अहमदाबाद विमान हादसा : मार्बल व्यवसायी के बेटे-बेटी की अहमदाबाद में अंत्येष्टि
वरदीचंद मेनारिया के शव का पैतृक गांव में अंतिम संस्कार
जवान बेटे-बेटी के शव मोक्षधाम पर ले जाकर उनका अंतिम संस्कार करना किसी भी पिता के लिए सहज नहीं होता।
उदयपुर। इसे विडबंना कहे या भगवान की लीला। जिन बच्चों को बड़े नाजों से पाल पोस कर बड़ा किया, अन्तिम बार उनके चेहरे माता-पिता नहीं देख सके। इसे क्या कहेंगे। अहमदाबाद के विमान हादसे में अपने जवान बेटे-बेटी को खो चुके मोदी परिवार के लिए यह वीभत्स पल रविवार को सामने आया, तो अहमदाबाद के मोक्षधाम में मौजूद हर शक्स की आंखों से अश्रुधारा बह निकली। मार्बल व्यवसायी संजीव मोदी के पुत्र शुभ और पुत्री शगुन की बॉडी परिजनों को डीएनए टेस्ट के बाद मिल गई। जवान बेटे-बेटी के शव मोक्षधाम पर ले जाकर उनका अंतिम संस्कार करना किसी भी पिता के लिए सहज नहीं होता। रविवार को पितृ दिवस भी था बच्चे अपने पिता का आशीर्वाद ले रहे थे, लेकिन शुभ और शगुन के पिता उन्हें अंतिम विदाई दे रहे थे।
विमान हादसे के मृतकों के शव शनिवार से ही उनके परिजनों को मिलने शुरू हो गए हैं। रूंडेडा के रहने वाले वरदीचंद मेनारिया के शव का रविवार को पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया। बेटे दिनेश और दीपक ने मुखाग्नि दी। इससे पूर्व उनकी पार्थिव शरीर रविवार सुबह 7.25 बजे अहमदाबाद से एम्बुलेंस में तीन पुलिस जवानो के साथ उनके पैतृक गांव रूण्डेड़ा पहुंची। शव के गांव पहुंचते ही पूरे गांव में माहौल गमगीन हो गया। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। वरदी चंद की पत्नी इस दौरान बेसुध हो गई।
लंदन से एमटेक का सपना रह गया अधूरा
गोगुंदा गांव की 22 वर्षीय पायल खटीक के सपने बड़े थे। पिता हिम्मतनगर में लोडिंग टेम्पो चलाते थे, लेकिन बेटी की पढ़ाई में कभी कमी नहीं आने दी। पायल ने बीटेक में फर्स्ट डिविजन लाने के साथ-साथ ट्यूशन पढ़ाकर पिता का साथ दिया। मौसी के घर डबोक में रहकर पढ़ाई करने वाली पायल का लंदन में एमटेक करने का सपना था। अहमदाबाद के रिश्तेदार अशोक खटीक बताते हैं कि पिता सुरेश की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। उन्होंने लोन लिया, समाज से मदद ली और बेटी को विदेश भेजने का इंतजाम किया। 12 जून को जब पायल एयरपोर्ट के गेट से अंदर जा रही थी, पिता की आंखों में खुशी के आंसू थे। कुछ क्षण बाद प्लेन क्रैश ने एक परिवार के सारे सपने तोड़ दिए।

Comment List