दीवार ढहने से दो बेटों और मां की मौत

खूटिया का खेड़ा में अंधड़ के झोंकों से गिरी दीवार, नीचे अहाते में सो रहे तीनों की मौत, पांच साल की पोती बची  

दीवार ढहने से दो बेटों और मां की मौत

तेज हवा के झोंके के साथ आई आंधी से मकान के छत के ऊपर बनी दीवार ढह गई। दीवार के मलबे के ईट पत्थरों से नीचे सो रहे तीनों जनों के सिर व शरीर पर चोटे आने से वे गंभीर रूप से घायल हो गए।

बिजयनगर। निकटवर्ती खूटिया का खेड़ा में शनिवार रात तेज अंधड़ के झोंकों से एक किसान के मकान में निर्माणाधीन छत के ऊपर बनी दीवार अचानक ढह गई जिससे नीचे अहाते में सो रही मां व उसके दो बेटों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे में घायल पांच साल की पोती को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। घटना से समूचे गांव में मातम छा गया।  

जानकारी के अनुसार खूटिया का खेड़ा निवासी सोनाथ गुर्जर के मकान में उसकी पत्नी नानी देवी (50), पुत्र सुरेश (21), ज्ञानचन्द (20) व पोती रेशू (5) निर्माणाधीन मकान के अहाते में सो रहे थे।  इसी दौरान मध्यरात्रि में तेज हवा के झोंके के साथ आई आंधी से मकान के छत के ऊपर बनी दीवार ढह गई। दीवार के मलबे के ईट पत्थरों से नीचे सो रहे तीनों जनों के सिर व शरीर पर चोटे आने से वे गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों के चिल्लाने पर सोनाथ व कमरे में सो रहा बड़ा भाई शान्ति लाल सहित अन्य परिजन बाहर आए और सहायता के लिए आवाज दी। इस पर आसपास के ग्रामीण मौके पर एकत्रित हो गए और मलबे से दबे घायलों को बाहर निकाल कर उपलब्ध साधनों के जरिए बिजयनगर चिकित्सालय पहुंचाया जहां चिकित्सकों ने नानी देवी को मृत घोषित किया। घायल सुरेश व ज्ञानचन्द ने भी उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। रेशू को मामूली चोट आने से उसका बिजयनगर चिकित्सालय में उपचार किया गया।  घटना की जानकारी मिलने पर बिजयनगर तहसीलदार सुभाष स्वागमी व थाना प्रभारी दिनेश चौधरी मय जाब्ता मौके पर पहुंचे तथा घटना की जानकारी ली। इस दौरान ग्रामीणों ने प्रशासनिक अधिकारियों से मृतकों के परिजनों को परिवार की माली हालत को मध्यनजर रखते हुए मुख्यमंत्री सहायता कोष से आर्थिक सहायता दिलाने की मांग की। तहसीलदार ने मामले में उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर तीनों मृतकों का पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सांैप दिए। 

गमगीन माहौल में किया अन्तिम संस्कार
खूटिया खेड़ा ग्राम में मकान की दीवार ढहने के कारण मृत मां नानी देवी व पुत्र सुरेश व ज्ञानचन्द के शवों को वाहन के जरिये गांव में लाया गया। तीनों शवों को देखते ही परिजनों व रिश्तेदारों के विलाप से माहौल गमगीन हो गया। ग्रामवासियों की आखों से भी अश्रुÞधारा बह निकली। गमगीन माहौल में सोनाथ गुर्जर के घर से तीनों की अर्थियां एक साथ निकाली गई। ग्राम के श्मशान घाट पर एक ही चिता पर तीनों का अन्तिम संस्कार किया गया।

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