभा में व्यस्त हैं। अब पौधा लगाने, उसकी देखरेख और सूखने पर मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग कराना भी उनकी ड्यूटी की तरह बन गया है।
पौधे संग फोटो नहीं, तो हाजिरी नहीं
नए नियम के अनुसार, जब तक छात्र पौधे के साथ अपनी तस्वीर नहीं भेजेगा, उसकी उपस्थिति मान्य नहीं होगी। कई बच्चे अब पेड़ को प्रोजेक्ट पार्टनर की तरह ट्रीट कर रहे हैं। सुबह पानी देना, शाम को फोटो भेजना और बीच-बीच में लव यू प्लांट कह कर भावनात्मक जुड़ाव बनाना।
पौधे नहीं मिले तो कलम और बीजों का उपयोग किया जा सकेगा। प्रयास यह है कि बच्चों को पेड़-पौधे का महत्व समझ में आ जाए। जमीन को लेकर हमसे जरूर पूछा जा रहा है, हम स्कूलों को सुझाव दे रहे हैं।
लोकेश भारती, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक

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