जाने राजकाज में क्या है खास

पार्टियों की दशा और दिशा

जाने राजकाज में क्या है खास

सूबे में पिछले दिनों से पार्टियों की दशा और दशा को लेकर हर कोई मुंह खोल रहा है। कुछ भाई लोग तो अपना मुंह खोलते वक्त न तो आगा सोचते हैं और न ही पीछा, लेकिन उनकी बात में दम होता है।

पार्टियों की दशा और दिशा
सूबे में पिछले दिनों से पार्टियों की दशा और दशा को लेकर हर कोई मुंह खोल रहा है। कुछ भाई लोग तो अपना मुंह खोलते वक्त न तो आगा सोचते हैं और न ही पीछा, लेकिन उनकी बात में दम होता है। अब वे दावा ठोक रहे हैं कि पार्टियों की दशा और दिशा जातीय पंचायतों पर टिक गई है, तभी तो पिछले दिनों हुई ब्राह्मणों, जाटों और राजपूतों की पंचायतों का इम्पेक्ट नजर आने लगा है। कहने वाले तो यह भी दावा ठोक रहे हैं कि सीएम की कुर्सी पर भी इसका इंपेक्ट पड़े बिना नहीं रहेगा।

संयोग या दुर्योग
सूबे में हाथ वाले भाई लोगों में अब संयोग और दुर्योग को लेकर काफी चर्चा है। इन चर्चाओं से गली-मौहल्ला से लेकर गांव-ढाणी तक अछूता नहीं है। जो इस चर्चा में इंटरेस्ट नहीं लेते, उनको खुद भाई लोग ही आगे बढ़कर सुनाते हैं। चर्चा है कि सूबे में राज कर रहे जोधपुर वाले अशोक जी भाईसाहब का कोई सानी नहीं है। अब इसे संयोग कहिए या दुर्योग, जब भी सामने वाला खेमा कुंभ राशि वाले देवनारायण वंशज मोट्यार को एक नंबर कुर्सी देने के लिए मुंह खोलता है, तो कुछ ऐसी अनहोनी हो जाती है कि बेचारों को चुप होने के अलावा कोई चारा भी नजर नहीं आता। पहले नेशनल हेराल्ड, फिर ईडी और पार्टी के राजकुमार की यात्रा ने रामबाण का काम किया। अब देखो ना शीतलाष्टमी के बाद मुखर हुए तो पार्टी के तुला राशि वाले राजकुमार को शनि की दशा लग गई और पार्लियामेंट की मेंबरशिप तक खत्म हो गई। उल्टे उनको मेष राशि वाले उन भाईसाहब की तरफ ललचाई आंखों से देखना पड़ रहा है, जिनको रिप्लेसमेंट करने पर जोर दिया जा रहा है। 

नहीं छूट रहा रत्नों का मुंह
रत्न तो रत्न ही होते हैं चाहे वे राज के दरबार में हो, या फिर ठिकाने के गढ़ में हो। कुछ रत्न तो इतने योग्य होते हैं कि राज करने वाला राजा एक कदम भी उनके बिना आगे नहीं बढ़ता। अब देखो ना, सूबे में भी इन दिनों दोनों दलों के कुछ लीडर्स के रत्नों को लेकर काफी खुसरफुसर है। राज का काज करने वाले भी लंच केबिनों में बतियाते हैं कि खास रत्नों के मोह में हाथ वाले नेताजी का राज जाता हुआ दिख रहा है, तो भगवा वाले एक खेमे के लीडर का रत्नों के चक्कर में राज आता हुआ नजर नहीं आ रहा। 

एक जुमला यह भी
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि पटरी बैठने को लेकर है। इस जुमले की चर्चा इंदिरा गांधी भवन में बने पीसीसी के ठिकाने के साथ ही सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वाले के दफ्तर में आने वाले वर्कर्स में हुए बिना नहीं रहती। जुमला है कि इन दिनों हाथ वाली वाली पार्टी में टॉप टूू बॉटम तक के लीडर जोधपुर वाले भाई के आगे नतमस्तक हैं, चूंकि उनकी पटरी सबके साथ बैठ रही है। लेकिन जिसकी पटरी उनके साथ नहीं बैठी, वह पार्टी के पटल से ही गायब हो गया। मेष राशि वाले दोनों पूर्व प्रदेश प्रभारियों के नाम तो चटकारे लेकर सुनाए जाते हैं।

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