चीनी प्रधानमंत्री ने किया ऐलान : तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने का काम शुरू तिब्बत में पांच जलप्रपात बांध भी बनाएगा चीन

ब्रह्मपुत्र पर बांध से कितनी बिजली उत्पादित करेगा चीन

चीनी प्रधानमंत्री ने किया ऐलान : तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने का काम शुरू तिब्बत में पांच जलप्रपात बांध भी बनाएगा चीन

चीन ने शनिवार को तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र) के निचले इलाकों में एक विवादित बांध परियोजना का निर्माण शुरू किया है

बीजिंग। चीन ने शनिवार को तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र) के निचले इलाकों में एक विवादित बांध परियोजना का निर्माण शुरू किया है। यह वही परियोजना है, जिसका भारत और बांग्लादेश विरोध कर रहे हैं। इसके बावजूद चीन ने इस परियोजना को जोर-शोर से शुरू करने का फैसला किया है। ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने की शुरूआत का ऐलान खुद चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने किया है। आधिकारिक शिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, इस परियोजना पर कुल 1.2 ट्रिलियन युआन (167 बिलियन डॉलर) का निवेश होने की योजना है। चाइना याजियांग ग्रुप नाम की एक नई कंपनी का भी आधिकारिक तौर पर अनावरण किया गया। शिन्हुआ ने बताया कि यह कंपनी तिब्बत के दक्षिण-पूर्व में स्थित निंगची शहर में स्थित पांच जलप्रपात बांधों वाली इस जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए जिम्मेदार होगी। शिन्हुआ ने परियोजना की क्षमता के बारे में विस्तृत जानकारी दिए बिना कहा कि यहां बनने वाली बिजली मुख्य रूप से तिब्बत के बाहर सप्लाई की जाएगी। हालांकि, इसका कुछ हिस्सा स्थानीय खपत की जरूरतों के लिए भी दिया जाएगा।

ब्रह्मपुत्र पर बांध से कितनी बिजली उत्पादित करेगा चीन
माना जा रहा है कि इस बांध के बनने से हर साल 300 अरब किलोवाट घंटे बिजली का उत्पादन होगा। शिन्हुआ के मुताबिक, चीन की ये योजना कार्बन उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य हासिल करने में मुख्य भूमिका निभाएगी और इससे इंजीनियरिंग जैसे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही इस योजना से तिब्बत में रोजगार के मौके भी बनेंगे। चीन के अधिकारियों ने अभी तक ये नहीं बताया है कि इस परियोजना के तहत तिब्बत से कितने लोग विस्थापित होंगे और ये किस प्रकार से स्थानीय जलवायु को प्रभावित करेगा।

इस बांध से भारत को क्या खतरा
यह बांध चीन और भारत के बीच तनाव का कारण बन सकता है, क्योंकि यारलुंग त्सांगपो या ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र से होकर गुजरती है और भारत की प्रमुख नदियों में से एक में मिलती है। हालांकि, चीन का दावा है कि निचले इलाकों पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में कैलाश पर्वत के पास एंग्सी ग्लेशियर से निकलती है। इसे चीन में यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है। यह नदी तिब्बत से 3000 किमी की दूरी तक प्रवाहित होते अरुणाचल प्रदेश, आसाम होते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है। बांग्लादेश में इसे जमुना के नाम से जाना जाता है। इसके बाद ब्रह्मपुत्र गंगा नदी में मिल जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि चीन को तिब्बत में इस विशाल प्रोजेक्ट के लिए नमचा बरवा पर्वत के आस-पास कम से कम चार 20 किलोमीटर लंबी सुरंगें खोदने की जरूरत होगी। इससे तिब्बत की सबसे लंबी नदी ब्रह्मपुत्र की धारा को मोड़ दिया जाएगा।  इससे निचले इलाके में पानी का प्रवाह कम हो जाएगा।

पानी को हथियार बना सकता है चीन
चीन ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को भारत के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है। वह जरूरत पड़ने पर तिब्बत के बांध में जमा पानी को बिना किसी पूर्व सूचना के छोड़ सकता है। इससे अरुणाचल प्रदेश और असम के निचले इलाकों में बाढ़ आ सकती है और हालात बिगड़ सकते हैं। बड़े बांध के निर्माण से रिहाइशी इलाकों के साथ जंगल और जंगली जानवरों पर भी इसका असर पड़ता है। नदी के बहाव के साथ गाद आती है जो खनिजों से भरपूर होने के साथ खेती और तटीय इलाकों की स्थिरता के लिए जरूरी है। बांध का निर्माण गाद के प्रवाह को प्रभावित कर सकता है और अरुणाचल प्रदेश की जैव विविधता प्रभावित हो सकती है। आॅस्ट्रेलिया स्थित थिंक टैंक लोवी इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित 2020 की एक रिपोर्ट में कहा गया है, इन नदियों (तिब्बत में) पर नियंत्रण प्रभावी रूप से चीन को भारत की अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण प्रदान करता है।

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