सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: राष्ट्रपति-राज्यपाल के लिए समयसीमा तय नहीं कर सकती अदालत
राज्यपाल-राष्ट्रपति पर समयसीमा लागू नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिलों को मंज़ूरी देने के लिए राज्यपाल या राष्ट्रपति पर कोई समयसीमा लागू नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कि समयसीमा पार होने पर बिल को स्वतः मंज़ूर मानना भी असंवैधानिक है। संविधान पीठ के इस फैसले से संघवाद पर नई बहस छिड़ गई है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को एक अहम फैसला लेते हुए कहा है कि, बिलों पर राज्यपाल या राष्ट्रपति को मंज़ूरी देने के लिए कोई समयसीमा लागू नहीं की जा सकती। इस निर्णय के चलते पहले से चली आ रही संघवाद और राज्यों के मामलों में राज्यपाल की भूमिका पर फिर से नए सिरे से बहस होने की संभावना है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि, यदि निर्धारित समय में मंज़ूरी न मिले तो बिल को स्वतः मंज़ूर मान लेना भी संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, इस मामले में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने यह निर्णय सुनाया है।

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