अमेरिका ने तेजस विमान के इंजनों की सप्लाई शुरू की, अब जेवलिन मिसाइल और स्ट्राइकर खरीदने की तैयारी
स्ट्राइकर आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल का भी परीक्षण
भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस का प्रोडक्शन अब तेजी से शुरू हो गया है। तेजस एमके1ए लड़ाकू जेट के लिए जीई एफ 404-आईएन20 इंजनों की डिलीवरी अमेरिका से तेजी से शुरू हो गई है
वॉशिंगटन। भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस का प्रोडक्शन अब तेजी से शुरू हो गया है। तेजस एमके1ए लड़ाकू जेट के लिए जीई एफ 404-आईएन20 इंजनों की डिलीवरी अमेरिका से तेजी से शुरू हो गई है। जनरल इलेक्ट्रिक मार्च 2026 तक हर महीने दो इंजनों की डिलीवरी करेगी। भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने सीएनबीसी टीवी 18 को इसकी जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक एक इंजन अप्रैल में अमेरिका से डिलीवर किया गया था और दूसरा इंजन जुलाई के अंत तक मिलने की उम्मीद है। आपको बता दें कि भारत ने 2021 में 99 एफ404-आईएन20 इंजन खरीदने के लिए जनरल इलेक्ट्रिक के साथ 716 मिलियन डॉलर का समझौता किया था। सप्लाई चेन में आई दिक्कतों की वजह से इंडनों की डिलीवरी नहीं हो पा रही थी। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक दक्षिण कोरिया कुछ कंपोनेंट्स की डिलीवरी नहीं कर पा रहा था। जिसकी वजह से शेड्यूल को मार्च 2025 तक धकेल दिया गया। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड तेजस लड़ाकू विमान बनाती है और विमानों के निर्माण में देरी की वजह से उसे काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। भारतीय वायुसेना कुल 352 तेजस विमान शामिल करने की दिशा में आगे बढ़ रही है, जिनमें एमके1ए और एमके2 दोनों वैरिएंट होंगे। साल 2026-27 तक तेजस का वार्षिक उत्पादन 30 यूनिट तक पहुंचने की उम्मीद है।
जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल
इसके अलावा भारत अब अमेरिका से जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल खरीदने की योजना भी बना रहा है। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने बताया कि इस डील पर बातचीत अंतिम दौर में है। जेवलिन मिसाइल अपनी फायर एंड फॉरगेट क्षमता के लिए जानी जाती है। यह दुश्मन के टैंकों पर ऊपर से हमला करती है, जहां उनकी सुरक्षा सबसे कमजोर होती है। इसकी रेंज करीब 2.5 किलोमीटर है और यह आधुनिक युद्धक्षेत्र की जरूरतों को बखूबी पूरा करती है। भारत की थल सेना में फिलहाल ज्यादातर एटीजीएम सिस्टम दूसरी पीढ़ी के हैं और एक अनुमान के मुताबिक सेना को अभी भी 68,000 से ज्यादा मिसाइलों और 850 से ज्यादा लॉन्चर्स की कमी है। भारत इसे जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश कर रहा है।
स्ट्राइकर आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल का भी परीक्षण
इसके अलावा भारत ने हाल ही में अमेरिका से आए स्ट्राइकर आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल का भी परीक्षण किया है। हालांकि सेना को उसका वैरिएंट पसंद नहीं आया है। रक्षा सचिव ने कहा कि भारतीय सेना इस प्रणाली के एक उभयचर वैरिएंट की तलाश में है, जिसे अमेरिका भारत के साथ भविष्य के संयुक्त अभ्यास में प्रदर्शित करेगा। अमेरिका ने आश्वासन दिया है कि आगामी भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य अभ्यास में स्ट्राइकर का अेस्रँ्रु्रङ्म४२ वैरिएंट पेश किया जाएगा। यह वाहन भारत की ऋ४३४१ी कल्लांल्ल३१८ उङ्मेुं३ श्ीँ्रू’ी परियोजना का हिस्सा बन सकता है, जिसका मकसद पुराने बीएमपी-2 वाहनों को हटाकर आधुनिक, मल्टी रोल लड़ाकू वाहन सेना में शामिल करना है।
यह बेहद घातक लड़ाकू प्लेटफॉर्म
स्ट्राइकर एक 8*8 पहियों वाला मॉड्यूलर आर्मर्ड वाहन है, जो तेज गति और सभी प्रकार के भूभागों में अपने ऑपरेशन के लिए जाना जाता है। यह 30 एमएम ऑटोमैटिक तोप, मशीन गन और एंटी-टैंक मिसाइलों से लैस होता है, जिससे यह बेहद घातक लड़ाकू प्लेटफॉर्म बन जाता है। इसमें एनबीसी सुरक्षा प्रणाली होती है, जो सैनिकों को खतरनाक परिस्थितियों में भी सुरक्षित रखती है। इसके अलावा यह वाहन नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर के लिए तैयार है, यानी रीयल-टाइम कम्युनिकेशन और बैटल मैनेजमेंट में सक्षम है। स्ट्राइकर का अेस्रँ्रु्रङ्म४२ वैरिएंट जल-जमीन दोनों पर चल सकता है, जो इसे नदी, दलदल या तटीय क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण बनाता है।

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