कृषि मंत्री ने उदयपुर में आठ फैक्ट्रियों पर मारे छापे : बोले- अमानक खाद के 30 हजार बैग बेच एक करोड़ की सब्सिडी डकारी, सैंपल जांच रिपोर्ट आने के बाद होगी कानूनी कार्रवाई
उदयपुर से भी मिली थी दर्जनों शिकायतें
मंत्री डॉ मीणा ने कहा कि हम ऑर्गेनिक खाद निर्माताओं को प्रमोट करना चाहते हैं, लेकिन थोड़े से अनुचित लाभ के लिए ये लोग मिलावटी कामों में लग जाते हैं।
उदयपुर। कृषि मंत्री डॉ किरोड़ीलाल मीणा ने किशनगढ़ और जयपुर के बाद गुरुवार को उदयपुर में ऑर्गेनिक खाद बनाने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ मोर्चा खोला। एक ही दिन में उन्होंने उमरड़ा व गुडली क्षेत्र में आठ फैक्ट्रियों से सैंपल लिए हैं। इस छापेमारी से क्षेत्र में स्थित छोटी-मोटी फैक्ट्रियों में हड़कंप मच गया। पहली कार्रवाई पटेल फास्फोरस कंपनी में हुई, जहां कृषि मंत्री डॉ मीणा ने बारीकी से जांच की। उन्होंने प्रोडक्शन से लेकर सप्लाई सेक्शन तक की जांच की। इस फैक्ट्री में ऑर्गेनिक खाद बनाने का दावा किया जा रहा था। फैक्ट्री से मंत्री की मौजूदगी में खाद के सैंपल लिए गए। मंत्री ने सैंपल हाथ में लेते ही बता दिया कि इसमें मिलावट है।
इसके बाद उन्होंने रामा फास्फेट, प्रेम सखी तथा अेडिसा फैक्ट्रियों में जाकर भी सैंपल लिए। उमरड़ा के बाद वे गुडली पहुंचे, जहां खींचा, शगुन, भूमि और साधना फर्टिलाइजर प्लांट पहुंचे। मंत्री किरोड़ी ने कहा कि ऑर्गेनिक खाद में मिलावट की जानकारी मिली थी। ये लोग ऑर्गेनिक खाद में मिलावट कर बेचते हैं। इन फैक्ट्रियों से मई में अलग-अलग सैंपल लिए गए थे, जो मानकों पर खरे नहीं उतरे। पहले शिकायत मिलने पर केंद्र से आई टीम ने निरीक्षण भी किया था। इस पर 6 महीने की सब्सिडी इनकी सस्पेंड कर दी थी।
सब्सिडी डकार रहे, रिकॉर्ड शून्य
कृषि मंत्री डॉ मीणा ने कहा कि ऑर्गेनिक खाद निर्माताओं को प्रमोट करने के लिए एसएसपी यानी सिंगल सुपर फास्फेट खाद के 50 किलो बैग पर 328 रुपए की सब्सिडी दी जाती है। उदयपुर की एक फैक्ट्री में पाए गए 30 हजार अमानक बैग का रिकार्ड ही नहीं मिला है, जबकि इससे मिली करीब 01 करोड रुपए की सब्सिडी डकार गए। जो 30 हजार बैग अमानक पाए गए थे, उन्हें सिर्फ रिकार्ड पर ले लिया गया है, लेकिन वे 30 हजार बैग आखिर गए कहां, इसकी फैक्ट्री संचालकों के पास कोई जानकारी नहीं है।
उदयपुर से भी मिली थी दर्जनों शिकायतें
मंत्री डॉ मीणा ने कहा कि हम ऑर्गेनिक खाद निर्माताओं को प्रमोट करना चाहते हैं, लेकिन थोड़े से अनुचित लाभ के लिए ये लोग मिलावटी कामों में लग जाते हैं।
अब तक हमने जहां से जो भी सैंपल लिए हैं, उसमें कुछ न कुछ मिलावट जरूर सामने आई है। किसानों को ऑर्गेनिक खाद के नाम पर ऐसी खाद थमाई जा रही है, जो उनके किसी काम की ही नहीं है।

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